TCP and OSI Model
- OSI मॉडल किसी नेटवर्क में दो यूज़र्स के मध्य कम्युनिकेशन के लिए एक reference मॉडल है। इस मॉडल की प्रत्येक लेयर दूसरे लेयर पर निर्भर नही रहती है लेकिन एक लेयर से दूसरे लेयर में डेटा का ट्रांसिमिशन होता है।
- OSI MODEL यह describe करता है कि किसी नेटवर्क में डेटा या सूचना कैसे send तथा receive होती है। OSI मॉडल के सभी layers का अपना अलग अलग काम होता है जिससे कि डेटा एक सिस्टम से दूसरे सिस्टम तक आसानी से पहुँच सके। OSI मॉडल यह भी describe करता है कि नेटवर्क हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर एक दूसरे के साथ लेयर के रूप में कैसे कार्य करते है।
OSI model में निम्नलिखित 7 layers होती हैं
1:-PHYSICAL LAYER फिजिकल लेयर
- OSI मॉडल में physical लेयर सबसे निम्नतम लेयर है।
- इलेक्ट्रिकल कनेक्शन के लिए जिम्मेदार रहता है जैसे:- वोल्टेज, डेटा रेट्स आदि
- इस लेयर में डिजिटल सिग्नल, इलेक्ट्रिकल सिग्नल में बदल जाता है।
- इस लेयर में नेटवर्क की topology अर्थात layout of network(नेटवर्क का आकार) का कार्य भी इसी लेयर में होता है।
- फिजिकल लेयर यह भी describe करता है कि कम्युनिकेशन wireless होगा या wired
- इस लेयर को बिट यूनिट भी कहा जाता है
2:-Data link layer डेटा लिंक लेयर
- OSI MODEL में डेटा लिंक लेयर नीचे से दूसरे नंबर की लेयर है।
- इस लेयर की दो sub-layers होती है
- MAC- मीडिया एक्सेस कण्ट्रोल
- LLC-लॉजिक लिंक कण्ट्रोल
- इस लेयर में नेटवर्क लेयर द्वारा भेजे गए डेटा के पैकेटों को decode तथा encode किया जाता है तथा यह लेयर यह भी ensure करता है कि डेटा के ये पैकेट्स त्रुटि रहित हो।
- इस लेयर को फ्रेम यूनिट भी कहा जाता है। इस layer में डेटा ट्रांसमिशन के लिए दो प्रोटोकॉल प्रयोग होते है।
3:-Network layer(नेटवर्क लेयर):
- नेटवर्क लेयर OSI मॉडल का तीसरा लेयर है इस लेयर में switching and routing तकनीक का प्रयोग किया जाता है।
- इसका कार्य लॉजिकल एड्रेस उपलब्ध कराना है।
- नेटवर्क लेयर में जो डेटा होता है वह पैकेट(डेटा के समूह) के रूप में होता है और इन पैकेटों को source से destination तक पहुँचाने का काम नेटवर्क लेयर का होता है।
- इस लेयर को पैकेट यूनिट भी कहा जाता है।
4:-Transport layer(ट्रांसपोर्ट लेयर)
- ट्रांसपोर्ट लेयर OSI मॉडल की चौथी लेयर है।
- इस लेयर का प्रयोग डेटा को नेटवर्क के मध्य में से सही तरीके से ट्रान्सफर करना है/
- इस लेयर का कार्य दो कंप्यूटरों के मध्य कम्युनिकेशन को उपलब्ध कराना भी है।
- इसे सेगमेंट यूनिट भी कहा जाता है
5:-Session layer(सेशन लेयर)
- सेशन लेयर OSI मॉडल की पांचवी लेयर है जो कि बहुत सारें कंप्यूटरों के मध्य कनेक्शन को नियंत्रित करती है।
- सेशन लेयर दो डिवाइसों के मध्य कम्युनिकेशन के लिए सेशन उपलब्ध कराता है अर्थात जब भी कोई यूजर कोई भी वेबसाइट खोलता है तो यूजर के कंप्यूटर सिस्टम तथा वेबसाइट के सर्वर के मध्य तक सेशन का निर्माण होता है।
- आसान शब्दों में कहें तो सेशन लेयर का मुख्य कार्य यह देखना है कि किस प्रकार कनेक्शन को establish, maintain तथा terminate किया जाता है।
6:-Presentation layer(प्रेजेंटेशन लेयर)
- presentation लेयर OSI मॉडल का छटवां लेयर है।
- इस लेयर का प्रयोग डेटा का encryption तथा decryption करने के लिए किया जाता है।
- यह लेयर ऑपरेटिंग सिस्टम से सम्बंधित है।
7:-Application layer(एप्लीकेशन लेयर)
- एप्लीकेशन लेयर OSI मॉडल का सातवाँ(सबसे उच्चतम) लेयर है।
- एप्लीकेशन लेयर का मुख्य कार्य हमारी वास्तविक एप्लीकेशन तथा अन्य लेयरों के मध्य interface कराना है।
- एप्लीकेशन लेयर end user के सबसे नजदीक होती है
- यह लेयर यह नियंत्रित करती है कि कोई भी एप्लीकेशन किस प्रकार नेटवर्क से access करती है।
- TCP/IP सबसे पहले 1973 में आया उसके बाद 1978 में इसको 2 अलग अलग हिस्सों में अलग कर दिया गया |
- एक हिस्सा TCP और दूसरा हिस्सा IP था |
- उसके बाद 1983 में TCP ने एनसीपी (नेटवर्क कण्ट्रोल प्रोटोकॉल) की जगह ले ली और इस प्रोटोकॉल को अधिग्रहित कर लिया गया |
- ARPANET ने कनेक्ट होकर किसी भी प्रकार के डाटा के ट्रांसफर के लिए यही प्रोटोकॉल जिम्मेदार होता है | (ARPANET, इन्टरनेट का पूर्वज है |)
TCP/IP और THE DOD मॉडल
- TCP/IP का पूरा नाम Transmission control protocol(TCP) तथा internet protocol(IP) है।
- TCP/IP वर्ल्ड वाइड वेब का एक प्रोटोकॉल है जिसे हम इंटरनेट कहते है।
- TCP/IP मॉडल end-to-end कम्युनिकेशन उपलब्ध कराता है।
- TCP/IP को 1970 तथा 1980 के दशक के मध्य U.S. department of defense(D.O.D.) ने विकसित किया था।
- TCP/IP मॉडल में 4 लेयर होती है.
- Host-to-network(network access) layer
- Internet layer
- Transport layer
- Application layer
Network Access layer
- यह लेयर TCP/IP मॉडल की सबसे निम्नतम लेयर है।
- नेटवर्क एक्सेस लेयर यह describe करती है कि किस प्रकार डेटा नेटवर्क में sent होता है
Internet layer
- यह लेयर ट्रांसपोर्ट लेयर तथा एप्लीकेशन लेयर के मध्य स्थित होती है। यह लेयर नेटवर्क में connection less कम्युनिकेशन उपलब्ध कराती है।
- इसमें डेटा को IP datagrams के रूप में पैकेज किया जाता है यह datagram source तथा destination IP एड्रेस को contain किये रहते है जिससे कि डेटा को आसानी से sent तथा receive किया जा सकें।
Transport layer
- यह लेयर डेटा के ट्रांसमिशन के लिए जिम्मेदार होती है।
- यह लेयर एप्लीकेशन लेयर तथा इंटरनेट लेयर के मध्य स्थित होती है।
- इस लेयर में दो मुख्य प्रोटोकॉल कार्य करते है:
- Transmission control protocol(TCP)
- User datagram Protocol(UDP)
Application layer
- यह लेयर TCP/IP मॉडल की सबसे उच्चतम लेयर है।
- यह लेयर ऍप्लिकेशन्स को नेटवर्क सर्विस उपलब्ध करने से सम्बंधित होती है।
- यह लेयर यूजर को कम्युनिकेशन उपलब्ध कराती है; जैसे:-वेब ब्राउज़र, ई-मेल, तथा अन्य ऍप्लिकेशन्स के द्वारा।
- Application लेयर ट्रांसपोर्ट लेयर को डेटा भेजती है तथा उससे डेटा receive करती है।
Post a Comment