मध्यप्रदेश की प्रमुख नदियाँ। Major Rivers of MP in Hindi
मध्यप्रदेश की प्रमुख नदियाँ
मध्य प्रदेश की नदियाँ Major Rivers of MP
नर्मदा Narmada River
- नर्मदा घाटी
की सभ्यता एशिया महाद्वीप की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक और भारतीय उप
महाद्वीप की सर्वाधिक प्राचीन सभ्यता का केन्द्र रही है। यह नदी समुद्र में
मिलने से पूर्व 1312
किलोमीटर लंबे रास्ते में मध्य प्रदेश, गुजरात एवं महाराष्ट्र के क्षेत्र से 95,726 वर्ग किलोमीटर का पानी बहा ले जाती
है इसकी सहायक नदियों की संख्या 41 है। 22
बायें किनारे पर और 19
दांए किनारे पर मिलती हैं।
सोन Sone River
- सोन का नाम
शोण, सुवर्ण या शोणभद्रा था। मध्य प्रदेश
तथा बिहार राज्यों में करीब 780 किमी. की यात्रा करके पटना के निकट गंगा नदी से संगम
कती है। इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ हैं- जोहिला, बनास,
गोपद, रिहन्द आदि ।
चम्बल Chambal River
- भागवत एवं
महापुराण, मार्कर्ण्डय, वायु ब्रह्माण्ड, मत्स्य पुराणों में इसे चर्मण्वती
कहा गया है। मेघदूत में कालिदास ने चर्मण्वती का उल्लेख किया है। यह उज्जैन
और रतलाम जिलों में बहती हुई मंदसौर जिले दक्षिणी सीमा बनाती है। यह मुरैना
और भिण्ड जिलों की सीमाओं पर बहती है जिसके आगे वह उत्तरप्रदेश में प्रवेश
करती है। चंबल की कुल लंबाई 1040 किमी. है।
बेतवा Betwa River
- वराह पुराण
में कहा गया है कि भागीरथी और वेत्रवती सब नदियों में श्रेष्ठ हैं, बाणभट्ट ने ‘कादंबरी‘ में और कालिदास ने ‘मेघदूत‘ इसका वर्णन किया है। यह रायसेन और
विदिशा जिलों से बहती हुई उत्तर प्रदेश के ललितपुर और झाँसी जिलों की सीमा
बनाती हुई मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में पुनः प्रवेश करती है। बेतवा की
सहायक नदियों में सबसे महत्वपूर्ण है- धसान, जिसका प्राचीन नाम दशाने था। इसकी अन्य सहायक नदियाँ
हैं - बीना और जामिनी।
ताप्ती Tapti River
- महाभारत में
कहा गया है कि ताप्ती सूर्य भगवान की पुत्री है। ताप्ती के धार्मिक महत्व का
वर्णन स्कन्द पुराण में किया गया है।
शिप्रा Kshipra River
- पुराणों में कहा गया है कि यह परियात्र पहाड़ से निकली है। विंध्यांचल का
पश्चिमी भाग परियात्र कहलाता है।
केन Ken River
- यह प्रदेश के
बुंदेलखण्ड क्षेत्र की प्रमुख नदी है। इसका उद्गम कटनी जिले से होता है। यह
बांदा जिले की सीमा में करीब 160 किमी. बहती हुई चिल्ला के निकट यमुना नदी से संगम करती
है।
टोंस Tonse River
- पुराणों में
तमसा नाम से विख्यात है। टोंस का उद्गम सतना जिले की मैहर तहसील के झुलेरी के
पास कैमूर की पहाडि़यों से हुआ है।
वेनगंगा Bainganga River
- इसका उद्गम
सिवनी जिले से हुआ है। आगे यह बालाघाट जिले में प्रवेश करती है। बालाघाट जिले
में इसका कुल बहाव 98
किमी. है। आगे यह महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले से प्रवाहित होती हुई
वर्धा नदी में मिल जाती है वेनगंगा और वर्धा का संगम प्राणहिता कहलाता है।
प्राणहिता आगे गोदावरी से संगम करती है।
माही Mahi River
- यह नदी
प्रवेश में अरावली की पर्वतमालाओं के बीच धार से निकलकर राजस्थान के
बाँसवाड़ा और डंूगरपुर जिलों में बहती हुई गुजरात में प्रवेश कर खंभात की
खाड़ी में समा जाती है।
नर्मदा घाटी Narmada Ghati
- मध्य प्रदेश
की जीवन रेखा कही जाने वाली नदी नर्मदा को भारत की पाँचवीं बड़ी नदी होने का
गौरव प्राप्त है। नर्मदा न्यायाधिकरण द्वारा प्रवेश को आवंटिक नर्मदा नदी के 18.25 एम.ए.एफ. जल के 29 वृहद, 135 मध्यम परियोजनाओं में लगभग 27.55 लाख हेक्टेयर में सिंचाई और 2418.4 मेगावाट विद्युत उत्पादन प्रस्तावित
है। नर्मदा नदी पर राज्य में निर्माणाधीन महत्वपूर्ण परियोजनाएँ इस प्रकार
हैं.
सरदार सरोवर Sardar Sarovar Pariyojna
- यह परियोजना
गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र राज्यों की
बहुउद्देशीय परियोजना है। गुजरात के बड़ौदा जिले के देवडि़या गाँव के पास इस
बाँध का निर्माण हुआ। इसके निर्माण से राज्य की स्थापित उपलब्घ क्षमता में 826.5 मेगावाट की वृद्धि हुई है। सरदार
सरोवर बाँध की ऊँचाई 121.92
मीटर है,
इस परियोजना से विद्युत उत्पादन में मध्य प्रदेश का 57 प्रतिशत हिस्सा है।
इंदिरा सागर परियोजना Indira Sagar pariyojna
- परियोजना का
निर्माण नवम्बर 1987
में प्रारंभ हुआ। इस बाँध से छोड़े जाने वाले नियंत्रित जल से ही निचले
क्षेत्रों में ओंकारेश्वर,
महेश्वर,
सरदार सरोवर परियोजनाएँ अपनी सिंचाई व विद्युत उत्पादन की क्षमताएँ पूर्ण
करती हैं। खण्डवा,
खरगौन एवं बड़वानी जिले की 1.23 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में सिंचाई प्रस्तावित है।
इससे 571 ग्रामों को
लाभ मिलेगा। विद्युत गृह की (8×125) मेगावाट क्षमता की सभी इकाइयों से 1000 मेगावाट विद्युत का उत्पादन किया जा
रहा है।
- ओंकारेश्वर
परियोजना- ओंकारेश्वर परियोजना के तहत ग्राम मांधाता (पूर्व
निमाड़ जिला) के पास बाँध बनाया है। इसकी क्षमता 520 (8×65) मेगावाट है।
- महेश्वर
परियोजना -
इसके विद्युत गृह की स्थापित क्षमता (10×40) 400 मेगावाट है। (खरगौर)
- जोबट
परियोजना (शहीद चन्द्रशेखर आजाद सागर )- इसके तहत हथनी नदी पर यह बाँध बनाया जा रहा है। इस
परियोजना से धार जिले की 91,848
हेक्टेयर भूमि में सिंचाई होगी।
- अपर
वेदा -
खरगौर जिले की झरिन्या तहसील के ग्राम नेमित में परियोजना का निर्माण
किया गया है।
- रानी
अवंतीबाई सागर (बरगी परियोजना )- परियोजना के पूर्ण होने पर 1.57 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई
क्षमता के निर्माण होने का आकलन है।
- बरगी
अपवर्तन परियोजना -
बरगी बाँध के दायीं तट नहर से जबलपुर, कटनी,
रीवा एवं सतना जिलों में 2.45 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होना प्रस्तावित है।
- अपर
नर्मदा परियोजना -
18,616 हेक्टेयर भूमि सिंचित होने का अनुमान है।
- लोअरगोई - बड़वानी जिले के ग्राम पैना पुतला
में यह निर्मित है। 13,760
हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई का अनुमान है।
- पुनासा
उद्वहन परियोजना - खण्डवा जिले
की 35,008 हेक्टेयर भूमि सिंचित की जाएगी।
हंडिया, बोरास एवं
होशंगाबाद में 60
मेगावाट जल विद्युत परियोजना, हंडिया में 51 मेगावाट, बोरास में 55 मेगावाट, होशंगाबाद में 60 मेगावाट जल विद्युत परियोजनाओं का परीक्षण किया जा रहा
है।
- गारलैंडिंग
परियोजना- परियोजना के पूर्ण होने पर खण्डवा जिले के 19 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई
हेतु विद्युत सुविधा उपलब्ध होगी।
- अन्य
परियोजनाएँ- नर्मदा और उसकी सहायक नदियाँ पर 29 बड़ी और 135 मध्यम परियोजनाओं के अलावा तीन हजार छोटी परियोजनाओं
के निर्माण का महत्वाकांक्षी कार्यक्रम बनाया गया। वर्तमान स्थिति
- यह है कि नर्मदा घाटी में तवा, बारना, कोलार, मुक्त और मटियारी परियोजना का निर्माण पूरा हो चुका है। इन परियोजनाओं से तीन लाख 73 हजार 5 सौ हेक्टेयर सिंचाई क्षमता अर्जित की। तवा परियोजना से 13.50 मेगावाट बिजली का उत्पादन हुआ। नर्मदा परियोजना की पूर्ण हो चुकी पाँच परियोजनाओं के अलावा अन्य 20 मध्यम एवं 893 लघु परियोजनाओं से 2 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की जा रही है। खण्डवा जिले में इंदिरा सागर और ओंकारेश्वर जलाशयों से घिरा 651 वर्ग किमी. का विशाल वन क्षेत्र में ओकारेंश्वर राष्ट्रीय उद्यान व दो वन्य प्राणी अभ्यारण्य तथा दो संरक्षित इकाइयों के रूप में विकसित किया जा रहा है।
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