पारिस्थतिकी {Ecology}


पारिस्थतिकी Ecology

पारिस्थितिकी एक ऐसी अवधारण है जो वास्तविक प्रणाली से ज्ञान पर आधारित है। पारिस्थितिकी तंत्र अंग्रेजी के दो शब्दों से मिलकर बना है जिसमें इको का अभिप्राय ‘‘चारों ओर के प्राकृतिक पर्यावरण अथवा स्थानीय परिस्थति‘‘ से है। जबकि सिस्टम का अभिप्राय एक तंत्र या क्रम या व्यवस्था से है। संपूर्ण पृथ्वी अथवा स्थल, जल एवं वायु मंडल और इस पर निवास करने वाले समस्त जीव एक विशिष्ट एक विशिष्ट चक्र या प्रणाली या तंत्र से परिचालित होते रहतेे हैं। तािा प्रकृति या पर्यावरण के साथ अभूतपूर्व सामंजस्य स्थापित करके न केवल अपने को अस्तित्व में रखते हैं, अपितु पर्यावरण को भी स्वचलित करते हैं। इस प्रकार रचना  एवं कार्य की दृष्टि से जीव समुदाय एवं वातावरण एक तंत्र के रूप में कार्य करते है, जिसको पारिस्थितिकी तंत्र कहा जाता है। दूसरे शब्दों में, पारिस्थितिकी तंत्र एक अतः क्रियात्मक निर्भर समिश्र प्राकृतिक व्यवस्था है।

परिभाषा Definition-
  1. पारिस्थितिकी का अध्ययन प्राचीन काल में हिप्पोक्रेटीज, अरस्तू तथा अन्य ग्रीक दार्शनिकों के लेखों से प्राप्त होता है। ईसा पूर्व चौथी शताब्दी में अरस्तू के मित्र ‘‘थियोफ्रेटसने जीव एवं उनके पर्यावरण के परस्पर संबंधो का वर्णन संभवतः सर्वप्रथम किया था। इस तथ्य के परिप्रेक्ष्य में ‘‘थियोफ्रेस्टस‘‘ को विश्व का सर्वप्रथम पारिस्थितिकी विज्ञान का पितामहमाना जाता है।
  2. वर्ष 1869 में जंतुशास्त्री अर्नेस्टीकेल जर्मनी ने सर्वप्रथम इकोलॉजी शब्द का प्रयोग किया। यह शब्द Oecology (जर्मन भाषा) या Oeklogie (ग्रीक भाषा ) का वर्तमान अंग्रेजी रूपांतर है। यह दो ग्रीक शब्दों Oikos जिसका तात्पर्य है- बाह्य क्षेत्र या निवास स्थान और Logos जिसका तात्पर्य  है- अध्ययन से मिलकर बना है। अर्नेस्टीकेिल के अनुसार, पारिस्थितिकी विज्ञान प्राणी जगत और उसके कार्बनिक तथा अकार्बनिक संपूर्ण संबंधों का अनुसंधान है।

ए.जी. टान्सले के अनुसार पारिस्थितिकी तंत्र A.G.Tansley
पारिस्थितिकी तंत्र शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग वर्ष 1935 में ए.जी. टान्सले ने किया। टान्सले ने इसे इस प्रकार पारिभाषित किया- पारिस्थतिकी तंत्र जैविक और अजैविक पदार्थों की परस्पर प्राकृतिक किया है, जिसका जैव पदार्थ अजैव पदार्थ के साथ पर्यावरण के संपूर्ण कारक सम्मिलित हैं, जो एक अंतः क्रियात्मक संबंधों से जुड़े हैं।

व्यावहारिक पारिस्थितिकी का प्रमुख उद्देश्य-Main aim of applied Ecology
व्यावहारिक पारिस्थितिकी का प्रमुख उद्देश्य है- सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक समस्याओं के निदान के लिए पारिस्थितिकी दृष्टिकोण से प्रकृति के संरक्षणएवं पर्यावरण प्रबंधन में पारिस्थितिकी की भूमिका का अहसास कराना तथा पर्यावरण के दृष्टिकोण से उपयुक्त सामाजिक नियोजन के कार्यक्रमों का नियमन करना।
पारिस्थितिकी तंत्र के घटक- Components of Ecosystem
पारिस्थितिकी तंत्र एक क्रियाशील अवधारण है, इसमें जीवों व उनके पर्यावरण के मध्य आदान प्रदान का क्रम चलता हरता है। पारिस्थितिकी तंत्र का स्वरूप बहुत छोटा हो सकता है जैसे एक तालाब में रहने वाले जीव, तलाब का पानी, तालाब के अन्दर ओर बाहर उगी वनस्पतियाँ तथा वहाँ पहुँचने वाली धुप, हवा आदि इसके अलावा पारिस्थितिकी तंत्र बहुत बड़ा भी हो सकता है जैसे समुद्र का पारिस्थितिकी तंत्र। हमारी पृथ्वी स्वयं में एक विशालतमक पारिस्थितिकी तंत्र का सृजन करती है। इस प्रकार पारिस्थितिकी तंत्र किसी क्षेत्र विशेष का होता है। पारिस्थितिकी तंत्र में वातावरण या इसके घटकों में होने वाले कुछ छोटे मोटे परिवर्तन समायोजित करने की स्वचलित क्षमता होती है जिसे होमियोस्टेसिस कहते हैं। होमियोस्टेसिस वस्तुतः  पारिस्थितिकी तंत्र  के विभिन्न घटकों के मध्य साम्य स्थापित कर पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित बनाये रखने की क्षमता है।
प्रत्येक पारिस्थितिकी तंत्र की संरचना दो प्रकार के घटकों से होती है-
01- जैविक या जीवीय घटक ( Biotic Components)
02- अजैविक घटक या आजीवीय घटक ( Abiotic Components)

पारिस्थतिकी की विभिन्न शाखाएँ- Various Branches of Ecology     

पारिस्थतिकी के अध्ययन को और अधिक प्रभावी तथा सुस्पष्ट बनाने के उद्देश्य से इसको निम्नलिखित शाखाओं में विभाजित किया गया है-

जनसंख्या पारिस्थितिकी Population Ecology - इसके अंतर्गत एक जाति के जीवों के मध्य पारस्परिक कियाओं का अध्ययन किया जाता हैं

बायोम पारिस्थतिकी Biome Ecology - इसके अंतर्गत किसी क्षेत्र विशेष में समान जलवायु संबंधी दशाओं के अंतर्गत एक से अधिक जैविक समुदायों के अनुक्रम की विभिन्न अवस्थाओं में पारस्परिक क्रियाओं तथा अन्तर्सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है।

पारिस्थतिकी तंत्र पारिस्थितिकी Ecosystem Ecology -
इसके अंतर्गत किसी क्षेत्र विशेष में समस्त जीवधारियों तथा पादपों के आपस में तथा उनके भौतिक पर्यावरण के साथ पारस्पकिर कियाओं तथा अन्तर्सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है।

समुदाय पारिस्थितिकी Community Ecology -
इसके अंतर्गत पौधों तथा जंतुओं की विभिन्न प्रजातियों के जीव समूहों के मध्य पारस्परिक कियाओं तथा परस्परावलम्बर का अध्ययन किया जाता है।

जंतु पारिस्थितिकी Animal Ecology-
इसके अंतर्गत विभिन्न जंतुओं के आपसी तथा उनके वातवरण के साथ सम्बन्धों का अध्ययन करते हैं।

मानव पारिस्थितिकी Human Ecology-
पारिस्थितिकी की इस शाखा के अंतर्गत मानव जीवनयापन पर प्रभाव डालने वाले विभिन्न कारकों का अध्ययन किया जाता है।

मुहाना या एश्चुअराइन पारिस्थितिकी Estuarine Ecology-
इसके अंतर्गत नदी के मुहाने अर्थात इसके समुद्र के सा मिलने वाले क्षेत्र में रहने वाले विभिन्न जीवधारियों का अध्ययन वहाँ के वातावरण के साथ किया जाता है।

संरक्षण पारिस्थितिकी Consrevation Ecology-
इसके अंतर्गत प्राकृतिक संसाधनों के उचित प्रयोग तथा प्रबन्धन का अध्ययन किया जाता है। प्राकृतिक संसाधनों में वन, वन्यजीव, भूमि, जल, प्रकाश तथा खनिज आदि आते हैं।

पारिस्थतिकीय परिभाषायें Ecological Definitions-     

संरक्षण पारिस्थितिकी Conservation Ecology-
इसके अंतर्गत प्राकृतिक संसाधनों के उचित प्रयोग तथा प्रबन्धन का अध्ययन किया जाता है। प्राकृ  तिक संसाधनों में वन, वन्यजीव, भूमि तथा भूमिजीव, जल तथा जलजीव व खनिज आदि आते हैं।

प्रकाशित मण्डल Photic Zone-
किसी सागर में 200 मीटर तक की गहराई वाले मण्डल को प्रकाशित मण्डल कहते हैं। क्योंकि सूर्य का प्रकाश 200 मीटर तक की गहराई तक ही पहुँच पाता है। इसी मण्डल में प्लैंकटन (छोटी वनस्पतियाँ) पनपती हैं।

अप्राकशित मण्डल Aphotic Zone-
किसी सागर में 200 मीटर से अधिक गहराई वाले मण्डल को अप्रकाशित मण्डल कहते हैं। क्योंकि सूर्य कि किरणें 200 मीटर के नीचे  नहीं जा पाती हैं।

नेक्टन Nekton- अप्रकाशित मण्डल में रहने वाले जीवों को नेक्टन कहते हैं।

तलस्थलीय या बेन्थस Benthos- सागर की तली में रहने वाले जीवों को बेन्थस कहते हैं।

सागरीय लवणता - सागरीय जल के भार तथा उसमतें घुले पदार्थों के भार के अनुपात को सागरीय लवणता कहते हैं। सागरीय लवणता को प्रति हजार जल में स्थित लवण की मात्रा प्रतिशत के रूप में दर्शाया जाता है।

महाद्वीपीय निमग्न तट Continental Shelve-
ये महाद्वीपों के उन सीमान्त भागों को प्रदर्शित करते हैं, जो छिछले महासागरीय जल के अन्दर डूबे रहते हैं। निमग्न तटों पर जल की औसत गहराई 160 फैदम ( 1 फैदम में 6 फीट होते हैं। ) तथा उसका और ढाल एक एंच से 3 इंच के बीच तथा उनकी औसत उचाई 48 कि.मी. होती है।

महाद्वीपीय मग्न ढाल Continental Slope-
मग्न ढालों पर जल की गहराई 200 से 2600 मीटर के बीच होती है। इसका औसत ढाल 5 इंच से 40 इं. के बीच होता है। महाद्वीपीय मग्न ढाल की स्थिति निमग्न तट तथा गहने सागरीय मैदान के बीच होती है।
गंभीर सागरीय मैदान Deep Sea Plains-इनकी समुद्र तल से औसत गहराई 3000 से 6000 मीटर के बीच होती है।

महासागरीय गर्त Oceanic Deep- ये महासागरीय नितल के सबसे गहरे भाग होते हैं, अर्थात समुद्र तल से 6000 मीटर से अधिक गहराई से लेकर एकदम समुद्र की तली तक की गहराई महासागरीय गर्त कहलाती है।
नेरेटिक पदार्थ Neretic Matter- सागर तट के पास निक्षेपित होने वाले पदार्थ को नेरेटिक पदार्थ कहते हैं।
अगाधा सागरस्थ यो पेलैजिक पदार्थ- गहन सागरीय मैदानों की तली पर निक्षेपित होने वाले पदार्थ को पेलैजिक पदार्थ कहते हैं।

सागरीय या समुद्री तट और पुलिन Sea Shore and Beach- समुद्र के सामान्य किनारे को समुद्री तट तथा समुद्र के किनारे जहाँ सागरीय प्रक्रमों द्वारा निक्षेप से उत्पन्न स्थल रूपों को सागरीय पुलिन कहते हैं। जन सामान्य भाषा में सागरों के किनारे जो बड़े-बड़े समतल मैदान निकल आते हैं उन्हे ही पुलिन या बीच कहते हैं। शेष समुद्र तो ऊबड़-खाबड़  खराब जमीन के ही बने होते हैं। मुम्बई का चौपाटी व जहू बीच तथा चेन्नई का मराीन और गोल्डन बीच प्रसिद्ध हैं।

खाद्य श्रंृखला एवं खाद्य जाल में अंतर- Difference Between Food Chain and Food Web
खाद्य-श्रृखंला Food Chain-
01- पारिस्थितिकी तंत्र में एक जीव से दूसरे जीव में भोज्य पदार्थों का स्थानांतरण खाद्य श्रृखंला कहलाता है।
02- इसमें ऊर्जा का प्रवाह एक ही दिशा में होता हैं
03- इसमें उत्पादक, विभिन्न श्रेणी के उपभोक्ता तथा अपघटक होते हैं।
खाद्य जाल Food Web-
01-विभिन्न पारिस्थितिकी तंत्रों की खाद्य श्रृंखलाएँ परस्पर मिलकर खाद्य जाल बनाती हैं
02- इसमें ऊर्जा का प्रवाह एक ही दिशा में होते हुए भी कई पथों से होकर गुजरता है।
03- इसमें अनेकों जीव समुदाय के उपभोक्ता तथा अपघटक होते हैं।

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