भारत की संचित निधि | Bharat ki sanchit nidhi
भारत की संचित निधि
- यह ऐसी निधि है, जिसमेँ भारत सरकार द्वारा प्राप्त सभी राजस्व, सभी आय तथा भारत सरकार द्वारा लिए गए सभी उधार जमा किए जाते हैं। भारत की संचित निधि मेँ कोई धन जमा करने के लिए या उसमेँ से कोई धन निकालने के लिए संसद के अनुमोदन की जरुरत होती है।
भारत की संचित निधि पर भारित व्यय (अनुच्छेद 112)
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यह व्यय संसद के मत के अधीन नहीँ है। यहां कुछ उच्च पदों की
स्वतंत्रता एवं निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए किया गया है। ये हैं
- राष्ट्रपति के वेतन और भत्ते तथा उसके पद से संबंधित अन्य व्यय।
- राज्य सभा के सभापति और उपसभापति के तथा लोक सभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के वेतन और भत्ते।
- भारत सरकार के ऋण और उस पर ब्याज।
- उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की केवल पेंशन भारत की संचित निधि से, वेतन भत्ते राज्य निधि से।
- भारत के नियंत्रक महा-लेखापरीक्षक के वेतन, भत्ते और पेंशन।
- किसी न्यायालय या मध्यस्थ अधिकरण के निर्णय, डिक्री या पंचाट की तुष्टि के लिए अपेक्षित राशियां।
- कोई अन्य व्यय जो इस संविधान द्वारा या संसद द्वारा, विधि द्वारा, इस प्रकार भारित घोषित किया गया है।
भारत की आकस्मिकता निधि
- अनुच्छेद 267, आकस्मिक या अनवेक्षित परिस्थितियो से निपटने के लिए. संसद को विधि द्वारा. भारत की आकस्मिकता निधि सृजित करने की शक्ति देता है।
- संसद ने यह निधि 1951 मेँ गठित की।
- यह निधि कार्यपालिका के व्ययाधीन है, परंतु इसकी भरपाई संसद के अनुमोदन के बाद ही हो सकती है।
भारत की संचित निधि और आकस्मिकता निधि में अंतर
भारत की संचित निधि
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भारत की आकस्मिता निधि
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संविधान द्वारा सृजित (निर्मित)
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संसद द्वारा विधि द्वारा सृजित
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इस निधि की कोई उपरी सीमा नहीं है
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इसकी उपरी सीमा है|
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इस निधि में धन जमा करने के लिए
या धन निकालने के लिए संसद के अनुमोदन की जरुरत पड़ती है
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कार्यपालिका के व्ययाधीन है।
परन्तु
इसकी भरपाई के लिए संसद के
अनुमोदन की जरुरत होती है।
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