वैयक्तिक निभिन्नता {Individual Difference}
वैयक्तिक विभिन्नता: अर्थ एवं स्वरूप Individual Difference Meaning and Nature
लिंग के आधार पर वैयक्तिक विभिन्नता Individual Difference Based on Gender
बुद्धि के आधार पर वैयक्तिक विभिन्नता Individual Difference Based on Intelligence
परिवार एवं समुदाय के आधार पर वैयक्तिक विभिन्नता Individual Difference Based on Family and Community
अभिवृत्ति के आधार पर वैयक्तिक विभिन्नता Individual Difference Based on Attitude
व्यक्तित्व के आधार पर वैयक्तिक विभिन्नता Individual Difference Based on Personality
शिक्षा के क्षेत्र में वैयक्तिक विभिन्नता का महत्व
प्रकृति का नियम है कि संसार में कोई भी दो व्यक्ति पूर्णतया एक-जैसे नहीं हो सकते, यहाँ तक कि जु़ड़वाँ बच्चों में भी कई समानताओं के बावजूद कई अन्य प्रकार की विभिन्नताएँ दिखाई पड़ती हैं। जुड़वाँ बच्चे शक्ल-सूरत से तो हू-ब-हू एक जैसे दिख सकते हैं, किन्तु उनके स्वभाव, बुद्धि, शारीरिक -मानसिक क्षमता, आदि में अन्तर होता है। भिन्न-भिन्न व्यक्तियों में इस प्रकार की विभिन्नता को ही वैयक्तिक विभिन्नता कहा जाता है।
स्किनर के अनुसार, “ वैयक्तिक विभिन्नताओं से हमारा तात्पर्य व्यक्तित्व के उन सभी पहलुओं से है जिनका मापन व मूल्यांकन किया जा सकता है।”
जेम्स ड्रेवर के अनुसार, “ कोई व्यक्ति अपने समूह के शारीरिक तथा मानसिक गुणों के औसत से जितनी भिन्नता रखता है, उसे वैयक्तिक भिन्नता कहा जाता हैं।”
टॉयलर के अनुसार , “ शरीर के रूप-रंग, आकार, कार्य, गति, बुद्धि, ज्ञान, उपलब्धि, रूचि, अभिरूचि आदि लक्षणों में पाई जाने वाली भिन्नता को वैयक्तिक भिन्नता कहते हैं। ”
प्रत्येक शिक्षार्थी स्वयं में विशिष्ट है। इसका अर्थ है कि कोई भी दो शिक्षार्थी अपनी योग्यताओं, रूचियों और प्रतिभाओं में एकसमान नहीं होते।
वैयक्तिक विभिन्नताओं के प्रकार Type of Individual Difference
वैयक्तिक विभिन्नताओं को विभिन्न आधारों पर वर्गीकृत किया गया है। जिनका विवरण निम्नवत् है
भाषा के आधार पर वैयक्तिक विभिन्नताएँ Individual Difference Based on Language
- अन्य कौशलों की तरह ही शाषा भी एक कौशल है। प्रत्येक व्यक्ति में भाषा के विकास की भिन्न-भिन्न अवस्थाएँ पाई जाती हैं। यह विकास बालक के जन्म के बाद ही प्रारम्भ हो जाता है। अनुकरण, वातावरण के साथ अनुक्रिया तथा शारीरिक, सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं की पूर्ति की माँग इसके विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसका विकास धीरे-धीरे परन्तु एक निश्चित क्रम में होता है।
- कोई बालक भाषा के माध्यम से अपने विचारों को अभिव्यक्त करने में अधिक कुशल होता है, जबकि कुछ बालक इस मामले में उतने कुशल नहीं होते।
लिंग के आधार पर वैयक्तिक विभिन्नता Individual Difference Based on Gender
- सामान्यतः स्त्रियाँ कोमलांगी होती हैं, किन्तु अधिगम के क्षेत्रों में बालकों एवं बालिकाओं में भिन्नता नहीं होती है।
- स्त्रियों का शारीरिक गठन पुरूषों से अलग होता है। सामान्यतः पुरूष स्त्रियों से अधिक लम्बे होते हैं।
बुद्धि के आधार पर वैयक्तिक विभिन्नता Individual Difference Based on Intelligence
- परीक्षणों के आधार पर ज्ञात हुआ है कि सभी व्यक्तियों की बुद्धि एकसमान नहीं होती।
- बालकों में भी बुद्धि के आधार पर वैयक्तिक विभिन्नता दिखाई पड़ती है।
- कुछ बालक अपनी आयु की अपेक्षा अधिक बुद्धि को प्रदर्शित करते हैं, इसके विपरीत कुछ बच्चों में सामान्य बुद्धि पाई जाती है।
- बुद्धि-परीक्षण के आधार पर यह ज्ञात किया जा सकता है कि कोई बालक किसी अन्य बालक से कितना अधिक बुद्धिमान है।
परिवार एवं समुदाय के आधार पर वैयक्तिक विभिन्नता Individual Difference Based on Family and Community
- मानव के व्यक्तित्व विकास पर उसके परिवार एवं समुदाय का स्पष्ट प्रभाव पड़ता है। इसलिए समुदाय के प्रभाव को वैयक्तिक विभिन्नता में भी देखा जा सकता है ।
- अच्छे परिवार एवं समुदाय से सम्बन्ध रखते वाले बच्चों को व्यवहार सामान्यतः अच्छा होता है।
- यदि किसी समुदाय में किसी प्रकार के अपराध करने की प्रवृत्ति हो, तो इसका कुप्रभाव उस समुदाय के बच्चों पर भी पड़ता है।
- यद्यपि आर्थिक-सामाजिक स्तर तथा बुद्धि-लब्धि का सम्बन्ध तो है, किन्तु यह बहुत उच्च स्तर का नहीं है। इन दोनों में सह-सम्बन्ध अवश्य पाया गया है, किन्तु यह नहीं कहा जाता सकता कि निम्न सामाजिक-आर्थिक समूह से आने वाले बच्चे कम बु्द्धिमान एवं उच्च सामाजिक-आर्थिक समूह के बच्चे अधिक बुद्धिमान होते हैं। इसके विपरीत निम्न स्तर के आर्थिक एवं सामाजिक समूह में अनेेक उच्च बुद्धि-लब्धि वाले बालक पाए जाते हैं और उच्च स्तर के आर्थिक-सामाजिक समूह में निम्न बुद्धि-लब्धि वाले बालक पाए जाते हैं।
- बालकों के पोषण पर परिवार एवं समुदाय का प्रभाव अवश्य है एवं इस प्रकार की विभिन्नता में परिवार एवं समुदाय की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
संवेग के आधार पर वैयक्तिक विभिन्नता Individual Difference Based on Emotion
- संवेगात्मक विकास विभिन्न बालकों में विभिन्नता लिए हुए होता है, जबकि यह भी सत्य है कि मोटे तौर पर संवेगात्मक विशेषताएँ बालकों में समान रूप से पाई जाती हैं।
- कुछ बालक शान्त स्वभाव के होते हैं, जबकि कुछ बालक चिड़चिड़े स्वभाव के होते हैं।
- कुछ बालक सामान्यतः प्रसन्न रहते हैं, जबकि कुछ बालकों में उदास रहने की प्रवृत्ति होती है।
शारीरिक विकास के आधार पर वैयक्तिक विभिन्नता Individual Difference Based on Physical Development
- शारीरिक दृष्टि से व्यक्तियों में अनेक प्रकार की विभिन्नताएँ देखने को मिलती हैं।
- शारीरिक भिन्नता रंग, रूप, आकार, भार, कद, शारीरिक गठन, यौन-भेद, शारीरिक परिपक्वता आदि के कारण होती है।
अभिवृत्ति के आधार पर वैयक्तिक विभिन्नता Individual Difference Based on Attitude
- सभी बालकों की अभिवृत्ति में भी समानता नहीं होती है।
- कुछ बालक किसी विशेष प्रकार के कार्य में रूचि लेते हैं, जबकि अन्य बालक किसी और कार्य में रूचि लेते हैं।
- कुछ बालकों में पढ़ाई में मन लगाने की प्रवृत्ति होती है, जबकि कुछ अन्य बालक किन्हीं कारणों से इससे दूर भागते हैं।
व्यक्तित्व के आधार पर वैयक्तिक विभिन्नता Individual Difference Based on Personality
- प्रत्येक व्यक्ति में व्यक्तित्व के आधार पर वैयक्तिक विभिन्नता देखने को मिलती हैै।
- कुछ बालक अन्तर्मुखी होते हैं और कुछ बहिर्मुखी।
- एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से मिलने पर उसकी योग्यता से प्रभावित हो या न हो परन्तु उसके व्यक्तित्व से प्रभावित हुए बिना नहीं रहता है।
- टॉयलर के अनुसार, “ सम्भवतः व्यक्ति, योग्यता की विभिन्नताओं के बजाय व्यक्तित्व की विभिन्नताओं से अधिक प्रभावित होता हैं।”
गत्यात्मक कौशलों के आधार पर वैयक्तिक विभिन्नता Individual Difference Based on Core Skill
- कुछ व्यक्ति किसी कार्य को अधिक कुशलता से कर पाते हैं, जबकि कुछ अन्य लोगों में पूर्ण कुशलता का अभाव पाया जाता है।
- क्रो एवं ने लिखा है, “शारीरिक क्रियाओं में सफल होने की योग्यता में एक समूह के व्यक्तियों में भी बहुत अधिक विभिन्नता होती है,।”
शिक्षा के क्षेत्र में वैयक्तिक विभिन्नता का महत्व
- मनोविज्ञान इस बात पर जोर देता है कि बालकों की रूचियों, रूझानों, क्षमताओं, योग्यताओं आदि में अन्तर होता है। अतः सभी बालकों के लिए समान शिक्षा का आयोजन सर्वथा अनुचित होता है। इसी बात को ध्यान में रखकर मन्दबुद्धि, पिछड़े हुए बालक तथा शारीरिक दोष वाले बालकों के लिए अलग-अलग विद्यालयों में अलग-अलग प्रकार की शिक्षा की व्यवस्था की जाती है।
- सह-शैक्षणिक क्षेत्रों में निष्पादन के आधार पर शैक्षणिक क्षेत्रों में निष्पादन के स्तर को बढ़ाना इसलिए उचित होता है, क्योंकि यह वैयक्तिक विभिन्नताओं को सन्तुष्ट करता है।
- वैयक्तिक विभिन्नता को ध्यान में रखते हुए पिछड़े एवं मन्दबुद्धि के बालकों की शिक्षा के लिए भिन्न प्रकार के शिक्षण-प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है। वैयक्तिक विभिन्नता का ज्ञान शिक्षकों एवं विद्यालय प्रबन्धकों को कक्षा के वर्गीकरण में सहायता प्रदान करता है।
- शिक्षार्थी वैयक्तिक भिन्नता प्रदर्शित करते हैं। अतः एक शिक्षक को सीखने के विविध अनुभवों को उपलब्ध कराना चाहिए।
- कक्षा का आकार तय करने में भी वैयक्तिक विभिन्नता का ज्ञान विशेष सहायक होता है। यदि कक्षा के अधिकतर बालक अधिगम में कमचोर हों, तो कक्षा का आकार कम होना चाहिए ।
- वैयक्तिक विभिन्नता का सिद्धान्त व्यक्तिगत शिक्षण पर जोर डालता है। इसके अनुसार बालकों की आवश्यकता को ध्यान में रखकर उसकी शिक्षा की व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि उसका सर्वंगीण विकास हो सके।
- वैयक्तिक विभिन्नता के ज्ञान के आधार पर शिक्षक यह तय कर पाते हैं कि लड़कियाँ किसी कार्य को विशेष ढंग से एवं लडके किसी कार्य को विशेष ढंग से क्यों पर पाते हैं।
- पाठ्यक्रम के निर्धारण एवं विकास भी वैयक्तिक विभिन्नता की प्रमुख भूमिका होती है। बालकों की आयु, कक्षा आदि को ध्यान में रखने हुए प्रत्येक कक्षा के लिए अलग प्रकार की पाठ्यचर्या का निर्माण किया जाता है एवं उन्हें अलग प्रकार से लागू भी किया जाता है। उदाहरणस्वरूप बच्चों की पुस्तकें अधिक चित्रमय एवं रंगीन होती हैं, जबकि जैसे-जैसे कक्षा एवं आयु में वृद्धि होती जाती है, उनकी पुस्तकों के स्वरूप में भी अन्तर दिखाई पड़ता है। इसी प्रकार प्राथमिक कक्षा के बच्चों को खेलकूद के जरिए शिक्षा देने पर जोर दिया जाता है।
- बच्चों को गृहकार्य देते समय भी उनकी वैयक्तिक विभिन्नता का ध्यान रखा जाता है।
- बालकों के निर्देशन में भी वैयक्तिक विभिन्नता की विशेष भूमिका होती है।
- वैयक्तिक विभिन्नता को समझकर शिक्षक यह समझ पाते हैं कि किस प्रकार के बच्चों के लिए शिक्षक की कौन-सी विधि अपनाई जाए
- वैयक्तिक विभिन्नता का ज्ञान शिक्षकों को बालकों के शारीरिक दोषों को समझने में सहायता प्रदान करता है.
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