मौर्य साम्राज्य ( Maurya Empire)
मौर्य साम्राज्य
सिकंदर के
आक्रमण और वंश के पतन के बाद मगध में मौर्य वंश ने अपना राज्य स्थापित किया।
सिकंदर के आक्रमण के बाद चंद्रगुप्त मौर्य ने चाणक्य की सहायता से नंदों को हरा
दिया तथा मगध में मौर्य साम्राज्य की स्थापना की।
- यूनानी एवं रोमन लेखक प्लूटार्क स्टैबों टॉलेमी डायोडोरस, कर्टियस, एरियन जस्टिन, मेगस्थनीज आदि विद्वान् इतिहासकार मौर्यकाल से संबंध में जानकारी देते है। इनमें से मेगस्थनीज सबसे प्रसिद्ध था। यह सेल्युकस का ‘ राजदूत था, जो मौर्यकाल के संबंध में जानकारी देता है। इसने ‘ इडिका ‘ नामक पुस्तक लिखी।
चंद्रगुप्त
मौर्य
- चंद्रगुप्त मौर्य के प्रारंभिक जीवन के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। चंद्रगुप्त को चाणक्य ( विष्णुगुप्त या कौटिल्य ) ने राजकार्य की शिक्षा दी।
- चंद्रगुप्त को यूनानी ग्रन्थों में‘ सेण्ड्रोकोट्स ‘ कहा जाता था।
- चंद्रगुप्त मौर्य 322 ई. पू. में मगध का शासक बना था। उसका शासनकाल 322 ई.पू. से 298 ई.पू. के बीच था।
- चंद्रगुप्त मौर्य ने सेल्युकस के विरूद्ध युद्ध किया। इस युद्ध में सेल्युकस पराजित हुआ और उसनें चंद्रगुप्त से एक सिंध कर ली। इससे चंद्रगुप्त को एरिया ( हेरात)अराकोसिया ( कंधार ), पेरोपनिसडाई (काबुल), तथा जेड्रोसिया मिल गये तथा सेल्युकस ने अपनी एक पुत्री का विवाह चंद्रगुप्त के साथ कर दिया।
- सेल्युकस सुराष्ट्र या सौराष्ट्र प्रदेश में वैश्य पुष्यगुप्त चंद्रगुप्त के राज्यपाल के रूप में कार्य कर रहा था तथा इसी ने सुदर्शन नामक झील का निर्माण कराया था।
बिंदुसार
- चंद्रगुप्त के बाद उसका पुत्र बिन्दुसार मौर्या का शासक बना। इसकी उपाधि ‘ अमित्रघात‘ (शत्रुओं का नाश करने वाला ) थी।
- बिम्बिसार ने 298 ई.पू.से 273 ई.पू. तक शासक किया। इसने राजगृह को मगध की राजधानी बनाया।
- सीरिया के राजा एण्टियोकस ने डायमेंकस तथा मिस्र के राजा टालमी द्वितीय फिलाडेल्फस ने डाइनोसियस नामक राजदूत मौर्य दरबार में भेजा था।
अशोक
- बिंदुसार की मृत्यु के बाद उसका पुत्र अशोक मौर्य साम्राज्य का शासक बना।
- अशोक 273 ईसा पूर्व में शासक बना लेकिन उसका विधिवत राज्याभिषेक इसके चार वर्ष बाद 269 ई.पू. में हुआ था।
- बिंदुसार के समय में अशोक अवंन्ति ( उज्जयिनी) का राज्यापाल था।
- अशोक ने तक्षशिला में हुए विद्रोह को भी शांतिपूर्वक दबाने में सफलता प्राप्त की थी।
- अशोक के अभिलेखों में उसे ‘ देवानांपिय‘ देवानांपियदिस ‘ तथा ‘राजा ‘ आदि उपाधियों से सम्मानित किया गया है। मास्की तथा गुर्जरा के लेखों में उनका नाम‘ अशोक‘ मिलता है, जबकि पुराणों में उसे ‘ अशोक वर्धन‘ कहा गया है।
- अपने शासक के आठवें वर्ष ( 261 ई.पू.) में अशोक ने कलिंग पर आक्रमण किया। इस युद्ध में अशोक विजयी रहा तथा उसने कलिंग को मौर्य साम्राज्य का अंग बना लिया। परंतु, कलिंग-युद्ध अशोक का पहला और अतिंम युद्ध था।
- अशोक ने लगभग 37 वर्षों तक शासन किया और 236 ई.पू. में उसकी मृत्यु हो गई। अशोक भारतीय इतिहास में अपनी प्रजा के नैतिक उत्थान के लिये अशोक ने आचारों की एक संहिसा प्रस्तुत की जिसे उसके अभिलेखों में ‘ धम्म‘ कहा गया है।
- अशोक ने ‘ धम्म‘ की परिभाषा दी है वह राहुलोवाद सूक्त से ली गयी है।
- धम्म के कारण ही अशोक भारतीय इतिहास का सर्वश्रेष्ठ शासक माना जाता है।
- अपने राज्याभिषेक के बारहवें वर्ष में अशोक निगालिसागर गया तथा कनकमुनि के स्तूप का आकार बढ़ावाया।
- धम्म में अनुशासन के लिये अशोक ने अपने राज्यारोहण के तेरहवें वर्ष में धर्म महामात्रों की नियुक्ति की। राज्याभिषेक से संबधित एक लघु शिलालेख में अशोक ने अपने को ‘ बुद्धशाक्य‘ कहा है।
अशोक के अभिलेख
- अशोक चार प्रकार के अभिलेख हैं-1- शिलालेख 2- लघु शिलालेख 3- स्तूप लेख एवं 4-अन्य अभिलेख।
- अशोक अभिलेखों की चार भाषाओं- प्राकृत, ईरानी, आरमाइक एवं पालि का प्रयोग किया गया है। और उन्हें आरमेइक, यूनानी, ब्राह्मी तथा खरोष्ठी लिपि में लिखा गया है। मानसेहरा और शाहबाजगढ़ी से प्राप्त अभिलेखों में खरोष्ठी लिपि का प्रायोग हुआ है। और कंधार अभिलेख में यूनानी और आरमेइक लिपि का प्रायोग हुआ,जबकि अन्य सभी अभिलेखों में ब्राह्मी लिपि का उपयोग हुआ है।
शिलालेखः
- 1 शाहबाजगढ़ी-पाकिस्तान, 2 धौली-उड़ीसा 3 जौगढ़-उड़ीसा 4 येर्रागुडी-आंध्रप्रदेश 5 मानसेहरा-पाकिस्तान 6 कालसी-देहरादून 7 सोपारा-महाराष्ट्र एवं 8 गिरनार-सौराष्ट्र।
लघु शिलालेखः
- 01 सहसराय 02 ब्रह्मागिरि 03 सिद्धपुर 04 अहरौरा 05 रूपनाथ 06 गुर्जरा 07- बैराट 08 मास्की 09 गाविमथ 10 पालकीगुण्डू 11 रजूल 12 मण्डगिरि जटिंगरामेश्वर एवं 13 येर्रागुडी।
स्तूपलेखः
- 01 रामपुर्वा 02 इलाहाबाद 03 लौरिया अरेराज 04 दिल्ली-टोपरा 05 दिल्ली मरेठ एवं 06 लौरिया-नंदनगढ़।
अन्य अभिलेख:
- 01 बराबर 02 रूम्मिन्द्रेई 03 इलाहाबाद 04 निगलीसागर 05 सांची 06 सारनाथ एवं 07 वैराट।
- अशोक का प्रथम अभिलेख 1750 में दिल्ली में टीफैन्थेलर ने खोजा था।
- प्रथम शिलालेख में अशोक ने पशुबलि गोष्ठियों एवं आनदपूर्ण समारोहों का निषेध किया है।
- द्वितीय शिलालेख में अशोक ने सातियपुत्र, केरलपुत्र चोल पाण्ड्य, श्रीलंका, एंटियोक आदि का उल्लेख किया है।
- तृतीय शिलालेख में अशोक ने युक्त, राजुक और प्रादेशिक नामक अधिकारियों एवं उनके कार्यों का उल्लेख किया है।
- ग्यारहवें शिलालेख में अशोक ने ‘धम्म‘ की व्याख्या की है।
- तेंरहवें शिलालेख में अशोक ने कलिंग वियज की व्याख्या की है।
- पृथक शिलालेख में अशोक ने कहा कि ‘ सब प्रजा मेंरी संतान है‘।
- रूम्मिन्नदेई स्तम्भ अभिलेख में अशोक की लुम्बिीनी यात्रा का वर्णन है।
- निगलिसागर स्तम्भ अभिलेख में अशोक द्वारा कनकमुनि स्तूप के दर्शन का वर्णन किया गया है।
- 236 ई.पू. में अशोक की मृत्यु के बाद कई शासकों ने मौर्य साम्राज्य पर शासन किया।
- 185 या 184 ई.पू. में पुष्यमित्र शुगं ने बृहद्रथ की हत्या करके मौर्य वंश, का शासन समाप्त कर दिया तथा मगध में एक नये वंश, शुगं वंश की स्थापना की। बृहद्रथ अतिंम मौर्य शासक था।
मौर्य काल में सामाजिक, अर्थिक एवं धार्मिक स्थिति
- मौर्य काल में भारत की सामाजिक स्थिति बहुत अच्छी थी।
- वर्णव्यवस्था तथा वर्णाश्रम व्यवस्था पूरी तरह स्थापित हो चुकी थीं।
- ‘ अर्थशास्त्र‘ में चार वर्ण का उल्लेख है, जबकि मेगस्थनीज सात जातियों के बारे में बताता है।
- मौर्यकाल में बहु विवाह प्रचलित था। स्त्रियों को केवल पुनर्विवाह की अनुमति थी। नियोग प्रथा का भी प्रचलन था।
- मौर्यकालीन समाज में वैशयावृति का प्रचलन था। वेश्यायें कर देती थीं तथा गुप्तचरों का कार्य भी करती थीं।
- मौर्य काल में दास प्रथा थीं किंतु दासों से अच्छा व्यवहार किया जाता था। मेगस्थनीज लिखता है। कि मौर्य काल में भारत में दास नहीं थे।
- मौर्य काल आर्थिक दशा अच्छी थी।
- कौशाम्बी,पाटलिपुत्र, तक्षशिला, काशी, उज्जैन और तोशलि व्यापार के प्रमुख केंद्र थे।
- इस काल के वस्त्र व्यवसाय, सबसे प्रमुख व्यवसाय था।
- मौर्य काल में राजस्व का सबसे प्रमुख साधन भू-राजस्व था।
- मौर्य काल में ब्राह्मण धर्म को ही संरक्षण प्राप्त था, किंतु अशोक काल में बौद्ध धर्म प्रमुख धर्म बन गया।
- अपने जीवन के अंतिम समय में चंद्रगुप्त मौर्य ने जैन धर्म अपना लिया था।
- अशोक का पौत्र और कुणाल का पुत्र सम्प्रति जैन धर्म का अनुयानी था।
राजनितिक एवं
प्रशासनिक स्थिति
- मौर्य साम्राज्य संघीय एवं एकतंत्रीय था। सत्ता सर्वोच्च शक्ति सम्राट में निहित थी।
- अशोक के काल में तीन अधिकारियों का वर्णन प्राप्त होता है ये तीन अधिकारी थे ‘युक्त‘ ‘ रजुक‘ तथा‘ प्रादेशिक‘। अशोक के बाहरवें शिलालेख में तीन और अधिकारियों के नाम मिलते हैं-धम्म महामात्त, इथिझक्ख महामात्त और ब्रजभूमिक महामात्त।
- धम्म महामात्तों के नियुक्ति अशोक ने अपने शासन के 13 वें वर्ष में की थीं। यह सभी प्रकार के धार्मिक मामलों का प्रमुख होता था।
- इथिझक्ख महामात्ता स्त्रियॉं के नैतिक आचरण की देख-रेख करता था।
- चंद्रगुप्त के समय मौर्य साम्राज्य में चार प्रांत थें-01 अवन्तिराष्ट्रः राजधानी-उज्जयिनी, 02 उत्तरापथ: राजधानी-तक्षशिला 03 दक्षिणापथ: राजधानी-सुवर्णगिरि एवं 04 मध्य प्रदेश: राजधानी-पाटलिपुत्र। अशोक समय मौर्य साम्राज्य में पांचवें प्रांत‘ कलिंग‘ की स्थापना हुई। तोसलि इसकी राजधानी थीं।
- मौर्य साम्राज्य esa सम्राट शासन का सर्वोच्च पदाधिकारी एवं सेनानायक था। सम्राट की सहायता के लिए एक मंत्रिपरिषद् होती थी। मंत्रियों के लिए ‘ तीर्थ ‘ का प्रयोग किया जाता था।
- चंद्रगुप्त के समय चार प्रांत थे। प्रांतों के प्रमुख को‘ राज्यपाल कहते थे।
- मौर्यकाल में प्रांत जनपदों में विभाजित थे जिनकी चार श्रेणियां थीं-स्थानीय, द्रोणमुख, खारवटिक और संग्रहण। जनपद का प्रधान अधिकारी ‘ प्रदेष्टा‘ संग्रहण का प्रधान अधिकारी ‘ गोप ‘ के ऊपर ‘ स्थानिक ‘ तथा ‘ स्थानिक‘ के ऊपर ‘नगराध्यक्ष का पद था।
- मेगस्थनीज के अनुसार, जिलाधिकारियों को‘ एग्रोमोई ‘ कहतें थे।
- नगर प्रशासन के संबंधित कई समितियां थीं, जिसमें पांच-पांच सदस्य होते थे। ये समितियां इस प्रकार थीं-1 जनगणना समिति 2 शिल्प एवं औद्योगिक समिति 3 वस्तु निरीक्षक समिति 4 वाणिज्य समिति 5 कर समिति एवं 6 विदेशिक समिति।
- मौर्य साम्राज्य की सबसे छोटी प्रशासनिक इकाई ‘ ग्राम‘ थी। ग्राम का प्रमुख प्रशासनिक पदाधिकारी ‘ ग्रामणी ‘ कहलाता था।
- न्याय का सबसे बड़ा अधिकारी सम्राट था। ग्राम-सभा सबसे छोटा न्यायालय थी।
- न्यायालय दो प्रकार के होते थे। ‘ धर्मस्थीय‘ तथा ‘कण्टकशोधन‘। धर्मस्थनीय दीवानी न्यायालय तथा कंटकशोधन फौजदारी न्यायलय थे।
- गुप्तचरों को ‘गूढँ पुरूष‘ कहते थे। गुप्तचरों दो प्रकार के होते थे-‘ संस्था ‘ और ‘ संचार ‘। वर्ग के गुप्तचर एक ही स्थान पर रहते थे तथा ‘ संचार‘ धूम-घूमकर कार्य करते थे।
Post a Comment