1920 के दशक में प्रचलित हुआ ‘मार्शल आर्ट’ शब्द मुख्य रूप से एशिया में प्रचलित युद्ध के तरीकों तथा पूर्वी एशिया में जन्मे युद्ध के तरीकों के संदर्भ में था।
मार्शल आर्ट को विज्ञान एवं कला, दोनों का मिश्रित रूप माना जाता है।द
केरल में प्रचलित प्रसि( मार्शल आर्ट ‘कलारिपयट्टू’ को प्राचीन समय में वन्य-जीवों से अपनी रक्षा के लिये सीखा जाता था।
कलारिपयट्टू के बहुत सारे लय एवं आसन जानवरों की मुद्रा एवं उनकी ताकत से प्रेरित हैं तथा उसके नाम भी उसी पर आधारित हैं।
केरल के इस मार्शल आर्ट को विश्व का सर्वाधिक प्राचीन एवं सबसे वैज्ञानिक रूप माना जाता है।
कलारिपयट्टू युद्धकला का प्रभाव भारतीय शास्त्राीय नृत्य कथकली में भी दिखाई देता है।
थांग-टा तथा सारित-साराक मणिपुर में प्रचलित प्रसिद्ध युद्ध कलाएँ हैं।
मणिपुर की युद्ध कला थांग-टा मणिपुर की अति प्राचीन मार्शल आर्ट ‘हुएन लाल्लोंग’ का परिष्कृत रूप है।
ठोडा हिमाचल प्रदेश की प्रसिद्ध युद्ध कला है, जिसमें धनुष-बाण का प्रयोग होता है।
गतका पंजाब के निहंग समुदाय के बीच प्रचलित युद्धकला है, जिसमें खिलाड़ी एक-दूसरे पर वार तथा बचाव करके अपने कौशल का प्रदर्शन करते हैं।
छीबी गद-गा मणिपुर में प्रचलित प्रसिद्ध युद्धकौशल है। इसमें विजय प्राप्त करने के लिये शारीरिक बल की अपेक्षा कौशल महत्त्वपूर्ण होता है।
‘मर्दानी’ महाराष्ट्र का परंपरागत युद्ध कौशल है, जिसका विकास 15-16वीं शताब्दी में मराठा शासन के दौरान हुआ।
पारीकदा युद्ध कला पश्चिम बंगाल एवं बिहार में प्रचलित है। इस युद्धकला की गतियाँ पशु-पक्षियों की गतियों पर आधारित होती हैं।
कथी सामू तथा पाईका अखाड़ा युद्ध(कला क्रमशः आंध्र प्रदेश एवं ओडिशा में प्रचलित है।
अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में निवास करने वाली निकोबारी जनजाति के बीच दो प्रकार के खेल प्रचलित हैं- असोल आप और असोल ताले आप।
निकोबार में होने वाली परंपरागत कुश्ती को किरिप कहा जाता है। सालदू भी यहाँ प्रचलित एक अन्य प्रकार की कुश्ती है।
धोपखेल असम में रंगोली बिहू के अवसर पर खेला जाने वाला एक प्रसिद्ध खेल है, जिसमें 11-11 खिलाडि़यों की एक-एक टीम खुले मैदान में आसमान में उछाली गई गेंद को पकड़ने का प्रयास करते हैं।
वल्लमकली केरल में प्रचलित प्रसिद्ध सर्प-नौका दौड़ है, जो ओणमके अवसर पर आयोजित की जाती है।
हियांग तन्नाबा मणिपुर में प्रचलित प्रसिद्ध( नौका दौड़ संबंधी खेल है, जो लाई हराओबा उत्सव के अवसर पर आयोजित की जाती है।
इन्सुकनावर मिशोरम में डंडे से खेला जाने वाला एक प्रसिद्ध खेल है, जिसमें सिर्फ पुरुष ही भाग लेते हैं।
खोंग खांजोई तथा लामजेई मणिपुर के प्रसिद्ध खेल हैं।
मल्लखंभ जमीन से लगभग 9 पफीट की उफँचाई पर लकड़ी के खंभे पर खेला जाने वाला खेल है।
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