मध्यप्रदेश की वृहद् सिंचाई परियोजनाएं {Major Irrigation Projects in Madhya Pradesh}
मध्यप्रदेश की वृहद् सिंचाई परियोजनाएं {Major Irrigation Projects in Madhya Pradesh}
मध्यप्रदेश की प्रमुख बहुउद्देशीय परियोजनाएं
नर्मदा घाटी परियोजना Narmada Ghati Pariyojna
- सरदार सरोवर बांध परियोजना
- इंदिरा सागर बांध परियोजना
- ओंकारेश्वर बांध परियोजना
- तवा परियोजना
- मान परियोजना
- जोबट परियोजना
नर्मदा घाटी परियोजना के अंतर्गत अपुर्ण परियोजनाएं
- महेश्वर परियोजना
- लोअरगोई परियोजना
- अपर वेदा परियोजना
चम्बल घाटी परियोजना ( चम्बल नदी)- Chambal Ghati Pariyojna
- प्रथम चरण- गांधी सागर योजना
- द्वितीय चरण- जवाहर सागर योजना
- तृतीय चरण- राणा प्रताप सागर बांध योजना
सरदार सरोवर बांध परियोजना (SARDAR SAROVAR DAM PARIYOJNA)
- यह मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान की संयुक्त परियोजना है।
- नर्मदा नदी पर स्थित यह बहुद्देशीय परियोजना है।
- वर्ष 1946 में सरदार बल्लभ भाई पटेल ने इस बांध के निर्माण के लिए पहली बार अध्ययन करवाया था।
- इस बांध का निर्माण कार्य 5 अपै्रल 1961 में शुरू हुआ था।
- 17 सितम्बर 2017 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने जन्मदिवस पर इस सरदार सरोव बांध का लोकापर्ण किया था।
- यह कांक्रीट निर्मित गुरूत्व बांध आयतन और आकार के लिहाज से दुनिया का दूसरा बड़ा बांध है। पहले स्थान पर अमेरिका का ग्रंाडकुली बांध है।
- सरदार सरोवर बांध जल निकासी के लिहाज से विश्व का तीसरा बड़ा बांध है।
- इस बांध की उंचाई 163 मीटर और लंबाई 1210 मीटर है।
- इस बांध में कुल 30 गेट बनाये गए हैं।
- खोसला समिति का सबंध सरदार सरोवर बांध से है।
- मुंबई के इंजीनियर जमदेशजी एम वाच्छा ने सरदार सरोवर डैम का प्लान बनाया था। जिसकी आधारशिला 56 साल पहले रखी गई थी।
- सरदार सरोवर बांध की नीव भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाला नेहरू ने 5 अप्रैल, 1961 में रखी थी।
- इस बांध ऊंचाई 163 और लम्बाई 1,210 मीटर है। सरदार सरोवर बांध दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बांध है। अमेरिका का ग्रांट कुली नंबर वन है।
- बांध के 30 दरवाजे हैं। प्रत्येक दरवाजे का वजन 450 टन है। हर दरवाजे को बंद करने में एक घंटे का समय लगता है।
- इससे 6000 मेगावॉट बिजली पैदा होगी। बिजली का सबसे अधिक 57% हिस्सा मध्य प्रदेश को मिलेगा। महाराष्ट्र को 27% और गुजरात को 16% बिजली मिलेगी। इससे राजस्थान के 4 करोड़ लोगों की प्यास बुझेगी।
- इस परियोजना से 18 लाख हेक्टेयर जमीन को लाभ होगा नर्मदा के पानी से नहरों के जरिए 9,000 गांवों में सिंचाई की जा सकेगी।
इंदिरा सागर बांध परियोजना (नर्मदा नदी) INDIRA SAGAR BANDH PARIYOJNA
- यह बहुद्देशीय परियोजना है। यह बांध नर्मदा नदी पर खंडवा जिले में नर्मदानगर में अवस्थित है।
- 23 अक्टूबर 1983 को इसका शिलान्यास किया गया था।
- इस बांध की लंबाई 653 मीटर तथा उंचाई 92 मीटर है।
- इस परियोजना में 29 वृहद्, 135 मध्यम तथा 3 हजार से ज्यादा लघु परियोजनाएं हैं।
- इंदिरा सागर बांध को गोसिखुर्द परियोजना के नाम से भी जाना जाता है।
- इस परियोजना से 1450 मेगावाट विद्युत उत्पादन किया जाएगा जिसमें 57 प्रतिशत मध्यप्रदेश को प्राप्त होगा।
- यह राज्य की तीन परियोजनाओं ओंकारेश्वर, महेश्वर तथा सरदार सरोवर बांध को जल आपूर्ति करती है।
ओंकारेश्वर परियोजना (नर्मदा नदी पर) OMKARESHWAR PARIYOJNA
- ओंकारेश्वर परियोजना, इंदिरा सागर परियोजना से 40 किमी अनुप्रवाह पर मध्य प्रदेश में स्थित है ।
- इस परियोजना में 949 मीटर लम्बा एवं 73 मीटर अधिकतम ऊँचाई वाला एक कांक्रीट बाँध मध्य प्रदेश के खण्डवा जिले में मांधता ग्राम के निकट नर्मदा नदी पर है ।
- मध्यप्रदेश के माननीय उच्च न्यायालय की जबलपुर ने ओंकारेश्वर जलाशय को आगे 189 मीटर के जलाशय स्तर पर बनाए रखने के आदेश दिए ।
बरगी परियोजना ( रानी आवंती बाई सागर परियोजना) {BARGI DAM PARIYOJNA}
- बरगी बांध नर्मदा नदी पर बना वृहद बांध है यह बांध जबलपुर के पास स्थित है।
- इस बांध का कार्य सन् 1974 में प्रारंभ हुआ था एवं 1990 में यह पूर्ण हो गया था । यह एक बहुउद्देशीय बांध है तथा इसके जलाशय से मत्स्य उद्योग एवं पर्यटन को भी बढ़ावा मिला है ।
- यह सयुक्त रूप से 5357 मीटर लम्बा मिट्टी के बांध के साथ 825 मीटर लम्बा मेसनरी बांध है ।
- परियोजना के बायीं तट नहर योजना के द्वारा जबलपुर एवं नरसिंहपुर जिलों के 2,19,800 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई की जा रही है । जलाशय से 170 मिलियन घन मीटर पेयजल की आपूर्ति भी हो रही है ।
- बरगी बांध से 90 मेगावाट जल विद्युत का उत्पादन भी हो रहा है तथा बायीं एवं दायीं तट नहर से 10 मेगावाट विद्युत का उत्पादन भी हो रहा है
- बरगी परियोजना की अनुमानित लागत 566.34 क़रोड़ रू है तथा 1982 के मूल्य स्तर के आधार पर बरगी डाइवर्सन की अनुमानित लागत 1,10,103 क़रोड़ रू है ।
तवा परियोजना TAVA PARIYOJNA
- तवा परियोजना नर्मदा की सहायक तवा नदी पर बनाया गया बांध है।
- यह मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले में स्थित है यह बांध 58 मीटर ऊँचा एवं 1815 मीटर लम्बा है ।
- बांध की अधिकतम ऊँचाई नींव की गहनतम सतह से 58 मीटर है ।
- इस बांध एवं नहर का निर्माण कार्य सन् 1978 में पूर्ण हो चुका है, इसकी संचयन क्षमता 1993 मिलियन घन मीटर है । इसकी वार्षिक अनुमानित सिंचाई क्षमता 3,32,720 हेक्टेयर है ।
मान परियोजना { MAN PARIYOJNA}
- मान परियोजना नर्मदा की सहायक मान नदी पर बना हुआ है .
- यह परियोजना जीराबाद गांव से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है
- मनावर शहर से 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ।
- यह बांध 53 मीटर ऊँचा एवं 643 मीटर लम्बा एक कम्पोजिट ग्रेविटी बांध है
- इस परियोजना में दायीं एवं बायीं नहर परियोजना भी कार्यरत है तथा इसके द्वारा 15000 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो रही है।
जोबट परियोजना { JOBAT PARIYOJNA}
- जोबट परियोजना नर्मदा की सहायक हथनी नदी पर बनाई गई है ।
- यह एक 38.60 मीटर एवं 462.50 लम्बा कम्पोजिट ग्रेविटी बांध है ।
- यह कुक्षी तहसील के वास्कल गांव में स्थित है ।
- इस परियोजना के द्वारा कुक्षी तहसील के 24 गांव के 9848 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की जा रही है ।
- इस परियोजना की परिवर्तित अनुमानित लागत 230.61 क़रोड़ रूपए है । इस बांध की संग्रहण क्षमता 77.84 मिलियन क्यूमेक है ।
महेश्वर जलविद्युत परियोजना { MAHESWAR PARIYOJNA}
- महेश्वर जलविद्युत परियोजना, ओंकारेश्वर बहुउद्देशीय परियोजना से लगभग 40 किमी अनुप्रवाह पर मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में मंडलेश्वर के निकट मुख्य नर्मदा नदी पर स्थित है ।
- इस परियोजना के अन्तर्गत 35 मीटर ऊँचाई का एवं 10475 मीटर लम्बा कांक्रीट बाँध बनाना प्रस्तावित है ।
- दाँये तट पर 400 मेगावॉट की कुल स्थापित विद्युत क्षमता (40 मेगावॉट विद्युत क्षमता की 10 यूनिटें) का एक सतह जल विद्युत गृह बनाना प्रस्तावित है ।
लोवरगोई परियोजना { LOVER GOI PARIYOJNA}
- यह परियोजना बड़वानी जिले की राजपूर तहसील के ग्राम पचपुला के निकट नर्मदा की सहायक गोई नदी पर प्रस्तावित है ।
- परियोजना की अनुमानित लागत रूपये 360.37 क़रोड़ रूपये है ।
- परियोजना से 13760 हे सिंचाई क्षमता निर्मित होगी ।
- परियोजना की नहर प्रणाली में 5.71 क़िमी लंबी सुरंग का निर्माण भी किया जायेगा ।
अपरबेदा परियोजना { UPPER VEDA PARIYOJNA}
- यह परियोजना खरगोन जिले की झिरन्या तहसील के ग्राम नैमित के पास नर्मदा की सहायक बेदा नदी पर प्रस्तावित है ।
- परियोजना के अंतर्गत बांध से 9900 हे सिंचाई क्षमता निर्मित करने का लक्ष्य है ।
- परियोजना में 208 मी लंबे और 37 मी ऊँचे कांक्रिट बांध तथा 2206 मी लंबे और 23.83 मी ऊंचे मिट्टी बांध का निर्माण किया जा रहा है ।
चम्बल घाटी परियोजना ( चम्बल नदी) { CHAMBAL GHATI PARIYOJNA}
- यह एक बहुद्देशीय परियोजना है। योजना अयोग द्वारा इस परियोजना का स्वीकृति वर्ष 1954 में दी गई।
- इस बांध का शिलान्यास वर्ष 1958 में किया गया था।
- चम्बल नदी पर स्थित यह मध्यप्रदेश और राजस्थान की संयुक्त परियोजना है।
- इसकी कुइस बांध का शिलान्यास वर्ष 1958 में किया गया था।
- चम्बल नदी पर स्थित यह मध्यप्रदेश और राजस्थान की संयुक्त परियोजना है।
- इसकी कुल लंबाई 514 मीटर तथा उंचई 62 मीटर है।
- इस परियोजना से मध्यप्रदेश ओर राजस्थान के लगभग 5 लाख 60 हजार हेक्टेयर भूमि की सिचाई होगी।
- इस बांध परियोजना से दो नहरों का किवास किया गया है। जिसमें दांयी और की नहर से मध्यप्रदेश तथा बायीं ओर की नहर से राजस्थान की भूमि सिचिंत होगी।
- इससे मध्यप्रदेश के दतिया, भिंड, मुरैना, श्योपुर जिले लाभान्वित होंगे।
इस बहुद्देशीय परियोजना का विकास तीन चरणों के आधार पर किया गया है। जिसमें कुल तीन बांधों ओर एक बैराज का निर्माण किया गया हैं इसके अंतर्गन बने बैराज को कोटा बैराज कहते हैं।
इसके चरण
- प्रथम चरण- गांधी सागर योजना
- द्वितीय चरण- जवाहर सागर योजना
- तृतीय चरण- राणा प्रताप सागर बांध योजना
गांधी सागर योजना { GANDHI SAGAR YOJNA}
- चम्बल घाटी परियोजना के प्रथम चरण में गांधी सागर बांध का निर्माण किया गया है।
- यह बांध मंदसौर जिले में अवस्थित है।
- इस बांध की लंबाई 514 मीटर तथा उंचाई 62.14 मीटर है।
- इसक निर्माण 1960 में पूरा हो गया। इसके अंतर्गत कुल 10 फाटकों का निर्माण किया गया है।
- इस बांध से से लगभग 11 लाख एकड़ भूमि की सिंचाई का लक्ष्य रखा गया हैं
जवाहर सागर योजना- {JAWHAR SAGAR YOJNA }
- चम्बल परियोजना के दूसरे चरण में जवाहर सागर बांध का विकास किया गया हे।
- इसका निर्माण 1973 में पूर्ण हो गया हैं
- यह राजस्थान के कोटा में अवस्थित है।
- इसकी लंबाई लगभग 343 मीटर और उंचाई 36 मीटर है।
राणाप्रताप सागर बांध- { RANA PRATAP SAGAR BANDH }
- यह चंबल परियोजना का तीसरा और अंतिम चरण है।
- चम्बल नदी पर अवस्थित यह बांध राजस्थान के चित्तौडगढ़ में स्थित है।
- इसकी लंबाई 1143 मीटर तथा उंचाई 54 मीटर है।
- इसका निर्माण कार्य वर्ष 1970 में पूरा हो गया हैं
कोटा बैराज योजना- { KOTA BERAJ }
- यह कोटा में अवस्थित है।
- इसकी लंबाई 551 मीटर है।
- इस बैराज से चंबल की दो नहरों का विकास किया गया है।
- कोटा बैराज का निर्माण वर्ष 1960 में पूरा हो गया है।
बैराज- बैराज, बांध की अपेक्षाकृत छोटा होता है तथा जल निकासी के लिए नहारो का निर्माण तथा नहरों के लिए पानी बैराज से ही छोड़ा जाता है।
बाणसागर परियोजना ( सोन नदी ) { BANSAGAR PARIYOJNA}
- शहड़ोल जिले में सोन नदी पर स्थापित बाणसागर एक अंतर्राज्यीय ऊर्जा एवं बहुद्देशीय सिंचाई परियोजना है।
- यह मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, तथा बिहार की संयुक्त परियोजना है।
- इस बांध की आधारशिला वर्ष 1978 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई द्वारा रखी गई थी।
- वर्ष 2006 में यह बांध परियोजना पूरी तरह बनकर तैयार हो गयी।
- इस बांध का लोकार्पण पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा 25 सितम्बर 2006 को किया गया।
- इस परियोजना से मध्यप्रदेश के लगभग 1.54 लाख हेक्टेयर में सिंचाई की व्यवस्था होगी।
- इस परियोजना से मध्यप्रदेश के शहड़ोल, सतना तथा रीवा जिले लाभान्वित होंगे।
- इस बांध की विद्युत उत्पादन क्षमता 425 मेगावाट है।
- इस परियोजना में मुख्य बांध की लंबाई 1020 मीटर व अधिकतम उंचाई 67 मीटर है।
सिंचाई परियोजनाएं MP KI SICHAI PARIYOJNA
Minor Irrigation Project of MP
2 हजार हेक्टेयर से कम सिंचाई क्षमता वाली परियोजनाएं इसके अंतर्गत आती हैं। इसके अंतर्गत कुआं, नलकूप, पम्पसेट इत्यादि आते हैं।
मध्यम सिंचाई परियोजनाएं-
2 हजार हेक्टेयर से 10 हजार हेक्टेयर के बीच की सिंचाई क्षमता वाली परियोजनाएं मध्यम परियोजनाओं के अंतर्गत आती हैं। इसके अंतर्गत नहरें, छोटे बांध तथा बैराज आते हैं।
वृहद् सिंचाई परियोजनाएं-
10 हजार हेक्टेयर से अधिक सिंचाई क्षमता वाली परियोजनाएं इसकें अंतर्गत आती हैं। वृहद सिंचाई परियोजनाओं से देश की 38 प्रतिशत सिंचाई आवश्कता पूरी होती है।
प्रदेश में नहरों से सिंचाई किये जाने वाले प्रमुख क्षेत्र-
चम्बल क्षेत्र- भिंड, मुरैना, ग्वालियर तथा अशोकनगर जिलों में सिंचाई की प्रमुख साधन नहर है।
विदिशा और रायसेन।
बुंदेलखण्ड क्षेत्र- टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, सागर इत्यादि जिलों में नहरो से सिंचाई प्रमुखता से होती है।
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