सार्वत्रिक गुरूत्वाकर्षण का नियम न्यूटन के द्वारा दिया गया ।
किसी दो वस्तुओं के बीच कार्य करने वाला आकर्षण बल वस्तुओं के द्रव्यमानों के गुणनफल के समानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्यत्क्रमानुपाती होता है।
पृथ्वी के केन्द्र में g का मान शून्य होता है।
विषुवत रेखा पर g का मान न्यूनतम होता है।
ध्रुव पर g का मान महत्तम होता है।
ऊंचाई पर जी का मान घटता है। पृथ्वी के अंदर जाने पर जी का मान घटता है। पृथ्वी की सतह पर जी का मान महत्तम होता है।
ग्रहीय गति के नियमों की खोज केप्लर के द्वारा किया गया।
ग्रहीय गति की खोज कॉपरनिकस के द्वारा किया गया।
गैलीलीयो द्वारा दूरबीन की खोज किया गया।
पृथ्वी की घूर्णन गति बढ़ने पर जी का मान कम हो जाता है और गति घटने पर जी का मान बढ़ जाता है।
पृथ्वी पर सूर्य का गुरूत्वाकर्षण बल सूर्य पर पृथ्वी द्वारा गुरूत्वाकर्षण बल के बराबर होता है।
पृथ्वी व सूर्य के बीच की दूरी यदि वर्तमान दूरी की अपेक्षा दो गुनी हो जाए तो पृथ्वी पर सूर्य का गुरूत्वाकर्षण बल न्यूटन के गुरूत्वाकर्षण के नियम के अनुसार पहले की अपेक्षा एक चौथाई होगा।
किसी पिंड का द्रव्यमान उसके अपने भार से भिन्न होता है क्योंकि पदार्थ की मात्रा का मापक द्रव्यमान है किंतु भार एक बल है।
किसी पिंड का भार ध्रुवों पर अधिकतम होता है। यह न्यूटन के गुरूत्वाकर्षण के नियम के कारण होता है।
विषुवत रेखा की अपेक्षा ध्रुवों पर पिंड का भारत अधिक होता है। क्योंकि धु्रवों पर पुथ्वी की त्रिज्या कम होने से सार्वात्रिक गुरूत्वाकर्षण के नियमानुसार भार कम हो जाता है।
लिफ्ट में व्यक्ति का भार तब अधिका हो जाता है जब लिफ्ट ऊपर की ओर एक समान त्वरण से गमन करे।
किसी पिंड को पृथ्वी से चंद्रमा पर ले जाने पर उसका द्रव्यमान वही रहेगा किंतु भार भिन्न हो जाएगा। भार भिन्न होने का कारण पृथ्वी की अपेक्षा चंद्रमा पर जी का मान 1/6 हो जाना है।
एक समान गति से घूर्णित शाफ्ट में धागे से एक गेंद बंधी है। शाफ्ट के अचानक रूकने पर धागा शाफ्ट पर लिपटने लगता है और गेंद का कोणीय वेग बढ़ जाएगा।
कोणीय वेग का मात्रक रेडियन/से. होता है।
एक गोल पीपे (बैरल) को खींच कर ले जाने की अपेक्षा लुढ़काना सुगम होता है क्योंकि स्लाइडिंग घर्षण की तुलना में लोटनिक (रोलिंग) घर्षण कम होता है।
जब दो वस्तु एक दूसरे के संपर्क में रहते हैं तो उनके बीच एक बल लगता है जिसके कारण वस्तु के गति में विरोध होता है इस बल को घर्षण बल कहते हैं। घर्षण बल वस्तु की दिशा के विपरीत लगता है।
जब कोई वस्तु किसी धरातल पर सरकती है तो वैसी स्थिति पर लगे घर्षण बल को सर्पी घर्षण (स्लाइडिंग) कहते हैं।
जब कोई वस्तु किसी धरातल पर लुढ़कती है तो उसमें लगे घर्षण को लोटनिक घर्षण कहते हैं। सबसे कम घर्षण बल लोटनिक घर्षण बल होता है।
किसी वस्तु का वह गुण जिसके कारण कोई वस्तु अपनी स्थिति को बनाए रखना चाहती है जड़त्व कहलाता है।
किसी पिंड के वेग को दुगना करने पर उसका संवेग भी दुगना हो जाता है।
किसी वस्तु के द्रव्यमान और उसके वेग के गुणनफल को संवेग कहते हैं।
संवेग सदिश राशि है इसका एस आई मात्रक किलोग्राम मी/से. है।
इकाई समय में निश्चित दिशा में तय की गई दूरी को वग कहते हैं। यह एक सदिश राशि है इसका मात्रक मी/से है।
एक भारी एवं एक हल्के पिंड पर एक समान बल एक ही अवधि के लिए लगे हों तो ये पिंड एक समान संवेग से गतिमान होंगे। ये पिंड संवेग संरक्षण के सिद्धांत के अनुसार गतिमान होते हैं।
20 किलोग्राम के एक पिंड को भूमि के ऊपर 1 मीटर की ऊंचाई पर बनाए रखने हेतु आवश्यक कार्य शून्य होगा।
जब बल लगाकर किसी वस्तु को बल की दिशा में विस्थापित कर दिया जाए तो बल का कार्य होना समझा जाता है।
कार्य अदिश राशि है। इसका मात्रक जूल है।
किसी पिंड का वेग दुना होने पर उसकी गतिज ऊर्जा चार गुनी हो जाएगी।
किसी वस्तु में उसके गति के कारण जो कार्य करने की क्षमता आ जाती है उसे उस वस्तु की गतिज ऊर्जा कहते है।
द्रव्यमान दुगना होने पर गतिज ऊर्जा भी दुगनी हो जाती है।
संवेग दुगना होने पर गतिज ऊर्जा चार गुना हो जाती है।
घड़ी में चाबी भरने की प्रक्रिया में घड़ी में स्थितिज ऊर्जा संग्रहित होती है।
किसी वस्तु की स्थिति या आकार में परिवर्तन के कारण जो कार्य करने की क्षमता आ जाती है। इसे वस्तु की स्थिति ऊर्जा कहते हैं।
स्थिर आलम्ब से लटके एक लंबे धागे से बंधा एक छोटा पदार्थ इधर उधर झूल (दोलन) रहा हो तो पदार्थ की गतिज ऊर्जा दोलन के बीच अधिकतम होगी।
पहाड़ पर चढ़ते समय व्यक्ति आगे झुकता है जिससे स्थायित्व (स्थिरता) में वृद्धि होती है।
किसी वस्तु का गुरूत्व केन्द्र वह बिन्दु है जहां वस्तु का समस्त भार कार्य करता है। चाहे वस्तु जिस स्थिति में रखा जाए।
भू-स्थिर या तुल्यकाली उपग्रह का घूर्णन का आवर्त काल 24 घण्टे का होता है।
परिक्रमारत अंतरिक्ष यान ( उपग्रह) से एक पिंड बाहर छोड़ा जाये तो वह यान के साथ उसी वेग से गमन करेगा।
समुद्र के पानी का घनत्व बढ़ता जाता है जैसे-जैसे गहराई एवं खारापन दोनों में वृद्धि होती है।
नदी में तैरता जलयान जब समुद्र में जाता है तो यह थोड़ा सा ऊपर उठ जाता है। क्योंकि नदी के पानी के घनत्व की अपेक्षा समुद्र के पानी का घनत्व अधिक होता है।
इस्पात की गेंद पारे पर तैरती है क्योंकि इस्पात की अपेक्षा पारे का घनत्व अधिक होता है।
अत्याधिक ऊंचाई पर पड़ रहे वायुयान के अंदर वायु पंपो की सहायता से सामान्य दाब बनाए रखा जाता है।
वायुमंडलीय दाब को बैरोमापी द्वारा मापा जाता है। आर्द्रतामापी द्वारा वायुमंडलीय आर्दता को मापा जाता है।
शरीर में रक्त का दाब वायुमंडलीय दाब के कुछ अधिक होने के कारण हमारे शरीर पर वायुमंडल का दाब बहुत होते हुए भी हम उसे महसूस नहीं कर सकते हैं।
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