विधेयकों के प्रकार,सामान्य विधेयक,धन विधेयक,वित्त विधेयक
सामान्य विधेयक
अनुच्छेद 110 मेँ विनिर्दिष्ट मेँ से एक या अधिक विषयों के साथ-साथ अन्य विषयों से संबंधित उपबंध भी होते हैं।
केवल लोकसभा मेँ ही पुरःस्थापित किया जा सकता है।
विधेयक को पुरःस्थापित करने के लिए राष्ट्रपति की अग्रिम सिफारिश जरुरी है।
अन्य बातेँ वही हैं, जो सामान्य विधेयक के लिए हैं।
- धन विधेयक, वित्त और संविधान संशोधन विधेयक से भिन्न अन्य कोई विधेयक।
- किसी भी सदन मेँ पुरःस्थापित किया जा सकता है।
- अनुच्छेद-3 के अंदर लाए गए विधेयक के अलावा, ऐसे विधेयक की पुरःस्थापना के लिए राष्ट्रपति की अग्रिम सिफारिश की जरुरत नहीँ होती है।
- दोनो सदनोँ के पास समान शक्तियां हैं।
- साधारण बहुमत द्वारा पारित किया जाता है।
- गतिरोध की स्थिति मेँ दोनो सदनो की संयुक्त बैठक बुलाई जा सकती है।
- विधेयक पारित होने के बाद जब राष्ट्रपति के पास उसकी अनुमति के लिए भेजा जाता है, तो वह विधेयक पर पुनर्विचार करने के लिए उसे संसद को वापस भेज सकता है।
धन विधेयक
- एसा विधेयक जिसमें केवल अनुच्छेद 110 मेँ दिए हुए एक या अधिक विषयों से संबंधित उपबंध होता है।
- किसी कर का अधिरोपण, उत्पादन, परिवर्तन या विनियमन।
- भारत सरकार द्वारा धन उधार लेने का विनियमन।
- भारत की संचित निधि या आकस्मिकता निधि की अभिरक्षा (ऐसी किसी निधि मेँ धन जमा करना या उसमेँ से धन निकालना)।
- भारत की संचित निधि मेँ से धन का विनियोग।
- किसी व्यय को भारत की संचित निधि पर भारत व्यय घोषित करना या ऐसे व्यय की रकम को बढ़ाना।
- भारत की संचित निधि या भारत के लोक लेखों से धन प्राप्त करना।
- उपरोक्त किसी विषय का आनुषंगिक कोई विषय।
- केवल लोकसभा मेँ पुरःस्थापित किया जा सकता है।
- इसकी पुरःस्थापना के लिए राष्ट्रपति की अग्रिम सिफारिश जरुरी है।
- लोकसभा के पास विशेष शक्ति है। लोकसभा द्वारा पारित होने के बाद विधेयक राज्यसभा को जाता है। राज्यसभा पारित कर देती है, तो विधेयक पारित हो जाता है।
- राज्यसभा अस्वीकार कर लेती है, तब विधेयक दोनो सदनो द्वारा पारित मान लिया जाता है।
- राज्य सभा 14 दिनोँ तक कोई कार्यवाही नहीँ करती तो विधेयक दोनो सदनों द्वारा पारित मान लिया जाता है।
- राज्यसभा संशोधन सुझाती है- विधेयक लोकसभा मेँ वापस आता है। लोकसभा, संशोधन स्वीकार करे या अस्वीकार, विधेयक पारित हो जाता है।
- अतः यहाँ गतिरोध पैदा होने की कोई संभावना नहीँ है और इसलिए संयुक्त बैठक का कोई प्रावधान नहीँ है।
- साधारण बहुमत द्वारा पारित किया जाता है। संसद द्वारा पारित होने के बाद जब विधेयक राष्ट्रपति के पास अनुमति के लिए जाता है, तो वह इसे संसद के पास पुनर्विचार के लिए वापस नहीँ भेज सकता है।
वित्त विधेयक
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