इटालियन गद्य का जनक कहानीकार ‘बाकेशियो‘ को माना जाता है। उनकी प्रसिद्ध रचना डेकामेरॉन है।
पुनर्जागरण काल में चित्रकला का जनक ‘जियाटो‘ को माना जाता है। पुनर्जागरण काल का सर्वश्रेष्ठ निबंधकार ‘ फा्रन्सिस बेकन को माना जाता है।
धर्म सुधार आंदोलन की शुरूआत 16वीं सदी में जर्मनी में हुई। धर्म सुधान आंदोलन का प्रवर्तक मार्टिन लूथर को माना जाता है।
अमेरिका की खोज क्रिस्टोफर कोलम्बर ने की थी। लेकिन अमेरिका का नामकरण इटली के निवासी अमेरिगो बेस्पुसी के नाम पर पड़ा है।
अमेरिकी महाद्धीप को यूरोपियों द्वारा ‘नई दुनिया‘ कहा गया। कोलम्बस ने अमेरिका को भारतीय उपमहाद्धीप का हिस्सा समझकर यहां के निवासियों को रेड इंडियन कहा था।
फ्रंासीसी शल्य चिकित्सक एम्ब्रायज पारे ने आधुनिक शल्य चिकित्सा में नई तकनीक का विकास किया, जिसमें था रक्त वाहिनियों को टांके लगाकर सीना न कि उन्हें गर्म लोहे से दागकर बंद करना।
1453 ई. में उस्मानी तुर्को ने बाइजेण्टाईन सामा्रज्य की राजधानी कस्तुतुनिया पर कब्जा कर लिया और पूर्वी रोमन सामा्रज्य का सूर्य सदा के लिए अस्त हो गया।
इंग्लैण्ड में गृहयुद्ध 1642 ई. में चार्ल्स प्रथम के शासनकाल में हुआ था। इंग्लैण्ड में गौरवपूर्ण क्रांति 1688 ई. में हुई थी उस समय इंग्लैण्ड का शासक जेम्स द्वितीय था।
ब्रिटेन में उत्तराधिकार के लिए गुलाबों का युद्ध वर्ष 1455 से 1487 के बीच में हुआ था। सौ वर्षीय युद्ध (1337-1453) इंग्लैण्ड और फ्रांस के बीच हुआ था।
1603 में इंग्लैण्ड में स्टुअर्ट राजवंश का शासन शुरू हुआ जिसका राजा जेम्स प्रथम बना, जो स्कॉटलैंड से आया था।
औद्योगिक क्रांति शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग फ्रांस के समाजवादी नेता ब्लांकी ने वर्ष 1837 में किया था। जिसके बाद यह शब्द सामान्य रूप से प्रयोग किया जाने लगा।
1702 ई. के लगभग टॉमस न्यूकॉम ने पहला वाष्प का इंजन बनाया। जिसका व्यापक उपयोग कोयले की खानों में से पानी फेंकने के काम में किया जाता था।
वर्ष 1829 में जॉर्ज स्टीफेन्सन ने अपने स्वनिर्मित इंजन से लिवरपूल और मैनचेस्टर के बीच तेज रफ्तार से रेलगाड़ी चलाकर रेल परिवहन के युग की शुरूआत की थी।
1776 ई. में एडम स्मिथ कीे युगान्कारी पुस्तक ‘वेल्थ ऑफ नेशन्स‘ प्रकाशित हुई। जिसमें वाणिज्यवाद की नियामक तथा एकाधिपरक अवधारणाओं की आलोचना की गई।
चार्ल्स फॉरियर एक महत्वपूर्ण यूरोपियन विचारक था, जो आधुनिक औद्योगिकवाद का विरोधी था। फ्रांसीसी यूरोपियन चिंतकों में एकमात्र लुई ब्लां ऐसे व्यक्ति थे जिसने राजनीति में हिस्सा लिया था।
फ्रांस के बाहर सबसे महत्वपूर्ण यूरोपियन चिंतक रॉबर्ट ओवन उद्योगपति था। जिसने इंग्लैण्ड के न्यू लूनार्क नामक स्थान पर एक फैक्टरी स्थापित की थी।
‘दुनिया के मजदूरों एक हो‘ यह नारा कार्ल मार्क्स ने दिया था।
सप्तवर्षीय युद्ध (1765-1763 ई0) इंग्लैण्ड एवं फ्रंास के बीच हुआ था। जिसने अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम पर गहरा प्रभाव डाला।
1776 ई. में टॉमस पेन की लघुपत्रिका ‘कॉमनसेन्स‘ प्रकाशित हुई। जिसमें लेखक टॉमस जैफरसन ने उपनिवेशवासियों के विद्रोह करने के अधिकार का समर्थन किया और उनकी बढ़ती हुई स्वतंत्रता की इच्छा को प्रोत्साहन दिया।
1781 ई. में उपनिवेशी सेना के सम्मुख आत्मसर्पण करने वाला ब्रिटेन का सेनापति लॉर्ड कॉर्नवालिस था।
‘‘प्रजातंत्र जनता का, जनता के द्वारा और जनता के लिए शासन है।‘‘ यह प्रसिद्ध उक्ति अब्राहम लिंकन की है।
अमेरिकी गृहयुद्ध की समाप्ति 26 मई, 1865 को हुई। अब्राहम लिंकन की 4 मार्च 1865 को जॉन विस्कस बूथ ने हत्या कर दी थी।
18वीं शताब्दी में फांसीसी समाज तीन एस्टेट्स अर्थात श्रेणी में बंटा हुआ था। दूसरे एस्टेट में अभिजात वर्ग तथा तीसरे एस्टेट में सामान्य लोग तथा प्रथम एस्टेट में पादरी थे।
नेशनल असेम्बली के आलोचकों में जैकोबिन क्लब के सदस्य प्रमुख थे। जैकोबिन क्लब पेरिस के भूतपूर्व ‘कॉन्वेण्ट ऑफ सेण्ट जैकब‘ के नाम पर रखा गया था। इसका नेता मैक्समिलियन रॉब्सपियर था।
5 मई 1789 को धन की आवश्यकता को पूरा करने के लिए लुई सोलहवें ने स्टेट्स जनरल की बैठक बुलाई। तृतीय स्टेट्स की बात नहीं स्वीकार करने पर उन्हें अपनी सभा को नेशनल असेम्ब्ली का नाम दिया।
नेपोलियन का जन्म 15 अगस्त, 1769 को कोर्सिका द्वीप की राजधानी अजासियो में हुआ था। उसके पिता का नाम कार्लो बोनापोर्ट था। नेपोलियन वर्ष 1804 में फ्रांस का सम्राट बना था।
नेपोलियन की पत्नी जोजेफाईन को तलाक देकर ऑस्ट्रियां की राजकुमारी मोरिया लुइसा से शादी की। नेपोलियन का लिटिल कॉर्पोरल के नाम से भी जानाजाता है।
नेपोलियन ने ब्रिटेन के सैनिक आकादमी में शिक्षा प्राप्त की थी। फ्रंास में डायरेक्टरी के शासन का अंत 1799 ई. में हुआ। नेपोलियन 1799 ई. में प्रथम कॉन्सल बना।
‘‘यदि समाज में क्रांति लानी हो तो क्रांति का नेतृत्व नवयुवकों के हाथ में दे दो।‘‘ यह प्रसिद्ध कथन ग्यूसेप मेजिनी का है।
वर्ष 1851 में काउण्ट कावूर सार्डिनिया का प्रधानमंत्री बना, जो मानता था कि देश का एकीकरण बिना किसी विदेशी सहायता के संभव नहीं है।
वर्ष 1859-60 में उत्तरी इटली में जो क्रांति हुई उसकी लहर दक्षिणी राज्यों सिसली एवं नेपल्स में फैली। दक्षिणी इटली का एकीकरण गैरीबाल्डी के नेतृत्व में हुआ था।
वर्ष 1815 से 1850 के बीच जर्मन साम्राज्य पर ऑस्ट्रिया का आधिपत्य था। इस समय ऑस्ट्रिया का चांसलर मेटरनिक था।
सेडान के युद्ध के बाद फ्रंास और प्रशा के बीच 10 मई, 1871 को फ्रैंकफर्ट की संधि हुई जिसके बाद जर्मनी का एकीकरण संभव हो सका।
बिस्मार्क का मानना था कि ‘‘समकालीन महान प्रश्नों का समाधान भाषणों और बहुमत द्वारा नहीं, वरन रक्त और लोहे द्वारा ही किया जा सकता है‘‘।
लेनिन ने चेका का संगठन किया था। लेनिन ने भूमि, शांति और रोटी का नारा दिया था। उसने बोल्शेविक का दल कार्यक्रम को स्पष्ट किया था जिसे अप्रैल थीसिस के नाम से जाना जाता है।
सर्वप्रथम क्रीमिया के युद्ध में रूस की पराजय से देश में सुधारों का युग आरम्भ हुआ। इसके पश्चात वर्ष 1904-05 में रूस जापान से पराजित हुआ। जिसने रूस में पहली क्रांति को जन्म दिया।
रूस का पहला साम्यवादी प्लेखानोव था। जो रूस में जारशाही की निरंकुश्ता समाप्त करके साम्यवादी व्यवस्था की स्थापना करना चाहता था।
वर्ष 1905 की क्रांति के बाद रूस की प्रतिनिधि संस्था ड्यूमा का गठन हुआ।
प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान ‘युद्ध का अंत करो‘ का नारा लेनिन ने दिया था। स्थायी क्रांति का सिद्वांत का प्रवर्तक ट्राटस्की था। आुधनिक रूस का निर्माता स्टालिन को माना जाता है।
वर्ष 1905 में सनायत सेन ने तुंग मेंग दल की स्थापना की थी। जिसका उद्देश्य चीन में मंचू वंश के शासन को समाप्त करना था। मंचू राजवंश का पतन वर्ष 1911 में हुआ।
वर्ष 1911 में हुई चीनी क्रांति का नायक सनायत सेन था। 29 दिसम्बर 1911 में उनको क्रांतिकारियों ने सरकार का अध्यक्ष चुना। सनायत सेन ने कोवीनेड लीग सोसायटी संस्था की स्थापना की थी।
चीन में कोमितांग दल का संस्थापक डॉ. सनायत सेन को चीन का राष्ट्रपिता कहा जाता है। उसकी मृत्यु वर्ष 1925 में हुई थी।
माओत्से तुंग का जन्म वर्ष 1893 में हुनान में हुआ था। उसने वर्ष 1925 में हुनान के विशाल किसान आंदोलन का नेतृत्व किया था। चीन में गृहयुद्ध वर्ष 1928 में शुरू हुआ था।
चीन में खुले द्वार की नीति अपनाई गई थी। इसे खोलने का श्रेय ब्रिटेन को दिया जाता है। खुले द्वार की नीति का प्रतिपादक जॉन हे था।
वर्ष 1914 से 1918 तक चले प्रथम विश्वयुद्ध में संपूर्ण विश्व दो खेमों में बंट गया था- मित्र राष्ट्र एवं धुरी राष्ट्र। प्रथम विश्वयुद्ध में 37 देशों ने भाग लिया था।
गुप्त संधियों की प्रणाली का जनक बिस्मार्क को माना जाता है। जिसके कारण पूरे यूरोप में गुप्त संधियों की परम्परा चल पड़ी और विश्व युद्ध की आगाज हुई।
प्रथम विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद जनवरी 1919 में वुडरो विल्सन ने शांति का एक कार्यक्रम प्रस्तुत किया था। जिसे चौहर सूत्रों के नाम से जाना जाता है।
प्रथम विश्वयुद्ध के बाद ही यूरोपीय देशों में औरतों को मताधिकार मिला। पहली बार ग्रेट ब्रिटेन में औरतों को मताधिकार वर्ष 1918 में मिला था।
प्रथम विश्वयुद्ध के बाद हुई संधियों में वर्साय की संधि को थोपी गई संधि कहा जाता है।
जापान और जर्मनी के साथ मुसोलिनी ने ‘रोम-बर्लिन-टोकियो धुरी‘ का निर्माण वर्ष 1936 में किया था।
हिटलर का जन्म 20 अप्रैल, 1889 को बॉन में हुआ था। वह जर्मन वर्कस पार्टी का सदस्य था। हिटलर की आत्मकथा का नाम मीन कैम्फ है।
हिटलर की विस्तारवादी नीति का पहला शिकार ऑस्ट्रिया हुआ। उसने 1 सितम्बर 1939 को पोलैण्ड पर आक्रमण किया, जिससे द्वितीय विश्वयुद्ध का प्रारंभ हुआ।
नाजीवाद राजा की निरंकुश शक्ति पर बल प्रदान करता था। नाजी पार्टी का प्रतीक चिन्ह स्वास्तिक था। सत्ता में आते ही हिटलर ने गुप्तचर पुलिस का गठन किया, जिसे गेस्टापों कहा जाता था।
हिटलर ने वर्ष 1933 में राष्ट्रसंघ की सदस्यता छोड़ने की घोषणा कर दी तथा वर्ष 1935 में वर्साय की संधि निःशस्त्रीकरण संबंधी सभी धाराओं को तोड़ने की घोषणा की। हिटलर ने पोलैण्ड के साथ वर्ष 1934 में दस वर्षीय अनाक्रमण संधि की।
द्वितीय विश्वयुद्ध 1 सितम्बर, 1939 का आरंभ हुआ था, जो वर्ष 1945 तक चला था। हिटलर ने 30 अप्रैल 1945 को आत्महत्या कर ली थी।
जर्मनी की ओर से द्वितीय विश्वयुद्ध में इटली का प्रवेश 10 जून, 1940 को हुआ। संयुक्त रूप से इटली एवं जर्मनी का पहला शिकार स्पेन बना था।
जापान ने 7 दिसम्बर 1941 को हवाई द्वीप स्थित ‘पर्ल हार्बर‘ के अमेरिकी नौसैनिक अड्डे पर जबरदस्त हमला करके प्रशांत महासागर स्थित बेड़े को तहस-नहस कर दिया था। जिसके बाद 7 दिसम्बर 1941 को अमेरिका ने जापान के विरूद्ध युद्ध की घोषणा की थी।
जर्मनी, इटली तथा जापान के में एक संयुक्त समझौता हुआ, जो ‘कामिण्टर्न विरोधी समझौते‘ के नाम से विख्यात हुआ। यह समझौता साम्यवादी रूस के विरूद्ध वर्ष 19347 में हुआ था।
रिपब्ल्किन पीपुल्स पार्टी का संस्थापक मुस्तफा कमाल पाशा था। 23 अक्टूबर 1923 को तुर्की गणतंत्र की घोषणा हुई थी। तुर्की के नए गणतंत्र का राष्ट्रपति मुस्तफा कमाल पाशा हुआ। तुर्की में नए संविधान की घोषणा 20 अप्रैल 1924 को हुई थी।
मुस्तफा कमाल पाशा ने वर्ष 1925 में तुर्की में ग्रिगेरियन कैलेण्डर का प्रचलन किया। तुर्की में पुरूषों को टोपी और औरतों को बुरका पहनने पर कानूनी प्रतिबंध लगाया था। मुस्तफा कमाल पाशा की मृत्यु वर्ष 1938 में हुई थी।
राष्ट्रसंघ के परिषद की भूमिका कार्यकारिणी परिषद के रूप में थी। इंग्लैण्ड, फा्रंस, जापान तथा इटली इसके संस्थापक एवं स्थायी सदस्य थे। बाद में रूस एवं जर्मनी को भी स्थायी सदस्यता मिली। अस्थायी सदस्य के रूप में 9 छोटे छोटे राज्य थे।
फ्रांस द्वारा हिन्द चीन को अपना उपनिवेश बनाने का प्रारंभिक उद्देश्य डच एवं ब्रिटिश कंपनियों के व्यापारिक प्रतिस्पर्द्धा का सामना करना था। हिन्द-चीन में बसने वाले फां्रसीसी कोलोन कहे जाते थे।
27 फरवरी, 1973 को पेरिस में वियतनाम युद्ध की समाप्ति के समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। समझौते के अनुसार युद्ध समाप्ति के 60 दिनों के अंदर अमेरिकी सेना वापस चली गई।
उत्तरी एवं दक्षिणी वियतनाम का एकीकरण अप्रैल 1975 में हुआ।
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