MP ke pramukh vyaktitva मध्य प्रदेश के प्रमुख व्यक्तित्व 03 { Famous Personalities of Madhya Pradesh }
Famous Personalities of Madhya Pradesh
अहिल्याबाई Ahilyabai Holkar
- अहिल्याबाई का जन्म 31
मई सन् 1725
में हुआ था।
- अहिल्याबाई के पिता मानकोजी शिंदे एक मामूली किंतु संस्कार वाले आदमी थे।
- इनका विवाह
इन्दौर राज्य के संस्थापक महाराज मल्हारराव होल्कर के पुत्र खंडेराव से हुआ
था।
- 13
अगस्त सन् 1795
को उनकी जीवन-लीला समाप्त हो गई।
- अहिल्याबाई के निधन के बाद तुकोजी इन्दौर की गद्दी पर बैठा।
निर्माण कार्य
- रानी अहिल्याबाई ने भारत के भिन्न-भिन्न भागों में अनेक मन्दिरों, धर्मशालाओं और अन्नसत्रों का
निर्माण कराया था।
- कलकत्ता से बनारस तक की सड़क, बनारस में अन्नपूर्णा का मन्दिर ,
- गया में विष्णु मन्दिर उनके बनवाये हुए हैं।
- इन्होंने घाट बँधवाए,
कुओं और बावड़ियों का निर्माण करवाया,
- काशी, गया, सोमनाथ, अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, द्वारिका, बद्रीनारायण, रामेश्वर, जगन्नाथ पुरी इत्यादि प्रसिद्ध
तीर्थस्थानों पर मंदिर बनवाए और धर्म शालाएं खुलवायीं।
- 1777 में विश्व
प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण कराया।
संगीत सम्राट तानसेन Sangeet Samrat Tansen
- तानसेन का जन्म मुहम्मद ग़ौस नामक एक सिद्ध फ़क़ीरके आशीर्वाद से
ग्वालियर से सात मील दूर एक छोटे-से गाँव बेहट में संवत 1563 में वहाँ के एक ब्राह्मण कुल में
हुआ था।
- इनके पिता का नाम मकरंद पांडे था
- उन्हें तन्ना,
त्रिलोचन,
तनसुख, अथवा रामतनु
नाम से भी जाना जाता है।
- तानसेन इनाका नाम नहीं इनकी उपाधि थी, जो तानसेन को बांधवगढ़ के राजा रामचंद्र से प्राप्त
हुई थी।
- तानसेन का नाम अकबर के प्रमुख संगीतज्ञों की सूची में सर्वोपरि है।
तानसेन दरबारी कलाकारों का मुखिया और सम्राट के नवरत्नों में से एक था।
- प्रसिद्ध कृष्ण-भक्त स्वामी हरिदास इनके दीक्षा-गुरु कहे जाते हैं।
- तानसेन ग्वालियर परंपरा की मूर्च्छना पद्धति के एवं ध्रुपद शैली के
विख्यात गायक और कई रागों के विशेषज्ञ थे।
- तानसेन के रचनाएँ-
1. 'संगीतसार',
2. 'रागमाला' और
3. 'श्रीगणेश स्तोत्र'।
छत्रसाल Chatrasaal
- 'बुंदेलखंड के
शिवाजी' के नाम से
प्रख्यात छत्रसाल का जन्म ज्येष्ठ शुक्ल 3 संवत 1706 विक्रमी तदनुसार दिनांक 17 जून, 1648 ईस्वी को एक पहाड़ी ग्राम में हुआ था।
- बुंदेला सरदार चम्पतराय के पुत्र और उत्तराधिकारी का नाम छत्रसाल था।
- गुरु प्राणनाथ छत्रसाल के गुरु थे।
- छत्रसाल ने पंवार वंश की कन्या 'देवकुंअरि' से विवाह किया।
- छत्रसाल का 83
वर्ष की अवस्था में 13
मई 1731 ईस्वी को
मृत्यु हो गयी।
रानी दुर्गावती Rani Durgawati
- रानी का जन्म 5
अक्टूबर,
1524 - मृत्यु: 24
जून,
1564
- पति की म्रत्यू के बाद गोंडवाना की शासक थीं
- वीरांगना महारानी दुर्गावती कालिंजर के राजा कीर्तिसिंह चंदेल की एकमात्र
संतान थीं।
- संग्राम शाह के पुत्र दलपतशाह से विवाह हुआ।
- जबलपुर में स्थित रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय भी इनके नाम पर बना है।
- रानी दुर्गावती ने अपनी दासी के नाम पर 'चेरीताल', अपने नाम पर 'रानीताल' तथा अपने विश्वस्त दीवान आधारसिंह के नाम पर 'आधारताल' बनवाया।
- रानी का प्रिय सफेद हाथी (सरमन) था
- रानी की मृत्यु 24
जून,
1564 को हुई।
रानी लक्ष्मीबाई Rani LaxmiBai
- रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर, 1835 को काशी के पुण्य व पवित्र क्षेत्र असीघाट, वाराणसी में हुआ था।
- इनके पिता का नाम 'मोरोपंत
तांबे' और माता का
नाम 'भागीरथी बाई' था।
- मोरोपंत तांबे एक साधारण ब्राह्मण और अंतिम पेशवा बाजीराव द्वितीय के
सेवक थे
- इनका बचपन का नाम 'मणिकर्णिका' रखा गया परन्तु प्यार से मणिकर्णिका
को 'मनु' पुकारा जाता था।
- बाजीराव मनु को प्यार से 'छबीली' बुलाते थे।
- मनु का विवाह गंगाधर राव से हुआ था।
- 17 जून 1858 को रानी देश के लिए शहीद हो गईं।
पंडित चंद्रशेखर आज़ाद Pandit Chandra Shekhar Azad
- पंडित चंद्रशेखर आज़ाद का जन्म एक आदिवासी ग्राम भावरा में 23 जुलाई, 1906 को हुआ था।
- पिता पंडित सीताराम तिवारी उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले के बदर गाँव के
रहने वाले थे।
- 'संस्कृत
विद्यापीठ' में भर्ती
होकर संस्कृत का अध्ययन करने लगे।
- 1921 में जब
महात्मा गाँधी के असहयोग आन्दोलन प्रारंभ किया तो उन्होंने उसमे सक्रिय
योगदान किया।
- खरेघाट के अदालत में पेश किया गया। मि. खरेघाट बहुत कड़ी सजाएँ देते थे।
उन्होंने बालक चन्द्रशेखर से उसकी व्यक्तिगत जानकारियों के बारे में पूछना
शुरू किया -
1. "तुम्हारा नाम क्या है?" "मेरा नाम आज़ाद है।"
2. "तुम्हारे पिता का क्या नाम
है?" "मेरे पिता का नाम स्वाधीन
है।"
3. "तुम्हारा घर कहाँ पर है?""मेरा घर जेलखाना है।"
- चन्द्रशेखर आज़ाद सबसे पहले "काकोरी डक़ैती" में सम्मिलित हुए।
इस अभियान के नेता रामप्रसाद बिस्मिल थे।
- चन्द्रशेखर आज़ाद की आयु कम थी और उनका स्वभाव भी बहुत चंचल था। इसलिए
रामप्रसाद बिस्मिल उसे क्विक सिल्वर (पारा) कहकर पुकारते थे।
- 1928 में ‘हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन
एसोसिएशन एण्ड आर्मी’
की स्थापना की ।
- चन्द्रशेखर आज़ाद के ही सफल नेतृत्व में भगतसिंह और बटुकेश्वर दत्त ने 8 अप्रैल, 1929 को दिल्ली की केन्द्रीय असेंबली में
बम विस्फोट किया।
- 27 फ़रवरी, 1931 का दिन था। चन्द्रशेखर आज़ाद अपने
साथी सुखदेव राज के साथ बैठकर विचार–विमर्श कर रहे थे।
- 27 फ़रवरी, 1931 को चन्द्रशेखर आज़ाद के रूप में देश
का एक महान् क्रान्तिकारी योद्धा देश की आज़ादी के लिए अपना बलिदान दे गया।
व्यक्तिगत जीवन Biography of Chandra Sekhar Azad
- चंद्रशेखर आज़ाद को वेष बदलना बहुत अच्छी तरह आता था।
- वह रूसी क्रान्तिकारी की कहानियों से बहुत प्रभावित थे। उनके पास हिन्दी
में लेनिन की लिखी पुस्तक भी थी। किंतु उनको स्वयं पढ़ने से अधिक दूसरों को
पढ़कर सुनाने में अधिक आनंद आता था।
- चंद्रशेखर आज़ाद सदैव सत्य बोलते थे।
- चंद्रशेखर आज़ाद ने साहस की नई कहानी लिखी। उनके बलिदान से स्वतंत्रता के
लिए आंदोलन तेज़ हो गया। हज़ारों युवक स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े।
- आज़ाद के शहीद होने के सोलह वर्षों के बाद 15 अगस्त सन् 1947 को भारत की आज़ादी का उनका सपना
पूरा हुआ।
श्रद्धांजलि
श्रद्धांजलि देते हुए कुछ महान् व्यक्तित्व के कथन
निम्न हैं-
- चंद्रशेखर की मृत्यु से मैं आहत हूँ। ऐसे व्यक्ति युग में एक बार ही जन्म
लेते हैं। फिर भी हमें अहिंसक रूप से ही विरोध करना चाहिये। - महात्मा गांधी
- चंद्रशेखर आज़ाद की शहादत से पूरे देश में आज़ादी के आंदोलन का नये रूप
में शंखनाद होगा। आज़ाद की शहादत को हिंदोस्तान हमेशा याद रखेगा। - पंडित जवाहरलाल नेहरू
- देश ने एक सच्चा सिपाही खोया। - मुहम्मद अली जिन्ना
- पंडित जी की मृत्यु मेरी निजी क्षति है। मैं इससे कभी उबर नहीं सकता। - पंडित मदन मोहन मालवीय
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