Data Base Management and Data Models
DBMS डाटाबेस मैनेजमेन्ट
डाटाबेस मैनेजमेन्ट के कुछ सॉफ्टवेयर हैं जो डाटा का बहुत बडी मात्रा में प्रबंध करता है। यह सॉफ्टवेयर बहुत बडी मात्रा में इन्फॉरमेशन को आसानी से एक्सेस करने देता है।
डाटाबेस मैनेजमेन्ट सिस्टम के कार्य एवं लाभ-
- डाटाबेस मैनेजमेन्ट सिस्टम’ यह सिस्टम सॉॅफ्टवेयर प्रोग्रामों का एक समूह है .
- डाटाबेस को मेनेज करता है।
- यह फाइलों को एक्सेस करता है।
- वांछित डाटा की रिकाडिंग एवं रिसिविंग कर सकता है।
- डाटा की सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है।
- डाटाबेस ने काफी हद तक डाटा रीडंडेंसी (डाटा डुप्लीकेशन) घटा दी है।
- डाटाबेस एक बडी हद तक डाटा संबंधी अनियमितता को नियंत्रित कर सकता है।
- डाटाबेस से डाटा शेयरिंग संभव होती है।
- डाटाबेस के सेंट्र्ल कंट्र्ोल के साथ डाटाबेस एडमिनिस्ट्र्ेटर लागू कर सकता है।
- डाटाबेस सुरक्षा और निजता सुनिश्चित करता है
- एक डाटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम सही चैनल के द्वारा डाटोबेस एक्सेस सुनिश्चित कर डाटा सुरक्षा और निजता तय करता है।
- इसके आलावा संवेदनशील डाटा के एक्सेस का जब संबंध आता है, तो वह औथोराईजेशन चेक्स के द्वारा भी सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
- डाटाबेस से इंटिग्रिटी भी बनाई रखी जाती है
- इंटिग्रिटी का यहॉं अर्थ है कि डाटाबेस में डाटा बिलकुल सही है।
डाटा मॉडल्स
डाटा मॉडल्स ऐसे भिन्न मॉडल होते हैं, जिनका उपयोग डाटाबेस को डिजाईन करने में होता है।
डाटा डिजाईन में डाटा वर्णन, डाटा रिलेशनशिप, डाटा की भाषा विषय जानकारी और कांसिस्टटेंसी शामिल होत हैं।
डाटा मॉडल्स तीन प्रकार के होते हैं।- ऑब्जेक्ट बेस्ड डाटा मॉडल
- रिकार्ड बेस्ड डाटा मॉडल
- फिजिकल डाटा मॉडल
ऑब्जेक्ट आधारित डाटा मॉडल्स
- लॉजिकल व व्यू लेवल पर ऑब्जेक्ट आधारित लॉजिकल मॉडल्स का उपयोग डाटा को डिस्क्राईब करने के लिये प्रयुक्त होता है।
- लचीली ढांचागत, क्षमता उपलब्ध करते हैं
- डाटा कन्स्ट्र्ेन्ट्स को स्पष्ट रूप से स्पेसीफॉय करने की सुविधा देते हैं। यहॉं कई भिन्न मॉडल हैं तथा आगे और भी आ रहे हैं।
ऑब्जेक्ट आधारित डाटा मॉडल्स के प्रकार
- एंटीटी रिलेशनशिप मॉडल
- ऑब्जेक्ट ओरियेंटेड मॉडल
- सिमेंटिक डाटा मॉडल
- फंक्शनल डाटा मॉडल
एंटीटी रिलेशनशिप मॉडल
यह डाटा मॉडल उस रीयल वर्ल्ड की समझ पर आधारित हैं, जो मूलभूत ऑब्जेक्ट जिन्हें एंटीटीज् कहा गया है, के संग्रह से बना हुआ है। इस समझ में इन ऑब्जेक्ट्स के आपसी संबंध भी आते हैं।ऑब्जेक्ट ओरियेंटेड मॉडल -म्.त् मॉडल की तरह, ऑब्जेक्ट ओरियेंटेड मॉडल ऑब्जेक्ट के संग्रह पर आधारित है। ऑब्जेक्ट में इसके इंस्ट्र्ेन्स वेरियेबल्स में संग्रहीत वेल्यूज् होती हैं। ऑब्जेक्ट में कोड संबंधी बॉडीज् होती है, जो ऑब्जेक्ट पर ऑपरेट होती है। कोड की इन बॉडिज को मेथड कहते हैं।
रेकॉर्ड आधारित डाटा मॉडल
रेकॉर्ड आधारित लॉजिकल मॉडल का उपयोग लॉजिकल व व्यू लेबल पर डाटा डिस्क्राईब करने के लिए किया जाता है। ऑब्जेक्ट आधारित डाटा मॉडल के विपरीत उनका उपयोग डाटाबेस के ओवरऑल लॉजिकल स्ट्र्क्चर को स्पेसीफॉय करने और इम्प्लीमेंटेशन का उच्चस्तरीय डिस्क्रिप्शन उपलब्ध कराने, दोनो के लिये होता है।- रिलेशनल डाटा मॉडल
- नेटवर्क डाटा मॉडल
- फिजिकल डाटा मॉडलः
रिलेशनल डाटा मॉडलः-
यह मॉडल डाटा और उन डाटा के बीच संबंधों को दर्शाने के लिये टेबल के संग्रह का उपयोग करता है। प्रत्येक टेबल में कई कॉलम होते हैं और प्रत्येक कॉलम का विशिष्ट नाम होता है।
नेटवर्क डाटा मॉडलः-
नेटवर्क मॉडल में डाटा में रेकार्ड और रिलेशनशिप के संग्रह को लिंक से दर्शाया जाता है और इन्हें पाईटर्स के रूप में देखा जा सकता है। डाटाबेस में रेकार्ड को मनमाने ग्राफ के संग्रह के रूप में ऑर्गेनाईज किया जाता है।फिजिकल डाटा मॉडलः-
फिजिकल डाटा मॉडल का उपयोग निम्नतम स्तर पर डाटा वर्णित करने के लिये किया जाता है लॉजिकल डाटा मॉडल के विपरीत उपयोग में लाए जा रहे फिजिकल डाटा मॉडल बहुत थोडे हैं। व्यापक रूप से फिजिकल मॉडल में दो मॉडल यूनिफाइंग मॉडल और फ्रेम मेमारी मॉडल हैं।मैंपिंग कार्डिनलिटीज
एन्टिटी सैट्स के बीच कई प्रकार की रिलेशनशीप हो सकती है, मैनी-टू-मैनी, वन-टू-मैनी , मैनी-टू-वन,
मैंपिंग कार्डिनलिटीज बायनरी रिलेशनशीप सैट्स को वर्णित करने में अत्याधिक उपयोगी होती है। यद्यपि कभी-कभी वे उन रिलेशनशीप के सैट्स के वर्णन में भी योगदान देती है, जिमें दो से अधिक एन्टिटी सैट्स होते हैं। विभिन्न मैंपिंग कार्डिनलिटीज को निम्नलिखित प्रकार दर्शाया जा सकता है-
- वन-टू-वन (One to One)
- वन-टू-मैनी ( One to Many)
- मैनी-टू-वन ( Many to One )
- मैनी-टू-मैनी (Many to Many)
वन-टू-वन - (One to One)
यदि एन्टिटी सैट ए में एक एन्टिटी सैट बी में ज्यादा से ज्यादा एक एन्टिटी संबंधित होती है, तो इस प्रकार की मैंपिंग वन-टू-वन मैंपिंग कहलाती है।
वन-टू-मैनी-( One to Many)
इस प्रकार की मैंपिंग में किसी एन्टिटी सैट ए की एक एन्टिटी, एन्टिटी सैट बी की कितनी भी एन्टिटीज से संबंधित हो सकती है। लेकिन एन्टिटी सैट बी में एक एन्टिटी सैट ए की ज्यादा से ज्यादा एक एन्टिटी से संबंधित हो सकती है।
मैनी-टू-वन-( Many to One )
एन्टिटी सैट ए की एक एन्टिटी, एन्टिटी सैट बी की ज्यादा से ज्यादा एक एन्टिटी से संबंधित हो सकती है जबकि एन्टिटी सैट बी की एक एन्टिटी सैट ए की कितनी भी एन्टिटीज से संबंधित हो सकती है।
मैनी-टू-मैनी- (Many to Many)
एन्टिटी सैट ए की एक एन्टिटी, एन्टिटी सैट बी की कितनी भी एन्टिटीज से संबंधित हो सकती है। इस प्रकार एन्टिटी सैट बी की एक एन्टिटी, एन्टिटी सैट ए की कितनी भी एन्टिटीज से संबंधित हो सकती है।
की (KEY)
की एट्रीब्यूट्र्स वे एट्रीब्यूट्र्स या एट्रीब्यूट्र्स के सेट हैं, जिनका उपयोग एंटीटी सेट में एक एंटीटी को दूसरी से अलग करने मे किया जाता है अर्थात की का उपयोग किसी एन्टिटी सेट को अद्वितीय रूप पहचानने के लिए किया जाता है। क्योंकि की वे एट्रीब्यूट्र्स या एट्रीब्यूट्र्स का समूह हैं जिनका उपयोग एन्टिटी सैट में एक एन्टिटी को दूसरी एन्टिटी से अलग करने में किया जाता है।।
ये निम्नलिखित होती है-- सुपर की
- केंडिडेट की
- प्रायमरी की
- अल्टरनेट की
- फॉरन की
- कम्पोजिट की
सुपर-कीः- ( Super KEY)
- यह ऐसे एक या अधिक एट्रीब्यूट्र्स का सेट होता है, जो विशिष्ट तरीक से किसी एंटीटी सेट से एंटीटी को पहचान सकता है। सुपर सैट की को भी सुपर की के रूप में माना जा सकता है।
- उदाहरण- माना कि एक एंटीटी के चार एट्र्ीब्यूट ए, बी, सी, डी है। यदि एट्रीब्यूट्र्स ए किसी
- एंटीटी की विशिष्ट पहचान कर सकता है, तो ए उस एंटीटी के लिए सुपर-की है। इसी तरह किसी एट्रीब्यूट्र्स या एट्रीब्यूट्र्स का एट्रीब्यूट्र्स ए के साथ काम्बिनेशन सुपर-की कहला सकता है। अर्थात ए.बी., ए.सी., ए.डी., ए.बी.सी., ए.बी.डी., ए.सी.डी. और ए.बी.सी.डी., को सुपर की कहा जा सकता हे।
कंडिडेट-कीः- ( Candidate KEY)
- वे सारे एट्रीब्यूट्र्स या एट्रीब्यूट्र्स के सेट जो एंटीटी को विशिष्ट तरीके से पहचान सकते है, कंडिडेट की हैं। केवल वह की ही केंडिडेट-की हो सकती है, जिसका कोई भी प्रॉपर सबसेट सुपर-की नहीं हे।
- प्रायमरी-कीः- प्रायमरी-की वह शब्दावली है, जिसका उपयोग उस केंडिडेट-की के लिए किया जाता है, जिसे डाटा बेस डिजाईनर ने किसी एंटीटी को पहचानने में प्रमुख साधन के रूप में चुना है।
- अल्टरनेट-कीः- अल्टरनेट-की ऐसी शब्दावली है, जिसका उपयोग ऐसी कंेडिडेट-की के लिए किया जाता है, जो डाटाबेस डिजाईनर द्वारा प्रायमरी की चुनने के बाद शेष रह जाती है। अर्थात वह कैन्डिडेट की जो डाटाबेस डिजाईन करते समय प्रायमरी की को चुनने के बाद शेष रह जाती है वह अल्टनेट की कहलाती है।
- फॉरेन-कीः- यह शब्दावली डाटाबेस के रिलेशन में एट्रीब्यूट्र्स या एट्रीब्यूट्र्स सेट के लिए प्रयुक्त की जाती है, जो उसी डाटाबेस की अन्य रिलेशन में प्रायमरी-की का काम करती है। उदाहरण के लिए -
- इम्प्लाई(इम्प्लाई आई.डी. नेम, डिपार्मेंट नेम, सेलेरी)
- डिपार्मेंट (डिपार्मेंट नेम, लोकेशन, फोन नम्बर)
कम्पोजिट-कीः- ( Composite Key)
एक ऐसी प्रायमरी-की जिसमें एक से अधिक एट्रीब्यूट्र्स हो, कम्पोजिट-की कहलाती है।
Operator precedence
operator Definition
. Prefix for host veriable
, variable separator
( ) Surrounds subqueries
" Surrounds a literal
" " Surrounds a table or column alias or literal text
( ) Overrides the normal poerator precedence
+, - Unary Operators
*, / Multiplication and division
+, - Addition and substraction
ll character concatonationtion
NOT Reverses the result of an expressions
AND True if both conditions are true
OR True if either conditions are true
UNION Returns all data from both queries
INTERSECT Return only rows that match both queries
MINUS Returns only the rows that do not match both queries
स्कीमा, सबस्कीमा और इंस्टसेस
- डाटाबेस का ओवर ऑल लॉजिकल डिजाईन स्कीमा कहलाता है।
- यह एक लॉजिकल डाटाबेस डिसिक्रप्शन है और इसे उपयोग में लाने वाले डाटा टाईप के चार्ट के रूप में दर्शाया जाता है।
- यह एक फ्रेमवर्क है, जिन पर डाटा आयटम की वेल्यूज फिट की जाती है।
- स्कीमा टर्म का उपयोग डाटाबेस में स्टोर किये सभी डाटा आयटम टाईप्स और रेकॉर्ड टाईप्स के ओवर ऑल चार्ट के लिये किया जाता है।
डाटाबेस सिस्टम structure-
एक डाटाबेस सिस्टम कई मॉड्यूल्स में विभाजित होता है, जो ओवरऑल सिस्टम की विभिन्न जिम्मेदारियों से निपटते हैं। डाटाबेस सिस्टम के फंक्शनल कम्पोनेंट को मोटे तौर पर स्टोरेज मैंनेजर और क्वेरी प्रोसेसर कम्पोनंट्स में बांटा जा सकता है।
स्टोरेज मैनेजर कम्पोनेंट में ये हिस्से शामिल रहते हैं।
ऑथोराईजेशन और इंटिग्रिटी मैनेजर
ट्र्ांजक्शन मैनेजर
फाईल मैनेजर
बफर मैनेजर
डाटा फाईल्स
डाटा डिक्शनरी
इनडायसेस
क्वेरी प्रोसेसर
क्वेरी प्रोसेसरः-
- क्वेरी प्रोसेसर इस अर्थ में महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह डाटाबेस सिस्टम को डाटा एक्सेसे को सरलीकृत करता है और सहायक होता है।
- क्वेरी प्रोसर कम्पोनेट्स में ये शामिल हैं।
- इंटरप्रिंटर जो स्टेटमेंट्ंस की व्याख्या करता है और डाटा डिक्शनरी में डेफिनेशन रेकॉर्ड करता है।
- क्डस् कम्पाईलर, यह क्डस् स्टेटमेंट को क्वेरी लेंग्वेज में एक इवेल्यूलेशन प्लान में ट्र्ांसलेट करता है, जो ऐसी लो-लेवर इंस्ट्र्क्शन्स का बना होता है, जिसे क्वेरी इवेल्यूएशन इंजन समझता है।
- किसी क्वेरी को आमतौर पर कितने भी वैकल्पिक इवेल्यूएशन प्लान में ट्र्ांसलेट किया जा सकता है, जो समान परिणाम देता है। क्डस् कंपाईलर, क्वेरी ओप्टीमाईजेशन भी परफॉर्म करता है। अर्थात् यह विकल्पों मंे से सबसे कम कॉस्ट इवेल्यूएशन प्लान को उठाता है।
- क्वेरी इवेल्यूलेशन इंजन क्डस् कम्पाईलर द्वारा पैदा की गई लो लेवल इंस्ट्र्क्शन्स को एक्जिक्यूट करता है।
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