कश्मीर तथा सिंध के राजवंश | Kashmir ke Rajvansh
कश्मीर के राजवंश
कश्मीर पर मुख्य रूप से तीन राजवंशों ने शासन किया-
- 01 काकोटि वंश
- 02 उत्पल वंश एवं
- 03 लोहार वंश।
काकोटि वंश
- ललितादित्य मुक्तापीड़ (724-760 ई. ) इस वंश का एक प्रमुख शासक था। उसने चीन में अपना एक दूत भेजा था। इसने मार्तण्ड मंदिर का निर्माण भी कराया था।
- जयपिंड विनायादित्य ( 770-810 ई. ) विद्वानों का संरक्षक था तथा इसके दरबार में दामोदर गुप्त, क्षीर, उद्भट आदि विद्वान थे।
उत्पल वंश
- काकोटि वंश के बाद 9वीं शताब्दी में अवंतिवर्मन ने उत्पल वंश की स्थापना की। उसने कृषि के विकास के लिए कई नहरों का निर्माण कराया तथा कई नगरों की स्थापना की। इसके दरबार में रत्नाकर और आनंदवर्धन नामक दो प्रसिद्ध कवि थे।
- गोपालवर्मन ने अपनी माता सुगंधा के संरक्षण में शासन किया। 939 ई. में उत्पल वंश का अंत हो गया।
लोहार वंश
- ब्राह्मणों की सभा ने यशस्कर को कश्मीर का शासक चुना यशस्कर ने लोहार वंश की नींव डाली।
- क्षेमगुप्त (950-958 ई.) के निधन के बाद उसकी विधवा दिद्दा ने शासन संभाला तथा अगले 50 वर्षो तक शासन किया। इस वंश की एक अन्य शासिका सूर्यमती का नाम भी प्रसिद्ध है।
सिंध के राजवंश
- सातवीं शताब्दी के अंतिम दशकों में सिंध में एक बौद्ध ने अपना शासन स्थापित किया था। किंतु कुछ समय बाद उसके ब्राह्मण मंत्री चच ने सिंध पर अधिकार कर लिया और स्वयं शासक बन गया।
- चच के बाद इसका पुत्र दाहिर शासक बना। दाहिर के समय में इराक के हाकिम हज्जाज ने मुहम्मद बिन कासिम के नेतृत्व में अरबों को सिंध पर आक्रमण करने के लिए भेजा। 712 ई. में दाहिर को हराकर सिंध पर अरबों ने अधिकार कर लिया था। यह भारत में किया गया पहला मुस्लिम आक्रमण था।
- 9 वीं शताब्दी में सिंध पर शाही वंश ने शासन किया।इस वंश का संस्थापक कल्लर नामक एक ब्राह्मण मंत्री था। इसी समय सुबुक्तगीन तथा उसके पुत्र महमूद गलवनी ने इस क्षेत्र मेें आक्रमण किया तथा राजपूत शासक जयपाल को पराजित किया। इस पराजय से दुखी होकर जयपाल ने 1001-1002 में आत्महत्या कर ली।
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