Shabd Aur Pad शब्द और पद, पद के भेद, संज्ञा- Hindi Grammar
शब्द और पद-
जब शब्द स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त होता है और वाक्य के बाहर होता है तो वह ‘शब्द‘ होता है, किन्तु जब शब्द वाक्य के अंग के रूप में प्रयुक्त होता है तो इसे ‘पद‘ कहा जाता है। अर्थात् स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त होने पर शब्द ‘शब्द‘ कहलाता है, किन्तु वाक्य के अंतर्गत प्रयुक्त होने पर शब्द ‘पद‘ कहलाता है।
पद के भेद-
पद के पांच भेद होते हैं-
- संज्ञा
- सर्वनाम
- विशेषण
- क्रिया
- अव्यय।
संज्ञा Noun
परिभाषा- संज्ञा को ‘नाम‘ भी कहा जाता है। किसी प्राणी, वस्तु, स्थान, भाव आदि का ‘नाम‘ ही उसकी संज्ञा कही जाती है।
दूसरे शब्दों में किसी का नाम ही उसकी संज्ञा है तथा इस नाम से ही उसे पहचाना जाता है। संज्ञा न हो तो पहहचान अधूरी है और भाषा का प्रयोग भी बिना संज्ञा के संभव नहीं है।
संज्ञा के प्रकार-
संज्ञा तीन प्रकार की होती है
- व्यक्तिवाचक संज्ञा
- जातिवाचक संज्ञा
- भाववाचक संज्ञा
व्यक्तिवाचक संज्ञा-
जो किस स्थान या वस्तु का बोध कराती है। जैसे- राम, गंगा, इंदौर, सिवनी, आदि
जातिवाचक संज्ञा-
जो संज्ञा किसी जाति (समूह) का बोध कराती है, वे जातिवाचक संज्ञा कही जाती हैं। जैसे- नदी, पर्वत, लड़की आदि।
‘नदी‘ जातिवाचक संज्ञा है क्योंकि यह सभी नदियों को बोध कराती है किन्तु गंगा एक विशेष नदी का नाम है इसलिए ‘गंगा‘ व्यक्तिवाचक संज्ञा है।
जातिवाचक संज्ञा के दो भेद हैं-
द्रव्यवाचक संज्ञा- जिस संज्ञा शब्द से उस सामग्री या पदार्थ का बोध होता है जिससे कोई वस्तु बनी होती है। जैसे- सोना, चॉदी, तॉबा, लोहा आदि।
समूहवाचक संज्ञा- जो संज्ञा शब्द किसी एक व्यक्ति का वाचक न होकर समूह/समूदाय के वाचक हैं। जैसे वर्ग, टीम, सभा, समिति, परिवार आदि।
भाववाचक संज्ञा- किसी भाव, गुण, दशा आदि का ज्ञान कराने वाले शब्द भाववाचक संज्ञा होते हैं। जैसे- क्रोध, मिठास, यौवन, कालिमा आदि।
भाववाचक संज्ञाओं का निर्माण जातिवाचक संज्ञा शब्दों से, सर्वनाम से, विशेषण से तथा अव्यय से किया जा सकता है।
जैसे पुरूष जातिवाचक संज्ञा से पुरूषत्व भाववाचक संज्ञा
नारी जातिवाचक संज्ञा से नारीत्व भाववाचक संज्ञा
अपना सर्वनाम से अपनत्व भाववाचक संज्ञा
सुन्दर विशेषण से सुन्दरता, सौन्दर्य भाववाचक संज्ञा
दूर अव्यय से दूरी भाववाचक संज्ञा
संज्ञा का पद-परिचय-
वाक्य में प्रयुक्त शब्दों का पद परिचय देते समय संज्ञा, उसका भेद, लिंग, वचन, कारक एवं अन्य पदों से उसका संबंध बताना चाहिए।
जैसे- राम ने रावण को मारा।
राम- संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुलिंग, एकवचन, कर्ता, कारक, ‘मारा‘ क्रिया का कर्ता।
रावण- संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुलिंग, एकवचन, कर्म कारक, ‘मारा‘ क्रिया का कर्म।
बाण- संज्ञा, जातिवाचक, पुलिंग, एकवचन, करण कारक ‘मारा‘ क्रिया का साधन
पद परिचय में वाक्य के प्रत्येक पद को अलग-अलग करके उसका व्याकरणिक स्वरूप बताते हुए अन्य पदों से उसका संबंध बताना पड़ता है। इसे अन्वय भी कहते हैं।
संज्ञा का रूप में परिवर्तन लिंग, वचन, कारक के अनुरूप होता है।
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