सौरमंडल सामान्य ज्ञान | Solar System Gk in Hindi
सौरमंडल Solar System
सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने वाले विभिन्न
ग्रहों, क्षुदग्रहों, धूमकेतुओं, उल्कापिंडों अन्य आकाशीय पिंडों के
समूह को सौरमंडल कहते हैं। सौरमंडल में सूर्य का प्रभुत्व है, क्योंकि सौरमंडल निकाय के द्रव्य का
लगभग 99,999 द्रव्य सूर्य में है। सौरमंडल के समस्त ऊर्जा का स्त्रोत सूर्य ही है।
सूर्य Sun
- सूर्य सौरमंडल का प्रधान है। यह हमारी मंदाकिनी दुग्धमेखला के केन्द्र से लगभग 30,000 प्रकाश वर्ष की दूरी पर एक कोने में स्थित है।
- यह दुग्धमेखला मंदाकिनी के केन्द्र के चारों ओर 250 किमी/सेंकड की गति से परिक्रमा कर रहा है। इसक परिक्रमण काल (दुग्धमेखला के चारों ओर एक बार घूमने का समय) 25 करोड़ वर्ष है, जिसे ब्रम्हाण्ड वर्ष कहते हैं।
- सूर्य अपने अक्ष पर पूर्व से पश्चिम की ओर घूमता है। इसका मध्य भाग 25 दिनों में व धु्रवीय भाग 35 दिनों में एक घूर्णन करता है।
- सूर्य एक गैसीय गोला है जिसमें हाइड्रोजन 71 प्रतिशत, हीलियम 26.5 प्रतिशत एवं अन्य तत्व 2.5 प्रतिशत है।
- सूर्य का केन्द्रीय भाग क्रोड़ (Core) कहलाता है। जिसका ताप होता है तथा सूर्य के बाहरी सतह का तापमान 6000 डिग्री C होता है।
- हैंस बेथ ने बताया कि 10 की घात 7 डिग्री C ताप पर सूर्य के केन्द्र पर चार हाइड्रोजन नाभिक मिलकर एक हीलियम नाभिक का निर्माण करता है। अर्थात सूर्य के केन्द्र में नाभिकीय संलयन होता है जो सूर्य की ऊर्जा का स्त्रोत है।
- सूर्य की दीप्तिमान सतह को प्रकाशमंडल (Photo Sphere) कहते हैं। प्रकाश-मंडल के किनारे प्रकाशमान नहीं होते है, क्योंकि सूर्य का वायुमंडल प्रकाश का अवशोषण कर लेता है। इसे वर्णमंडल (Chromosphere) कहते हैं। यह लाल रंग का होता है। सूर्य ग्रहण के समय सूर्य के दिखाई देने वाले भाग को सूर्य किरीट कहते हैं। सूर्य किरीट (Corona) X-ray उत्सर्जित करता है। इसे सूर्य का मुकुट कहा जाता है। पूर्ण सूर्य ग्रहण के समय सूर्य किरीट से प्रकाश की प्राप्ति होती है।
- सूर्य की उम्र 5 बिलियन वर्ष है।
- भविष्य में सूर्य द्वारा ऊर्जा देते रहने का समय 10 की घात 11 वर्ष है।
- सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक पहुँचने में 8 मिनट 16.6 सेकण्ड का समय लगता है।
- सौर ज्वाला को उत्तरी ध्रुव पर औरोरा बोरियलिस तथा दक्षिणी धु्रव पर औरोरा औस्ट्रेलिस कहते हैं।
- सूर्य के धब्बे (चलते हुए गैसों के खोल) का तापमान आसपास के तापमान से 1500 डिग्री कम होता है।सूर्य के धब्बों का एक पूरा चक्र 22 वर्षों का होता है पहले 11 वर्षों तक यह धब्बा बढ़ता है और बाद के 11 वर्षों तक यह धब्बा घटता है। जब सूर्य की सतह पर धब्बा दिखलाई पड़ता है, उस समय पृथ्वी पर चुंबकीय झंझावत उत्पन्न होते हैं। इससे चुंबकीय सुई की दिशा बदल जाती है एवं रेडियो, टेलीविजन, बिजली चलित मशीन आदि काम करना बंद कर देते हैं।
- सूर्य का व्यास 13 लाख 92 हजार किमी है, जो पृथ्वी के व्यास का लगभग 110 गुना है।
- सूर्य हमारी पृथ्वी से 13 लाख गुना बड़ा है, और पृथ्वी को सूर्यताप का 2 अरबवॉ भाग मिलता है।
ग्रह क्या होते हैं
- ग्रह ऐसे खगोल पिंड है जो हमारी पृथ्वी की भांति ही सूर्य के इर्द गिर्द चक्कर लगाते हैं, अर्थात् उसकी परिक्रमा करते हैं। सूर्य का प्रकाश ग्रहों पर पड़ता है, जिसके कारण वे चमकदार दिखते हैं। सौर परिवार का 99 प्रतिशत द्रव्यमान सूर्य के कारण ही है। सौर मंडल के सभी सदस्य सूर्य की परिक्रमा करते हैं।
- आठ ग्रह इस प्रकार हैं- बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, यूरेनस, नेप्च्यून ।
- शुक्र एवं अरूण (यूरेनस) को छोड़कर अन्य सभी ग्रहों का घूर्णन एवं परिक्रमण की दिशा एक ही है। शुक्र एवं अरूण अपने अक्ष पर पूर्व से पश्चिम की ओर (दक्षिणावर्त) घूमते हैं। अन्य ग्रह पश्चिम से पूर्व की ओर (वामवर्त) घूमते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय खगोलशास्त्रीय संघ के प्राग सम्मेलन 2006 के अनुसार सौरमंडल में मौजूद पिडों को तीन श्रेणियों में बाँटा गया है
परम्परागत ग्रह- बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, वृहस्पति, शनि, अरूण एवं वरूण।
बौने ग्रह- प्लूटो, चेरॉन, सेरस, 2003 यूबी 313
लघु सौरमंडलीय पिंड- धूमकेतु, उपग्रह, एवु अन्य छोटे खगोलीय पिंड।
अंतर्राष्ट्रीय खगोलशास्त्रीय के अनुसार ग्रह वे खगोलीय पिंड हैं जो निम्न शर्तों को पूरा करते हैं-
जो सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करता हो।
उसमें पर्याप्त गुरूतवाकर्षण बल हो यानि उसके आस-पास अन्य खगोलीय पिंडों की भीड़-भाड़ न हो।
ग्रहों की उपर्युक्त परिभाषा आई.एन.यू. के प्राग सम्मेलन 20006 में तय की गई है।
ग्रहों की परिभाषा के आधार पर यम को ग्रह की श्रेणी से निकाल दिया फलस्वरूप परम्परागत ग्रहों की संख्या 9 से घटकर 8 रह गई। यम को बौने ग्रह की श्रेणी में रखा गया है।
कुल 8 ग्रहों में से केवल पॉच को नंगी आंखों से देखा जा सकता है जो हैं- बुध, शुक्र, शनि, वृहस्पति एवं मंगल।
ग्रहों को दो भागों में विभाजित किया गया है
पार्थिव या आंतरिक ग्रह Terrestrial of Inner planet
बुध, शुक्र, पृथ्वी एवं मंगल को पार्थिव ग्रह कहा जाता है क्योंकि ये पृथ्वी के सदृश होते हैं।
वृहस्पतीय या बाह्य ग्रह Jovean or Outer Planet
वृहस्पति, शनि, अरूण एवं वरूण को वृहस्पतीय ग्रह कहा जाता है।
आकार के अनुसार ग्रहों का क्रम (घटते क्रम में)
वृहस्पति, शनि, अरूण, वरूण, पृथ्वी, शुक्र, मंगल एवं बुध अर्थात सबसे बड़ा ग्रह वृहस्पति एवं सबसे छोटा ग्रह बुध है।
घनत्व के अनुसार ग्रहों का क्रम
शनि, यूरेनस, वृहस्पति, नेप्च्यून, मंगल एवं शुक्र
परम्परागत ग्रह- बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, वृहस्पति, शनि, अरूण एवं वरूण।
बौने ग्रह- प्लूटो, चेरॉन, सेरस, 2003 यूबी 313
लघु सौरमंडलीय पिंड- धूमकेतु, उपग्रह, एवु अन्य छोटे खगोलीय पिंड।
जो सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करता हो।
उसमें पर्याप्त गुरूतवाकर्षण बल हो यानि उसके आस-पास अन्य खगोलीय पिंडों की भीड़-भाड़ न हो।
ग्रहों की उपर्युक्त परिभाषा आई.एन.यू. के प्राग सम्मेलन 20006 में तय की गई है।
ग्रहों की परिभाषा के आधार पर यम को ग्रह की श्रेणी से निकाल दिया फलस्वरूप परम्परागत ग्रहों की संख्या 9 से घटकर 8 रह गई। यम को बौने ग्रह की श्रेणी में रखा गया है।
ग्रहों की विशेषताएं
- सर्वाधिक बड़ा - बृहस्पति
- सर्वाधिक छोटा - बुध
- सर्वाधिक गर्म तथा सूर्य के सबसे नजदीक – बुध
- सर्वाधिक ठंडा तथा सर्वाधिक दूर – यम
- सर्वाधिक चमकीला - शुक्र
- ग्रहों में सर्वाधिक उपग्रह - शनि
- सौर मण्डल का सबसे बड़ा उपग्रह - गैनिमीड
- वे ग्रह, जिनके उपग्रहों की संख्या शून्य है - बुध व शुक्र
- वह ग्रह, जिसके उपग्रहों की संख्या एक है - पृथ्वी
- शुक्र और यूरेनस को छोड़कर सभी ग्रहों के घूर्णन और परिक्रमा की दिशा एक ही रहती है। शुक्र और यूरेनस अपने अक्ष पर पूर्व से पश्चिम की ओर घूर्णन करते हैं।
- बुध, शुक्र हीन या क्षुद्र ग्रह हैं।
- बुध, शुक्र पृथ्वी व मंगल - आन्तरिक ग्रह हैं।
- बृहस्पति, शनि, यूरेनस, नेप्चून व प्लूटो – बाह्य ग्रह हैं
सौर मण्डल
- सूर्य के परिवार, अर्थात ग्रहों, उपग्रहों, धूमकेतु, उल्काएं, एस्टेरॉयड आदि को संयुक्त रूप से सौर मण्डल कहते हैं।
- सौर मण्डल की उत्पत्ति नेब्यूला से हुई है।
- सौरमण्डल में कुल 8 ग्रह है।
- सूर्य में बढ़ते हुए दूरी के क्रम में ग्रह, बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, ब्रहस्पति, शनि, अरूण तथा वरूण है।
- यम को ग्रहों की श्रेणी में शामिल नहीं किया जाता है।
बुध Mercury
- सूर्य के सबसे पास का एक छोटा सा ग्रह है। यह इतना छोटा है कि कुछ ग्रहों के उपग्रह भी इससे बड़े हैं। बुध आकाश में बहुत नीचे है, इसलिए इसको देख पाना आसान नहीं है। इस ग्रह को सूर्यास्त के तुरंत बाद या सूर्योदय से पहले देखा जा सकता है।
- बुध अपनी धुरी पर 58.7 दिन में एक चक्कर लगाता है। सूर्य के चारों और चक्कर लगाने में इसे 88 दिन लगते हैं। यह सबसे तीव्र वेग से घूमने वाला ग्रह है।
- सूर्य से सबसे निकटतम ग्रह।
- सूर्य की परिक्रमा 87 दिन 23 घंटे में।
- बुध का एक दिन पृथ्वी के 90 दिनों के बराबर।
- परिणाम में पृथ्वी का 18वां भाग।
- बुध पर वायु मण्डल का अभाव है।
- बुध के सबसे पास गुजरने वाला ग्रह - मैरिनर।
- यह एक ऐसा ग्रह है, जिसकी सूर्य से दूरी हमेशा समान नहीं रहती, क्योंकि इसका लंबा, पतला परिक्रमा पथ नीबू के आकार जैसा है।
- बुध बहुत धीरे घूमता है। वहां का एक दिन हमारी पृथ्वी के 59 दिनों के बराबर होता है। इस ग्रह का एक हिस्सा सूर्य के निकट काफी लंबे समय तक रहता है, इसलिए सूर्य की भीषण गर्मी के कारण वहां दिन का तापमान 350° सेल्सियस से भी अधिक हो जाता है। इस तापमान पर टिन और लैड पिघल जाते हैं। ग्रह का दूसरा हिस्सा जिस पर रात होती है, अपेक्षाकृत बहुत ठंडा होता है। वहां का तापमान -170° सेल्सियस तक पहुंच जाता है।
- सन् 1974 में स्पेस प्रोब मैरिनर 10 से प्राप्त चित्रों से पता चला कि यह ग्रह चंद्रमा जैसा है, जिस पर चट्टानें और खड्डें हैं। वहा जल का नामो-निशान नहीं है। बुध का कोई उपग्रह नहीं है और न वहां कोई वायुमंडलीय गैस है।
शुक्र Venus
- संध्या के समय आपने आकाश में एक बहुत चमकीला तारा देखा होगा। यह तारा सुबह भी नजर आता है। इसे भोर का तारा कहते हैं। लेकिन यह तारा नहीं, बल्कि पृथ्वी का निकटतम ग्रह शुक्र है। दूरबीन से देखने पर शुक्र हमारे चंद्रमा की तरह लगता है। यह सबसे चमकीला ग्रह है।
- सूर्य से दूसरा ग्रह तथा पृथ्वी से सर्वाधिक नजदीक ग्रह है।
- सबसे अधिक चमकीला ग्रह कहा जाता है। क्योंकि प्रात: यह पूर्व में और सायं यह पश्चिम में दिखाई देता है।
- सर्वाधिक लम्बे दिन व रात होते हैं।
- आकार और द्रव्यमान में पृथ्वी के बराबर और स्वरूप में समान होने के कारण पृथ्वी को जुड़वां बहन कहा जाता है।
- वायु मण्डल का घनत्व पृथ्वी के वायुमण्डल की अपेक्षा 15 गुना है।
- स्पेस प्रोब्स द्वारा शुक्र के संबंध में अनेक नए तथ्य सामने आए हैं। शुक्र सबसे अधिक गर्म ग्रह है। भूमध्य रेखा पर इसका तापमान 480° सेल्सियस तक पहुंच जाता है। इस तापमान पर लैड, टिन और जिंक, सभी पिघल जाते हैं। हमारी पृथ्वी पर बादल अधिक-से-अधिक 15 किमी. ऊपर जाते हैं, लेकिन शुक्र के बादल 55 किमी. ऊचाई तक पहुंचते हैं। ऊपरी सतह पर शुक्र के बादलों का तापमान 35° सेल्सियस तक घट जाता है। यह लाल तपता हुआ ग्रह, बर्फ के बादलों से लिपटा हुआ है।
- शुक्र के वायुमंडल में 90-95 प्रतिशत कार्बन डाइऑक्साइड है। कुछ हाइड्रोजन और जल वाष्प भी है। इसका दाब पृथ्वी के वायुमंडल के दाब से 100 गुना अधिक है। अंतरिक्ष यात्री शुक्र की हवा में सांस लेकर जीवित नहीं रह सकता और न ही वहां की गर्मी को सहन कर सकता है।
- रेडियों तरंगों द्वारा ज्ञात हुआ है कि शुक्र पर पर्वत और घाटियां भी हैं। इसका कोई उपग्रह नहीं है। इस ग्रह पर सूर्य पश्चिम में उगता है तथा पूर्व में डूबता है।
बृहस्पति Jupiter
- बृहस्पति सौर परिवार का सबसे बड़ा ग्रह है। हमारी 318 पृथ्वियां बृहस्पति में समा सकती हैं।
- बृहस्पति, गैसों से बना एक गृह है। इसमें तारा और ग्रह, दोनों की विशेषताएं पाई जाती हैं। सभी ग्रह सूर्य से ऊर्जा प्राप्त करते हैं, लेकिन बृहस्पति लंबी वेब लेंथों में अपनी रेडियो ऊर्जा को विस्फोट के द्वारा फैलाता रहता है। सूर्य के बाद सौर मंडल में सबसे अधिक शक्तिशाली रेडियो तरंगें इसी की हैं।
- इसके वायु मंडल में अधिकांशत: हाइड्रोजन और हीलियम है। मीथेन और अमोनिया भी वहां मौजूद है।
- बृहस्पति का वायुमंडल हमारी आदिकालीन पृथ्वी जैसा है। हाइड्रोजन, मीथेन, अमोनिया और पानी, जिनसे पृथ्वी पर जीवन का प्रारंभ हुआ था.
- सूर्य से पांचवाँ ग्रह, सूर्य की परिक्रमा 11 साल 315 दिन, 1 घंटा।
- सौरमण्डल का सबसे बड़ा ग्रह।
- बृहस्पति गृह के 28 उपग्रह है। जिनमें गैनिमीड, कैलिस्टो, आयो, यूरोपा प्रमुख हैं। गैनिमीड, सौरमण्डल का सबसे बड़ा उपग्रह है।
- सबसे भारी ग्रह एवं इसका पलायन वेग सर्वाधिक (59-64 किमी/सें-) है।
- सन् 1973 के अंत में पहला स्पेस प्रोब पॉयनियर 10 बृहस्पति तक पहुंचा। इनके अनुसंधानों से पता चला कि बृहस्पति पर चुंबकीय क्षेत्र है। वैज्ञानिकों के लिए इस चुंबकीय क्षेत्र से आती हुई तरंगें अभी तक रहस्य बनी हुई हैं। वैज्ञानिकों को ऐसा विश्वास है कि बृहस्पति पर कहीं जीवन मौजूद है।
- सन् 1979 में वॉयेजर-1 और वॉयेजर-2 बृहस्पति के पास से गुजरे। बृहस्पति का सबसे नजदीकी चित्र उस ग्रह से 18 लाख किमी. की दूरी से खींचा गया। ग्रह के इर्द-गिर्द 30 किमी. मोटे छल्ले का भी पता चला। उसे एक उपग्रह आयो पर ज्वालामुखियों तथा गंधक और ऑक्सीजन जैसे तत्वों की मौजूदगी का ज्ञान हुआ। बृहस्पति का एक अन्य उपग्रह यूरोपा जो हमारे चंद्रमा के आकार का है, बर्फ से ढका हुआ है। कुछ स्थानों पर तो बर्फ की सतह 100 किमी. तक मोटी है।
- बृहस्पति हमेशा बादलों में घिरा रहता है। ग्रह के चारों ओर 5 चमकीली पट्टियां और चार गाढ़ी भूरी पट्टियां दिखाई देती हैं।
- ग्रह पर एक अंडाकार रहस्यमय लाल धब्बा नजर आता है।
- यह आकार में पृथ्वी से तीन गुना बड़ा है। यह एक अंतहीन तूफान है, जो इस ग्रह का स्थाई अंग लगता है। यह बृहस्पति के 40,000 किमी. लंबे और 4000 किमी. चौड़े क्षेत्र को ढके हुए हैं।
मंगल Mars
सूर्य से दूरी के अनुसार मंगल चौथा ग्रह है।
आकार में यह हमारी पृथ्वी से लगभग आधा है। अनुकूल अवस्था में यह चमकीला लाल नजर
आता है, इसलिए इसे लाल ग्रह भी कहते हैं। मंगल
अपनी धुरी पर पृथ्वी के समान ही झुका हुआ है। इसके ध्रुवीय क्षेत्र बारी-बारी से
सूर्य के सामने आते हैं जिनसे प्रत्येक गोलार्द्ध में गर्मी और सर्दी के मौसम आते
हैं। यहां के वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड में बादल है।
मंगल ग्रह (लाल ग्रह)
- सूर्य से चौथा ग्रह सूर्य की परिक्रमा- 1 वर्ष, 321 दिन, तथा आकार में अण्डाकार।
- रासायनिक संघटक– कार्बन डाइआक्साइड (95 प्रतिशत), 2-3 प्रतिशत नाइट्रोजन, लगभग 2 प्रतिश आर्गन कुछ मात्रा में बर्फ जलवायु, अमोनिया तथा मीथेन।
- मंगल का सबसे ऊँचा पर्वत ज्वालामुखी-निक्स ओलम्पिया।
- मंगल को दो उपग्रह– फोबोस तथा डिमोरन।
- मेरिनर 9 मंगल ग्रह का अंतरिक्ष अभियान।
- Asteriod Belt मंगल व ब्रहस्पति क बीच।
- Asteroid (क्षुद्र ग्रह) मिलते हैं।
- सन् 1976 में वाइकिंग स्पेस प्रोब्स (वाइकिंग-1 और वाइकिंग-2) मंगल पर भेजे गए, जिनका उद्देश्य मंगल पर जीवन की संभावनाओं का पता लगना था। लेकिन इनकी खोजों से ज्ञात हुआ कि मंगल पर किसी प्रकार का जीवन नहीं है। मंगल पर किसी जीव का न होना कोई आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि वहां का तापमान, पानी के हिमांक से ऊंचा नहीं उठता। मंगल पर पानी नहीं है। मंगल के दो छोटे उपग्रह हैं- फोबोस और डेसीमोस।
शनि Saturn
- सूर्य से दूरी के अनुसार शनि छठा ग्रह है। यह ग्रहों में सबसे अधिक सुन्दर है।
- अपने पड़ोसी बृहस्पति की भांति यह भी गैस के गोले के समान है, लेकिन आकार में कुछ छोटा है। हमारी 95 पृथ्वियां इसमें समा सकती हैं।
- हाइड्रोजन और हीलियम के इस विशाल ग्रह के छल्लों ने इसे और भी रहस्यात्मक बना दिया है। ये छल्ले लगभग 275,000 किमी. तक फैले हैं और ग्रह के चारों और घूम रहे हैं।
- सन् 1980 में वॉयेजर-1 और वॉयेजर-2 अंतरिक्ष यानों द्वारा पता चला कि ये घूमते हुए छल्ले असंख्य कणों में बने हैं।
- आकाश में सौरमण्डल का दूसरा सबसे बड़ा ग्रह।
- टाइटन- कैसिनी ह्यूजेन्स मिशन - टाइटन उपग्रह से संबंधित खोज।
- शनि की सबसे बड़ी विशेषता है : इसके चतुर्दिक वलय जिनकी संख्या-10 है।
- रासायनिक संगठन मुख्यत: हाइड्रोजन और हिलियम गैस, कुछ मात्रा में मीथेन और अमोनिया।
- शनि के उपग्रह - 31 हैं।
- टाइटन शनि का सबसे बड़ा उपग्रह है, जो बुध के बराबर है। टाइटन पर नाइट्रोजनीय वातावरण और हाइड्रोकार्बन मिले हैं।
- शनि के अन्य मुख्य उपग्रहों के नाम – मीमास, एनसीलग्डू, टेथिस, रीया, फोवे आदि।
- सबसे कम घनत्व वाला ग्रह (7) है।
- शनि आंखों से देखा जाने वाला अन्तिम ग्रह है।
- बृहस्पति की तरह शनि में भी एक लाल धब्बा है, लेकिन यह अपेक्षाकृत बहुत छोटा है। इसमें सफेद अंडाकार और पट्टीनुमा हल्क और घने बादल हैं। शनि पर बहुत तेज हवाएं चलती हैं, जिनका वेग लगभग 1760 किमी. प्रति घंटा होता है। इसकी सतह का तापमान –180° सेल्सियस है।
यूरेनस Uranus
- सर विलियम हर्शल ने मार्च, 1781 में यूरेनस की खोज की थी। बृहस्पति और शनि से यूरेनस काफी छोटा है, लेकिन पृथ्वी से काफी बड़ा। इसमें हमारी 15 पृथ्वियां समा सकती हैं। दूरबीन से देखने पर यूरेनस हरे रंग का दिखाई देता है। इस ग्रह का अधिकांश भाग मीथेन गैस से बना है। यह एक ठंडा ग्रह है, जिसकी सतह का तापमान –210° सेल्सियस तक पहुंच जाता है।
- सन् 1977 में खगोलशास्त्रियों को पता चला के यूरेनस के चारों ओर धुंधले छल्ले हैं। ये सभी छल्ले 64000 किमी. की सीमा के अंदर हैं। यह वह सीमा है, जिसके अंदर अपने ज्वारीय बलों से एक विशाल उपग्रह टुकड़े-टुकड़े हो जाएगा।
- यूरेनस, पृथ्वी के 84 वर्षों से सूर्य का एक चक्कर लगाता है और वहां का एक दिन पृथ्वी के 10 घंटे 49 मिनट के बराबर होता है।
- यूरेनस के पांच उपग्रह हैं। मिरांडा, एरियल, अम्ब्रायल, टिटेनिया और ओबेरान।
नेप्च्यून Neptune
- सन् 1849 में खगोलशास्त्रियों, एडम्स और लवेरियर ने नेप्च्यून ग्रह का पता लगाया था।
- यह हरे रंग का ठंडा ग्रह है, जिसकी सतह का तापमान लगभग –220° सेल्सियस रहता है।
- नेप्च्यून में हमारी 17 पृथ्वियां समा सकती हैं।
- ऐसा अनुमान है कि यूरेनस की तरह नेप्च्यून के चारों ओर भी छल्ले हैं, लेकिन अभी तक इसका कोई प्रमाण नहीं मिल सका।
- नेप्च्यून का एक दिन पृथ्वी के 18 घंटे 26 मिनट के बराबर है तथा वहां का एक वर्ष पृथ्वी के 164.8 वर्षों के बराबर होता है।
- सूर्य से आठवां ग्रह।
- आकाश में सौरमण्डल का चौथा सबसे बड़ा ग्रह।
- इस ग्रह के चारों तरफ 5 वलय है।
- कुल उपग्रह 11 हैं।
- पहला उपग्रह ट्रिटोन हैं, दूसरा नेरिड है, अन्य उपग्रह हैं N1, N-2, N-1, N-3, N-4 आदि।
- नेप्च्यून के दो उपग्रह हैं ट्रिटेन और नेरीड। ट्रिटेन अपेक्षाकृत प्लूटो से बड़ा है। इसका व्यास 3700 किमी. है।
पृथ्वी (नीला ग्रह) Earth
- पृथ्वी, जिस पर हम रहते हैं, सूर्य के परिवार का तीसरा ग्रह है।
- सौर मंडल का यही एक मात्र ग्रह है जिस पर जीवन का अस्तित्व है।
- अन्य ग्रहों की भांति यह भी सूर्य का चक्कर लगा रही है। पृथ्वी अपनी धुरी पर भी धूम रही है। इस धुरी का एक सिरा उत्तरी ध्रुव कहलाता है और दूसरा दक्षिणी ध्रुव।
- पृथ्वी के आधे हिस्से पर जहां सूर्य का प्रकाश पड़ता है, वहां गर्मियों का मौसम रहता है और दूसरे हिस्से में इन दिनों सर्दी होती है। इस प्रकार पृथ्वी पर मौसम बदलते रहते हैं।
- आकार में पृथ्वी का स्थान पांचवां है।
- आकार और बनावट में पृथ्वी, शुक्र ग्रह के समान है।
- अन्तरिक्ष से देखने पर पृथ्वी का रंग पानी व वायुमण्डल के कारण नीला दिखता है।
- पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह चन्द्रमा है।
- सन् 1961 में सेवियत अंतरिक्ष यात्री, यूरी गगारिन ने अंतरिक्ष यान, वोस्तोव पर सबसे पहले पृथ्वी की परिक्रमा की और अंतरिक्ष से पृथ्वी को देखा।
- अंतरिक्ष या चंद्रमा से पृथ्वी को देखने पर हरा-भरा थल और महासागरों का नीला जल दिखता है, वैसे ही जैसे ग्लोब पर दिखाया जाता है। पृथ्वी के बहुत से भाग सफेद बादलों के नीचे छिपे होने के कारण अंतरिक्ष से दिखाई नहीं देते।
- पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह चंद्रमा है, जो पृथ्वी की परिक्रमा करता है। वास्तव में सभी उपग्रह अपने अपने ग्रह की परिक्रमा करते हैं।
सौरमंडल स्मरणीय तथ्य
फ्रॉन हॉफर रेखायें
- सौर स्पेक्ट्रम में 7 रंगों के अतिरिक्त दिखाई देने वाली तमाम रेखाएं फ्रॉन हॉफर रेखाएं कहलाती हैं। इनमें हर रेखा वायुमंडल में उपस्थित किसी न किसी तत्व की ओर इंगित करती है।
सौर ज्वाला
- सूर्य से हर दिशा में प्रक्षेपित प्रोटांस कोरोना का पार करके अंतरिक्ष में चला जाता है जिसे सौर ज्वाला कहते हैं।
अरोरा-बोरियालिस या उत्तरी धु्रवीय ज्योति
- उत्तरी ध्रुव पर लगभग 100 से 1000 किमी की ऊंचाई पर दिखाई देने वाला रंगीन प्रकाश इसका कारण सौर ज्वालाओं का पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने पर हवा के कणों से टकराना है।
अरोरा-आस्ट्रालिस या दक्षिण धु्रवीय ज्योति
- दक्षिणी धु्रव पर दिखाई देने वाला रंगीन प्रकाश जैसा कि अरोरा बोरियालिस के साथ होता है।
सौर पवन
- सौर परिमंडल से निकलने वाली कम प्रभावशाली प्रोटान्स की तीव्र धारा जिसकी गति लगभग 640 किमी प्रति सेकण्ड होती है, सौर पवन कहलाती है। इसका आकाश सूर्याकार होता है।
सौर कलंक
- सूर्य के परिमंडल में दिखने वाले धब्बे जिसका तापमान सूर्य की सतह के तापमान (6000 डिग्री) से काफी कम (1500 डिग्री) होता है।
उपग्रह
- उपग्रह छोटा खगोल पिंड होता है जो अन्य ग्रहों की परिक्रमा करता है। पृथ्वी का उपग्रह चंद्रमा है, इसी प्रकार अन्य ग्रहों के भी उपग्रह हैं। मंगल के 2, वृहस्पति के 63, शनि के 60, अरूण के 27 और वरूण के 13 उपग्रह हैं।
- बुध और शुक्र का कोई उपग्रह नहीं है।
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