Shabd Roop Hindi Grammar { शब्द रूप }
शब्द रूप Shabd Roop
- पद/शब्द रूप- ‘शब्द‘ की सत्ता वाक्य से बाहर है। वाक्य में प्रयुक्त शब्द ‘पद‘ या ‘शब्द रूप ‘ कहलाता है।
- जब भी शब्द वाक्य में प्रयुक्त होगा, उसमें ‘पद‘ या ‘शब्द रूप‘ बनाने वाला कोई-न-कोई प्रत्यय अवश्य लगेगा।
- प्रकार्य तथा वाक्य में प्रयुक्त होने की दृष्टि से एक ही शब्द के हमें अनेक ‘शब्द रूप‘ प्राप्त हो सकते हैं, जैसे-‘लड़का‘ शब्द से बने ‘लड़का‘ (शून्य प्रत्यय), लड़के (ए- प्रत्यय), लड़कों (ओं-प्रत्यय) आदि।
- 'पद' या शब्द रूप‘ का संबंध एक ओर शब्द से है तो दूसरी ओर वाक्य से, क्योंकि वाक्य में प्रयुक्त शब्द ही ‘पद‘ है।
प्रश्नः
लिंग किसे कहते हैं?
उत्तर: ‘लिंग‘ शब्द अंग्रेजी के ‘Gender‘ शब्द के लिए प्रयुक्त होता है। लिंग शब्द का अर्थ है चिन्ह
या पहचान का साधन। ‘शब्द के जिस रूप से यह पता चले कि वह पुरूष जाति का है या
स्त्री जाति का, उसे
व्याकरण में लिंग कहते हैं।‘
हिंदी के दो लिंग हैं- पुंलिग और स्त्रीलिंग। प्रत्येक संज्ञा शब्द या तो पुंलिंगवाची होगा अथवा
स्त्रीलिंगवाची, क्योंकि बिना लिंग से जुड़े वह वाक्य में प्रयुक्त नहीं हो सकता।
वाक्य में क्रिया का रूप संज्ञा के लिंग (तथा वचन) के अनुसार बदलता है, जैसे-‘घोड़ा दौड़ता है/घोड़ी
दौड़ती है।‘ साथ ही अनेक विशेषण शब्द भी संज्ञा के लिंग के अनुसार
परिवर्तित होते हैं,
जैस- ‘काला
घोड़ा/काली घोड़ी‘।
उभयलिंगी
शब्द-
कुछ शब्द ऐसे भी होते हैं जिनका प्रयोग दोनों
लिंगों (पुंलिग तथा स्त्रीलिंग) में हो सकता
है। इन शब्दों में लिंग परिवर्तन नहीं होता, जैसे-
प्रधानमंत्री, मंत्री ,इजीनियर, डॉक्टर, मैनेजर आदि।
उदाहरण -
1. प्रधानमंत्री पधार रहे हैं।
2. डॉक्टर घर चली गई हैं।
3. लंका की प्रधानमंत्री कल विदेश जा रही हैं।
4. डॉक्टर बुला रहे हैं।
1-‘आनी‘ प्रत्यय से बनने वाले स्त्रीलिंग शब्द (अ-आनी/आणी)
पुंलिग
नौकर
जेठ
मेहतर
देवर
क्षत्रिय
चौधरी
मुगल
भव
|
स्त्रीलिंग
नौकारानी
जेठानी
मेहतरानी
देवरानी
क्षत्राणी
चौधरानी
मुगलानी
भवानी
|
2. ‘आइन‘ प्रत्यय से बनने वाले स्त्रीलिंग शब्द (अ,आ, ई, ऊ, ए-आइन)
पुंलिंग
पंडित
ठाकुर
चौधरी
बाबू
पंडा
हलवाई
ओझा
चौबे
|
स्त्रीलिंग
पंडिताइन
ठकुराइन
चौधराइन
बबुआइन
पडाइन
हलवाइन
ओझाइन
चौबाइन
|
3. ‘ई‘ प्रत्यय से बनने वाले स्त्रीलिंग शब्द (अ,आ,- ई)
पुंलिंग
लड़का
गूँगा
कबूतर
पहाड़
हरिण
गोप
घोड़ा
बच्चा
रस्सा
तरूण
देव
नर्तक
|
स्त्रीलिंग
लड़की
गूँगी
कबूतरी
पहाड़ी
हरिणी
गोपी
घोड़ी
बच्ची
रस्सी
तरूणी
देवी
नर्तकी
|
‘आ‘ अंत वाले शब्दों में ‘आ‘ का लोप हो जाता है और उनके स्थान पर - ‘ई‘ प्रत्यय लग जाता है।
4. ‘इया‘ प्रत्यय से बनने वाले स्त्रीलिंग शब्द (आ-इया)
पुंलिंग
बूढ़ा
चिड़ा
बेटा
गुड्ढा
चूहा
बंदर
डिब्बा
कुत्ता
|
स्त्रीलिंग
बुढि़या
चिडि़या
बिटिया
गुडि़या
चुहिया
बंदारिया
डिबिया
कुतिया
|
कुछ ‘अ/आ‘ अन्त वाले शब्दों के ‘अ/आ‘ का लोप हो जाता है तथा उनके स्थान पर- ‘इया‘ प्रत्यय आ जाता है।
इसके
साथ-साथः
- मूल शब्द का पहला स्वर हृस्व
हो जाता है।
- यदि मूल शब्द में व्यंजन
द्वित्व है (कुत्ता) तो एक व्यंजन का लोप हो जाता है। (कुतिया)।
5. इन प्रत्यय से बनने वाले स्त्रीलिंग शब्द- मूल शब्द के अंतिम स्वर का लोप हो
जाता है और उसके स्थान पर -‘इन‘ प्रत्यय आ जाता है।
पुंलिंग
कुम्हार
नाई
लुहार
सुनार
जुलाहा
पड़ोसी
चमार
नाग
|
स्त्रीलिंग
कुम्हारिन
नाइन
लुहारिन
सुनारिन
जुलाहिन
पड़ोसिन
चमारिन
नागिन
|
6. ‘नी‘ प्रत्यय से बनने वाले स्त्रीलिंग शब्द (अ-अनी)
पुंलिंग
शेर
मोर
चोर
भील
|
स्त्रीलिंग
शेरनी
मोरनी
चोरनी
भीलनी
|
7. ‘इनी‘ प्रत्यय से बनने वाले स्त्रीलिंग शब्द
(अ, ई-इनी/इणी):
शब्दांत में ‘अ‘ आने वाले शब्दों में -‘नी‘ प्रत्यय, ‘अ‘ के स्थान पर आ जाता है।
परन्तु कुछ शब्दों में जिनके अंत में ‘ई‘ स्वर आता है-‘नी‘ प्रत्यय लगने पूर्व ई- ‘इ‘ (हृस्व स्वर) में बदल जाता है। जैसे-
पुंलिंग
हाथी
तपस्वी
हंस
एकाकी
स्वामी
अभिमानी
यशस्वी
हितकारी
|
स्त्रीलिंग
हथिनी
तपस्विनी
हंसिनी
एकाकिनी
स्वामिनी
अभिमानिनी
यशस्विनी
हितकारिणी
|
8. इका
प्रत्यय जोड़कर (अक-इका)
पुंलिंग
संयोजक
गायक
नायक
लेखक
परिचायक
बालक
पाठक
अध्यापक
|
स्त्रीलिंग
संयोजिका
गायिका
नायिका
लेखिका
परिचायिका
बालिका
पाठिका
अध्यापिका
|
9. कुछ संज्ञा शब्द जिनके अंत में - ‘वान/मान‘ आते हैं उनके स्थान पर ‘वती/मती‘ स्त्री प्रत्यय लगाकर स्त्रीलिंग शब्द बनाए जाते हैं। जैसे-
पुंलिंग
गुणवान
भाग्यवान
श्रीमान
बुद्धिमान
भगवान
शक्तिमान
सत्यवान
पुत्रवान
|
स्त्रीलिंग
गुणवती
भाग्यवती
श्रीमती
बुद्धिमती
भगवती
शक्तिमती
सत्यवती
पुत्रवती
|
10. कुछ
शब्दों में मूल शब्द स्त्रीलिंगवाची होते हैं और उनमें प्रत्यय जोड़कर
पुंलिंग रूप बनाए जाते हैं।
जैसे-
पुंलिंग
मौसा
जीजा
बहनोई
ननदोई
|
स्त्रीलिंग
मौसी
जीजी
बहन
ननद
|
हिन्दी
में कुछ स्त्री प्रत्यय संस्कृत से आए हैं और उसी के अनुसार हिन्दी में स्त्रीलिंग
शब्द बनते हैं।
जैसे-
11. ‘आ‘ प्रत्यय जोड़कर (अ-आ)
पुंलिंग
प्रिय
छात्र
सुत
प्रियतम
पूज्य
शूद्र
बाल
आचार्य
|
स्त्रीलिंग
प्रिया
छात्रा
सुता
प्रियतमा
पूज्या
शूद्रा
बाला
आचार्या
|
12. कुछ
तत्सम शब्दों में ‘ता‘को ‘त्री‘ करने से (ता-त्री)
पुंलिंग
कर्ता
वक्ता
दाता
अभिनेता
धाता
विधाता
नेता
रचयिता
|
स्त्रीलिंग
कर्त्री
कक्त्री
दात्री
अभिनेत्री
धात्री
विधात्री
नेत्री
रचयित्री
|
13. ‘नित्य‘ पुलिंग तथा ‘नित्य‘ स़्त्रीलिंग
शब्दों में मादा या नर शब्द लगाने से-
पुंलिंग
नर मक्खी
नर छिपकली
भेडि़या
गैंडा
नर चील
नर कोयल
खरगोश
भालू
|
स्त्रीलिंग
मक्खी
छिपकली
मादा भेडि़या
मादा गैंडा
चील
कोयल
मादा खरगोश
मादा भालू
|
14. भिन्न
रूप से स्त्रीलिंग शब्द-
हिन्दी
में अनेक संज्ञा शब्द ऐसे भी हैं जिनके पुंलिंग और स्वीलिंग शब्दों में पर्याप्त
भिन्नता दिखाई देती हैं।
पुंलिंग
भाई
नर
विद्वान
नपुंसक
साधु
मियाँ
कवि
वर
पति
बिलाव
वीर
बुआ
|
स्त्रीलिंग
भाभी
मादा/नारी
विदुषी
बाँझ
साध्वी
बीवी
कवयित्री
वधू
पत्नी
बिल्ली
वीरांगना
फूफा
|
पुंल्लिग
परिभाषा-
जिन संज्ञा शब्दों से पुरूष जाति को बोध हो अथवा जो शब्द पुरूष जाति के अन्तर्गत
माने जाते हैं, वे पुल्लिंग हैं।
जैसे-कुत्ता, लड़का, घर, पेड़, सिंह आदि
स्त्रीलिंग
परिभाषा
- जिन संज्ञा शब्दों से स्त्री जाति को बोध हो अथवा जो शब्द स्त्री जाति के
अन्तर्गत माने जाते हैं, वे स्त्रीलिंग हैं। जैसे-
गाय, घड़ी, लड़की, कुर्सी, छड़ी, नारी आदि।
पुल्लिंग की पहचान- Puling Ki Pahchan
- 1 आ, आव, पा, पन, न- ये प्रत्यय जिन शब्दों के अंत में हों, वे प्रायः पुल्लिंग होते हैं। जैसे- मोटा, चढ़ाव, बुढ़ापा, लड़कपन, लेन-देन।
- 2. पर्वत, मास, वार, और कुछ, ग्रहों, के नाम पुल्लिंग होते हैं। जैसे-विन्ध्याचल, हिमालय, वैशाख, सूर्य, चन्द्र, मंगल बुध आदि।
- 3. पेड़ों के नाम पुलिंग होते हैं।
- जैसे-पीपल, नीम, आम, शीशम, सागौन, जामुन, आदि।
- अनाजों के नाम पुंलिंग होते हैं।
- जैसे- बाजारा, गेंहू, चावल, चना, मटर, जौ, उड़द, आदि।
- 5. द्रव पदार्थों के नाम पुलिंग होते हैं। जैसे-पानी, सोना, ताँबा, लोहा, घी, तेल आदि।
- 6. रत्नों के नाम पुंलिंग होते हैं। जैसे-हीरा, पन्ना, मूंगागा, मोती माणिक आदि।
- 7. देह के अवयवों के नाम पुंलिंग होते हैं। जैसे-मस्तक, दाँत, हाथ, कान, गला, तालु, रोम आदि।
- 8. जल, स्थल और भूमण्डल के भागों के नाम पुंलिंग होते हैं।
जैसे- समुद्र, भारत, देश नगर, द्वीप, आकाश, पाताल, घर, सरोवर आदि।
- 9. वर्णमाला के अनेक अक्षरों के नाम पुंलिंग होते हैं। जैसे- अ, उ, ए ओ, क, ख, ग, ध, च, छ, य, र, ल, व, श आदि।
- नित्य पुंलिंग शब्द-तोता , मच्छर, कौवा, विच्छू आदि।
स्त्रीलिंग की पहचान Striling Ki Pahchan
- 1.जिन संज्ञा शब्दों के अतं में ‘ख‘ होता है, तो स्त्रीलिंग कहलाते हैं जैसे- ईख, भूख, चोख, राख आदि।
- 2. जिन भाववाचक संज्ञाओं के अंत में ट, वट या हट
होता है, तो स़्त्रीलिंग कहलाती हैं। जैसे- झंझट, आहट, चिकनाहट, बनावट, सजावट आदि।
- 3. अनुस्वारांत, ईकारांत, ऊकारांत, तकारांत, सकारांत, संज्ञाएं
स्त्रीलिंग कहलाती हैं। जैसे- रोटी, टोपी, नदी, चिट्ठी , उदासी रात, बात, छत, भीत, लू, साँस आदि।
- 4.भाषा, बोली और लिपियाँ के नाम स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे- हिन्दी, संस्कृत देवनागरी, पहाड़ी, तेलुगु, पंजाबी।
- 5. जिन शब्दों के अंत में ‘इया‘ आता है, वे स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे- कुटिया, खटिया, लुटिया, चिडि़या, आदि।
- 6. नदियों के नाम स्त्रीलिंग होत हैं। जैसे-यमुना, गंगा, गोदावरी, ताप्ती आदि।
- 7. तिथियों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे- पहली, दूसरी, प्रतिपदा, पूर्णिमा
आदि।
- 8. पृथ्वी ग्रह स्त्रीलिंग है।
- 9. नक्षत्रों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे- अश्विनी, रोहिणी, भरणी आदि।
- नित्य स्त्रीलिंग शब्द-कोयल, मैना, चील आदि।
शब्दों का लिंग-परिवर्तन Shabd Ka ling Parivartna
- पुंल्लिंग से स्त्रीलिंग बनाने के लिए जो चिन्ह लगाये
जाते हैं, वे स्त्री प्रत्यय कहलाते हैं।
- इनमें से कुछ प्रमुख प्रत्यय इस प्रकार हैं-
- ई, इया, इन, नी, आनी, आइन, आ, इका, इनी,
(इणी) आदि।
वचन परिवर्तन Vachan Parivartan
हिन्दी में मूल शब्दों के बहुवचन रूप प्रायः
शून्य (0),
‘-ए‘ ‘-एँ‘ तथा ‘-आँ‘ प्रत्यय
लगाकर बनाए जाते हैं। वचन- परिवर्तन के नियम इन्हीं प्रत्ययों के लगने पर निर्भर
करते हैं। जैसे-
1.‘-ए‘ प्रत्यय जोड़कर- आकारान्त शब्दों के अंतिम ‘आ‘ के स्थान पर ‘-ए‘ प्रत्यय लग जाता है।
एकवचन
लड़का
रास्ता
कमरा
दाना
कपड़ा
लोटा
गधा
बच्चा
मुर्गा
भाला
घंटा
पैसा
|
बहुवचन
लड़के
रास्ते
कमरे
दाने
कपड़े
लोटे
गधे
बच्चे
मुर्गे
भाले
घंटे
पैसे
|
2. ‘-एँ‘ प्रत्यय
जोड़कर -
(क) व्यंजनान्त (-अ अन्त वाले) मूल शब्दों में ‘अ‘ स्वर
का लोप हो जाता है और उसके स्थान पर ‘-एँ‘ बहुवचन सूचक प्रत्यय लग जाता है। जैसे-
एकवचन
नहर
कलम
सड़क
बाँह
बोतल
दीवार
चीज
पुस्तक
|
बहुवचन
नहरें
कलमें
सड़कें
बाँहे
बोतलें
दीवारें
चीजें
पुस्तकें
|
(ख)
आकारान्त/ऊकारान्त/औकारांत/आदि शब्दों में अन्तिम स्वर का लोप नहीं होता। अंतिम
स्वर के बाद ‘-एँ‘ प्रत्यय जुड़ जाता है। (‘अ‘ को
हृस्व कर देते हैं) जैसे-
एकवचन
महिला
कविता
वधू
माता
कथा
शाला
गौ
दवा
|
बहुवचन
महिलाएँ
कविताएँ
वधुएँ
माताएँ
कथाएँ
शालाएँ
गौएँ
दवाएँ
|
3 ‘-आँ‘ प्रत्यय जोड़कर -
जब ईकारान्त संज्ञा शब्दों में ‘आँ‘ बहुवचन सूचक प्रत्यय लगता है
तो अंतिम स्वर ‘ई‘ का परिवर्तन हृस्व ‘इ‘ में हो जाता है तथा ‘इ‘ और ‘आँ‘ के मध्य ‘य‘ व्यंजन का आगम हो जाता है, जैसे- दासी + आँ + य् + आँ =
दासियाँ।
एकवचन
शक्ति
पंक्ति
नारी
बुढि़या
लड़की
गृहिणी
स्त्री
गली
रीति
नदी
मछली
रानी
डिबिया
नाली
लकड़ी
टोपी
|
बहुवचन
शक्तियाँ
पंक्तियाँ
नारियाँ
बुढि़याँ
लड़कियाँ
गृहिणियाँ
स्त्रियाँ
गलियाँ
रीतियाँ
नदियाँ
मछलियाँ
रानियाँ
डिबियाँ
नालियाँ
लकडि़याँ
टोपियाँ
|
4. शून्य
(0) प्रत्यय जोड़कर -
शून्य प्रत्यय जोड़ने का अर्थ इतना ही है कि
कुछ संज्ञा शब्दों के एकवचन और बहुवचन रूप समान रहते हैं। जैसे- पानी, प्रेम, प्यार, भय, क्रोध, दान।
5. हिन्दी में कुछ शब्दों के बहुवचन बनाने के लिए मूल शब्दों
के साथ ‘वर्ग‘, ‘वृंद‘ ‘गण‘, ‘लोग‘, ‘जन‘, आदि समूहवाची शब्द जोड़ दिए
जाते हैं, जैसे-कर्मचारी वर्ग, पक्षीवृंद, असभ्य लोग, विद्वज्जन, लेखकगण आदि।
6. हिंन्दी
में कुछ शब्द हमेशा बहुवचन रूप में ही प्रयुक्त होते हैं.
जैसे-आँसू, केश, समाचार, दर्शन, प्राण, हस्ताक्षर, बाल, लोग, प्रजा, रोम, होश आदि।
- (क) समाचार मिलते ही उसके आँसू उमड़ पड़े।
- (ख) आपके दर्शन के लिए लोग इकट्ठे हो गए हैं।
- (ग) उसके प्राण न निकल सके।
- (घ) उसके बाल बहुत घुँघराले हैं।
7. इसी
तरह से कुछ ऐसे संज्ञा शब्द भी है जो हमेशा एकवचन में ही आते हैं, जैसे- क्रोध, क्षमा, छाया, जल, जनता, पानी, दूध, वर्षा हवा, आग आदि।
- (क) इस वर्ष वर्षा नहीं होगी।
- (ख) हवा बहुत तेज चल रही थी।
- (ग) वहाँ आग जल रही थी।
8. सम्मान
अथवा आदर दिखाने के लिए भी हिंन्दी में एकवचन संज्ञा शब्दों का प्रयोग बहुवचन के
रूप में किया जाता है। जैसे-
- (क) माता जी दिल्ली जा रही है।
- (ख) गांधी इस देश के राष्ट्रपति थे।
- (ग) अध्यापक कक्षा में पढ़ा रहे हैं।
कारक Karak
परिभाषा
-संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से उसका सीधा संबंध क्रिया के साथ ज्ञात हो, वह ‘कारक‘ कहलाता है।
- कर्ता -ने
- करण- ने, से, द्वारा
- अपदान - से -अलग होने का अर्थ में
- सम्बन्ध- का, के, की, रा, रे री
- कर्म- को
- सम्प्रदान- के लिए, को, के वास्ते, के हेतु
- अधिकारण - में, पर, के, ऊपर, के भीतर, के बाद, के पहले को
- सम्बोधन- हे! रे! अरे!
कारक-चिन्ह
स्मरण करने के लिए सूत्र
कर्ता ने अरू कर्म को करण
रीति से जान।
सम्प्रदान को, के लिए, अपादान से मान।
का, के, की सम्बन्ध है, अधिकरणादिक में मान।
रे! हे! हो! सम्बोधन मित्र, धरहु यह ध्यान।।
सम्प्रदान को, के लिए, अपादान से मान।
का, के, की सम्बन्ध है, अधिकरणादिक में मान।
रे! हे! हो! सम्बोधन मित्र, धरहु यह ध्यान।।
Quick Revision
- शब्द भाषा की - इकाई है: स्वतंत्र
- शब्द की सत्ता है: वाक्य से बाहर
- शब्द रूप बनाने वाले प्रत्यय हैः दो (रूप साधक प्रत्यय, शब्द साधक प्रत्यय)
- हिन्दी में संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण तथा क्रिया के विभिन्न रूपों की रचना होती हैं- रूप साधक
प्रत्ययों के अन्तर्गत हिन्दी मं तत्सम, तद्भव तथा
विदेशी तीनों प्रकार के प्रत्यय मिलते हैं-शब्द साधक सा व्युत्पादक प्रत्यय
में।
- लड़का, लड़के, लड़कों, लड़कों में क्रमशः प्रत्यय हैं-शून्य
- प्रत्यय, ए-प्रत्यय, ओ-प्रत्यय, ओं-प्रत्यय।
- लड़का, रोटी का
परिवर्तन रूप है-लड़के, लड़कों, रोटियाँ, रोटियों
- कमरा, कथा का क्रमशः बहुवचन है- कमरे, कथाएँ ।
- घर , घोड़ा, पाठक, सेवक, कमरा यह शब्द हैं-पुंलिंग।
- पानी, भालू, धर, धोबी, कवि के बहुवचन रूप हैं-पानियों, भालुओं, घरों, धोबियों, कवियों।
- दही जम गया है। वाक्य में लिंग है-पुंलिंग।
- दूध उबल चुका है। इस वाक्य में लिंग है-पुंलिंग
- डॉक्टर बुला रहे हैं। इस वाक्य में लिंग है-उभयलिंगी शब्द
- संयोजक, परिचायक, पाठक व लेखक में किस प्रत्यय का प्रयोग करने से स्त्रीलिंग बनेगा- ‘इका‘ प्रत्यय।
- लोटा, पैसा, बच्चा, गुर्गा का
क्रमशः बहुवचन है- लोटे, पैसे, बच्चे, मुर्गे।
- पूजा ने देवांग को मारा। इस वाक्य में कारक हैं- ‘ने‘।
- मैं, मैंने, मुझसे, मुझमें,
‘एकवचन‘, पुरूषवाचक सर्वनाम का ‘बहुवचन‘ सर्वनाम क्रमशः होगा- हम, हमने, हमसे, हममें, हमें ।
- ‘यह‘ निश्चयवाचक सर्वनाम ‘एकवचन‘ का बहुवचन होगा-ये।
- ‘किसी ने, किसी को, किसी पर‘ अनिश्चयवाचक सर्वमान एकवचन का बहुवचन होगा-किन्हीं ने, किन्हीं को, किन्हीं पर.
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