जैव विविधता, पर्यावरण एवं जैवविधिता,आईयूसीएन रेड डाटा बुक की श्रेणियां| IUCN International Union for Conservation of Nature

जैव विविधता, पर्यावरण एवं जैवविधिता,आईयूसीएन रेड डाटा बुक की श्रेणियां|  IUCN International Union for Conservation of Nature

जैव विविधता, पर्यावरण एवं जैवविधिता,आईयूसीएन रेड डाटा बुक की श्रेणियां


1.     जैव विविधता शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग प्रसिद्ध  कीट वैज्ञानिक विलसन ने 1986 में प्रयोग किया।

2.     किसी प्राकृतिक प्रदेश में  पाए जाने वाले जीव-जन्तुओ और पादपों की प्रजातियों में जो बहुलता अर्थात अंतर देखने को मिलता है उसे जैवविविधता कहते हैं।

3.     भारत विश्व के 12 जैव विविधता वाले देशों में से एक है।

4.     इस संसार के समस्त ज्ञात पादप का 17.8 प्रतिशत एवं जन्तु प्रजाति का 7.29 प्रतिशत भाग भारत देश में निवास करती हैं।

5.     विश्व में चिन्हित हॉटस्पॉट में से दो पश्चिमी घाट और पूर्वी हिमालय भारत में ही हैं।

6.     खाद्य, औषधि और उद्योगों   में होने वाली खपत का सीधा प्रभाव जैव विविधता पर पड़ता है।

7.     भारत विश्व के उन 17 विशाल जैविक विविधता वाले देशो में शामिल है,जहां 60 से 70 प्रतिशत जैव विविधता है।

8.      का भारत 18 फरवरी, 1994 को जैविध्क विविधता से संबंधी अंतर्राष्ट्रीय संधि  (सीबीडी) का सदस्य बना।

9.     जैव विविधता मुख्य रूप से तीन प्रकार की अनुवांशिक जैव विविधता, प्रजाति जैव विविधता, पारिस्थतिकी जैव विविधता होती है।

जैव विविधता संधि

1.     स्टॉकहोम समझौता- 5 जून, 1972 को पर्यावरण सुरक्षा हेतु प्रथम विश्वव्यापी स्तर पर प्रथम प्रयास किया गया। संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में इस वर्ष स्टॉकहोम में एक सम्मेलन आयोति हुआ। इस सम्मेलन मेे 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस घोषित किया गया।

2.     पृथ्वी शिखर सम्मेलन- स्टॉकहोम सम्मेलन की 20वीं वर्षगांठ में ब्राजील की राजधानी रियो डी जेनेरियो में 192 में पर्यावरण और विकास सम्मेलन अयोजित हुआ। जिसे अर्थ सम्मिट या पृथ्वी शिखर सम्मेलन भी कहा जाता है।

3.     नागोया जैव विविधता सम्मेलन- जापान के नागोया मेें 18-29 अक्टूबर, 2010 को जैविध विविधता अभिसमय पर कोप 10 सम्मेलन आयोजित हुआ। इस सम्मेलन में क्लाइमेट चेंज की सम्सया से निपटने के लिए नागोया जैव विविधता घोषणपत्र  जारी किया गया।

4.     आर्द भूमि (रामसर)संधि- यह विश्व में आर्द्र भूमि के सरंक्षण हेतु की गई संधि है। भारत 1 फरवरी 1982 से इस संधि में शामिल हुआ है।

5.     जैव विविधता संधि- वैश्विक महत्व के पर्यावरणीय स्थल को संरक्षित करने के उद्देश्य से यह संधि कार्यरत है। भारत 1976 से इसका सदस्य है।

6.     काटीजंना संधि- यह जैव सुरक्षा संधि है। जो जेनेटिक तरीके से सुधारे गए उत्पादों के व्यापार को नियमित करती है।

7.     सीबीडी-जैव विवधिता संबंधी सीबीडी (कान्वंेशन ऑन बॉयोलॉजीकल डावर्सिटी) एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है। यह संधि आर्थिक विकास के साथ साथ पारिस्थतिक संतुलन बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

8.     एगापिटेस- यह  सिक्किम से 30 वर्ष के अंतराल पश्चात  एकत्र की गई दुर्लभ प्रजाति है।

9.     सीसीएफ-2 परियोजना- औषधीय पौधों से संबंधित परियोजना है।

10. राष्ट्रीय वन आयोग- वन संरक्षण अधिनियम, 1980 के अंतर्गत वन मंत्रालय द्वारा 7 फरवरी 2003 से एनएफसी का गठन किया।

11. मैन एंड बायोस्फेयर कार्यक्रम के तहत बायोस्फेयर रिजर्व- यूनेस्कों ने मैन एण्ड बायोस्फेयर कार्यक्रम 1974 में जैव मंडलीयन सुरक्षित क्षेत्र अवधारणा लागू की थी। विश्व का प्रथम जैव-मंडलीय रिजर्व 1979 में स्थापित किया गया था।

12. यूनेस्कों के मैन एंड बायोस्फेयर रिजर्व कार्यक्रम एम.ए.बी. के तहत भारत के 18 बायोस्फेयर रिजर्व में से नौ वर्ल्ड नेटवर्क ऑफ बायोस्फेयर रिजर्व में शामिल किये गए हैं।

13.  आईयूसीएन रेड डाटा बुक में हर जीव जाति को नौ में से एक श्रेणी में डाला जाता है। यह श्रेणीकरण उनकी कुल आबादी, आबादी की गिरवाट की दर, भौगोलिक विस्तारक आदि के आधार पर किया जाता है


आईयूसीएन रेड डाटा बुक की श्रेणियां-

IUCN: International Union for Conservation of Nature

Headquarters: Gland, Switzerland

Members: 1400

Founded: 18 October 1948, Fontainebleau, France

Location: Gland VD, Switzerland


1.     विलुप्त- जाति के अंतिम सदस्य की समाप्ति पर जब कोई शंका न हो।

2.     वन्य रूप में विलुप्त- जाति के सभी सदस्यों का किसी निश्चित आवास में पूर्ण रूप से समाप्ति।

3.     गंभीर रूप से संकट ग्रस्ट-अब जाति के सभी सदस्य किसी उच्च जोखिम की वजह से एक आवास में शीघ्र लुप्त होने के कगार पर हैं।

4.     नष्ट होने योग्य- जाति के सदस्य किसी जोखिम की वजह से भविष्य में लुप्त होने के कगार पर हैं।

5.     नाजुक- जाति के आने वाले समय मेें समाप्त होने की आशंका है।

6.     लगभग संकटरग्रस्त जाति-  जाति के सदस्यो ं का हा्रस उपरोक्त श्रेणियों से कम है।

7.     कम जोखित वाली जाति- इनको खतरा कम है और विस्तृत क्षेत्र में पाई जाती हैं।

8.     अपूर्ण आंकडे़- जाति लुप्त होने के बारे में संपूर्ण अध्ययन और सामग्री।

9.     मुल्यांकित नहीं- जाति एवं उसके लुप्त होने के बारे में कोई अध्ययन या सामग्री न होना।

 

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