भारत में अपवाह तंत्र को मुख्यतः दो भागों में बांटा गया है।
सतलुज, व्यास, रावी, चेनाब, और झेलम सिंधु की सहायक नदी हैं।
झेलम नदी का उद्गम स्थल पीरपंजाल से होता है।
गंगा नदी का उद्गम स्त्रोत गंगोत्री है।
यमुना नदी का उद्गम स्त्रोत यमुनोत्री है।
घाघरा नदी को सरयू के नाम से भी जाना जाता है।
गंगा नदी का कुल बेसिन 12500 वर्ग किमी है।
यमुना ताजेवाला स्थान से मैदानी भागों में प्रवेश करती है।
बंग्लादेश में गंगा को पद्मा के नाम से जाना जाता है।
गंगा नदी के प्रवाह मार्ग की कुल लंबाई 2525 किमी है।
सन, अरूण और तामूर कोसी नदी मिलकर कोसी नदी का निर्माण करती हैं।
घाघरा नदी का उद्गम स्थल मापचा चुंग हिमनद है।
सुबनसिरी, भारेली तथा मानस नदी ब्रम्हापुत्र नदी के दायें किनारे पर मिलने वाली नदियां हैं।
दिबांग, लोहित, धनसिरी तथा कापिली ब्रम्हापुत्र नदी के बाएं किनारे पर मिलने वाली नदियां हैं।
व्यास और सतलज नदियों का संगम स्थल हरिके बैराज कहलाता है।
भारत की सबसे लंबी नहर ‘इंदिरा गांधी नहर‘ भाखड़ा बांध से निकली है।
भाखड़ा बांध विश्व का दूसरा सबसे ऊंचा बांध है।
इंदिरा गांधी नहर की लंबाई 468 कि.मी. है।
हिमालय पर्वत श्रृंखला से निकलने वाली ‘भागीरथी‘ और ‘अलकनंदा‘ नदियों का संगम देवप्रयाग में होता है।
अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों का संगम रूद्रप्रयाग में होता है।
अकनंदा और पिण्डार नदियों का संगम कर्णप्रयाग में होता हैं
बादल फटने के कारण आपदा का शिकार हुआ केदारनाथ मंदाकिनी नदी के तट पर है।
चमेरा परियोजना रावी नदी पर है।
नाथपा झाकड़ी परियोजना सतुलज नदी पर है।
सलाल, बगलीहार एवं दुलहस्ती परियोजनाएं चेनाब नदी पर हैं।
तुलबुल एवं उरी परियोजनाएं झेलम नदी पर है।
चंबल नदी अपनी ‘ उत्खात भूमि‘ कके कारण प्रसिद्ध है।
बनास, काली सिंध एवं पार्वती नदियां चम्बल की सहायक नदियां हैं।
रिहिन्द और उत्तरी कोयल नदी सोन नदी की सहायक नदी है।
सोन नदी का उद्गम अमरकण्टक पहाड़ी से हुआ है।
घाघरा नदी को नेपाल में करनाली के नाम से जाना जाता है।
गौरी गंगा, शारदा नदी का प्रारम्भिक नाम है।
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में घाघरा और शारदा नदी के संगम को चौक कहते हैं।
रिहिन्द परियोजना उत्तरप्रदेशम में सोन नदी की सहायक नदी रिहिन्द पर अवस्थित है। इसके पीछे गोविंद बल्लभपंत सागर जलागार का निर्माण किया गया है।
बाणसागर परियोजना सोन नदी पर है इसका निर्माण मध्यप्रदेश के शहड़ोल जिले में किया गया है।
चंबल परियोजना मध्यप्रदेश और राजस्थान की संयुक्त परियोजना है। इसके अंतर्गत जवाहर सागर, महाराणा प्रताप एवं गांधी सागर तीन बांधो का निर्माण किया गया है।
मयूराक्षी बांध झारखंड के दुमका जिले में मसानजोर नामक स्थान पर बनाया गया है। इसे कनाड़ा बांध के नाम से भी जाना जाता है।
छालेश्वरी, तुइरिय, तुइवाई एवं रंगीत जल विद्युत परियोजनाएं मिजोरम राज्य में चलाई जा रही हैं।
रंगा नदी, पाकी, अपर लोहित, कामेंग व दमवे जल विद्युत परियोजनाएं भारत के अरूणाचल प्रदेश में चल रही रही हैं।
गोदावरी प्रायद्वीपीय भारत की सबसे लंबी नदी है जिसे बुढ़ी गंगा या दक्षिण की गंगा के नाम से जाना जाता है। इस नदी का उद्गम त्रियम्बक (नासिक) से हुआ है।
फरक्का बैराज पश्चिम बंगाल में गंगा नदी पर अवस्थित है। इसका निर्माण वर्ष 1961 मंे शुरू किया गया था। 1975 में इसका कार्य पूर्ण हो गया तथा अप्रैल 1975 में इसने काम करना प्रारंभ कर दिया।
लक्ष्मण तीर्थ, काबिनी, सुवर्णावती, भवानी और अमरावती नदियां दक्षिण भारत की कावेरी नदी के बाएं तट पर मिलती हैं।
शिवनाथ, हसदो, मांद, ईव, जोकिंग और तेल महानदी की सहायक नदियां हैं।
नर्मदा नदी का उद्गम स्थल मध्यप्रदेश के अमरकण्टक पहाडी से हुआ है। यह जबलपुर के भेड़ाघाट के पास धुआंधार जलप्रपात का निर्माण करती है।
केरल की सबसे बड़ी नदी भारतपूझा, जो अनामलाई की पहाडि़यों से निकलती है तथा पोन्नानी नामक स्थान के पास अरब सागर में गिरती है। इसे पोन्नानी नाम से भी जाना जाता है।
बैतरणी नदी (ओडिशा) को राउरकेला के पास दक्षिणी कोयल और शंख नदियों के संगम के बाद ब्राहम्णी के नाम से जाना जाता है।
उकाई और काकरापार परियोजनाएं तापी नदी पर बनाई गई हैं।
नर्मदा, तापी, माही, साबरमती एवं लूनी अरब सागर में मिलने वाली नदियां हैं।
महानदी की कुल लंबाई 857 किमी है।
नर्मदा नदी की कुल लंबाई 1312 किमी है।
भारत में प्रवाहित होने वाली सबसे लंबी नदी गंगा है।
भारत की सबसे बड़ी नदी गंगा की लंबाई 2525 किमी है। इसकी उत्तरप्रदेश में लंबाई 1150 किमी है।
यमुना नदी यमुनोत्री से 6330 मीटर की ऊंचाई से निकलती है और ताजेबाला नामक स्थान पर मैदानी भाग में प्रवेश करती है। इसकी कुल लंबाई 1376 किमी है।
तिब्बत के पठार में स्थित मापचा चुंग हिमनदी से घाघरा नदी निकलती है। इसकी कुल लंबाई 1080 किमी है।
सिंधु नदी की समस्त सहायक नदियों में से व्यास नदी का बहाव क्षेत्र पूर्णतया भारत में है।
हीराकुंड बांध विश्व का सबसे बड़ा लंबा नदी बांध है। इसे जल विद्युत तथा सिंचाई के अलावा महानदी के डेल्टाई क्षेत्रों में बाढ़ रोकने के लिए बनाया गया है। इसकी लंबाई 4.9 किमी है।
रामगुण्डम परियोजना गोदावरी नदी पर बनाई गई है।
रावी नदी का उद्गम स्थल हिमाचल प्रदेश की कुल्लू पहाड़ी में स्थित रोहतांग दर्रा है।
कोसी नदी तिब्बत के गोसाईधान चोटी से निकलती है इसकी मुख्यधारा का नाम अरूण है।
मैसूर, श्रीरंगपट्टनम, मेत्तूर, तिरूचिरापल्ली और तन्जावुर नगर कावेरी नदी के किनारे अवस्थित हैं।
हिमालय से निकलने वाली नदियां पूर्ववर्ती अपवाह प्रतिरूप का निर्माण करती हैं।
दक्षिण भारत की अधिकांश नदियां वृक्षाकार अपवाह प्रतिरूप का निर्माण करत हैं।
गण्डक नदी नेपाल चीन सीमा के निकटवर्ती स्थान से निकलकर मध्य नेपाल में बहने के बाद चंपारन जिले में प्रवेश करती है। इसके बाद सोनपुर में गंगा नदी में मिल जाती है।
चेमायुंगदुंग हिमानी से निकलकर ब्रम्हपुत्र नदी भारत में दिहांग नाम से प्रवेश करती है।
असोम में ब्रम्हापुत्र नदी पर अवस्थित माजुली द्वीप का कुल क्षेत्रफल 1250 वर्ग किमी है।
ईब, मॉड, हसदो तथा तेल महानदी की सहायक नदियां हैं।
कोयना, भाम, तुंगभद्रा, घाटप्रभा, आदि नदियां कृष्णा की सहायक नदियां हैं।
ब्रम्हापुत्र नदी को तिब्बबत में सांगपो के नाम से जाना जाता है।
शिवसमुद्रम जलप्रपात कावेरी नदी पर स्थित हैं
प्रवदा, पुरना, मनप्रा, पैन गंगा, वर्धा, प्राणहिता आदि नदियां गोदावरी की सहायक नदियां हैं।
सबसे बड़ा डेल्टा गंगा नदी बनाती है।
शारदा नदी प्रारंभ में गौरी गंगा के नाम से जानी जाती है। भारत-नेपाल सीमा के पास इसे काली नदी के नाम से जाना जाता है।
रामगंगा नदी, गंगा के बाएं तट पर मिलने वाली सबसे पहली एवं बड़ी सहायक नदी है।
मैतूर परियोजना की स्थापना तमिलनाडु राज्य में कावेरी नदी पर की गई है। मैतूर के पीछे स्टैनले सागर का निर्माण किया गया है।
ताम्रपर्णी नदी पर पापनाशम परियोजना का का निर्माण किया गया है।
शिवसमुद्रम परियोजना कर्नाटक में कावेरी नदी पर स्थापित की गई सबसे पुरानी जल विद्युत योजना है। कावेरी नदी पर कृष्णराज सागर जलागार का निर्माण भी किया गया है।
शरावती जल विद्युत परियोजना कर्नाटक के शिभोगा में शरावती नदी पर स्थापित की गई है। इसके अंतर्गत लिंगानमक्की जसागर का निर्माण किया गया है।
झारखण्ड में स्थित ऊपरी क्षेत्र में ब्राहाम्णी नदी को दक्षिणी कोयल के नाम से जाना जाता है।
चम्बल के अलावा भारत में केन तथा बेतवा नदियों द्वारा गार्ज बनाया जाता है।
बांग्लादेश में ब्रम्हापुत्र का नाम ‘जमुना‘ हो जाता है। जमुना के दाईं ओर आकर तिस्ता नदी मिलती है।
प्रायद्वीपीय भारत की दूसरी सबसे बड़ी नदी कृष्णा है।
प्रायद्वीपीय भारत की कावेरी नदी वर्षभर जल से भरी रहती है।
केरल राज्य में प्रवाहित होने वाली सबसे लंबी नदी पेरियार है।
भारत में गंगा के बाएं तट पर मिलने वाली अंतिम सहायक नदी महानंदा है।
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