Panchayati Raj in Madhya Pradesh {मध्य प्रदेश में पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज }
- वर्ष 1962 में पूरे राज्य में समान व एकरूप पंचायत व्यवस्था लाने के लिए पंचायत राज अधिनियम, 1962 बनाया गया।
- पंचायत राज्य व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए आवश्यक संशोधन कर 1981 एवं 1990 में नए पंचायत राज अधिनियम बनाये गए।
- भारत के संविधान के 73वें संशोधन अधिनियम 1992 के अनुरूप 25 जनवरी, 1994 को पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम लागू किया गया।
- इस संशोधन के अनुसार ही राज्य निर्वाचन आयोग का गठन किया गया।
- आयोग के माध्यम से 1994 को पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम लागू किया गया.
- आयोग के माध्यम से 1994 में प्रथमतः त्रिस्तरीय पंचायत के स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव कराए गए।
- पंचायत के तीनों स्तर पर सार्वजनिक और सामाजिक कार्यों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए वर्ष 2006-07 में एक विधेयक पारित कर कानून बनाया गया। इसके तहत पंचायतों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है।
- मध्य प्रदेश इस प्रकार का पहला राज्य है, जहाँ महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है।
- राज्य में पंचायतों को आर्थिक रूप से सुदृढ़ करने के लिए राज्य वित्त आयोग के पतिवेदन की अनुशंसा के लिए राशि उपलब्ध कराई जाती है।
- त्रिस्तरीय पंचायत संस्थाओं को ग्रामीण विकास विभाग द्वारा अधिकार क्षेत्र में निर्माण कार्य कराने के लिए अधिकार दिए हैं। इसके तहत जिला पंचायत को 50 लाख रूपए, जनपद पंचायत को 10 लाख एवं ग्राम पंचायत/ग्राम सभा को 5 लाख रूपए के अधिकार दिए गए हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों के उत्थान से सम्बन्धित प्रमुख योजनाएं
योजनाएँ - ग्रामीण क्षेत्रों के उत्थान से सम्बन्धित प्रमुख योजनाएं निम्रलिखित हैं-1. ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना
- ग्रामीण परिवार के वयस्क व्यक्तियों को जो अकुशल काम के लिए तैयार, एक वित्तीय वर्ष में एक परिवार को कम से कम 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराना हैं। राज्य में यह योजना फरवरी 2006 से प्रारंभ की है।
2. संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना
- राज्य में ग्रामीण क्षेत्रों में अतिरिक्त रोजगार, खाद्यान्न सुरक्षा एवं पोषण स्तर में सुधार के उद्देश्य से यह योजना वर्ष 2001 से लागू हैं। इसमें केन्द्रांश और राज्यांश का अनुपात 75ः25 है।
3. म.प्र. ग्रामीण आजीविका परियोजना
- उक्त योजना का उद्देश्य ग्राम स्तर पर आजीविका अवसर विकसित करना है। इस परियोजना का प्रथम चरण 30 जून, 2004 से 30 जून, 2007 तक तय किया गया है।
4. मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम
- उक्त कार्यक्रम का नोडल विभाग पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्राथमिक के शिक्षा के लोक व्यापीकरण के तहत छात्रों की दर्ज संख्या और उपस्थिति में वृद्धि करना है.
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