आकृति या रूप के आधार पर हिन्दी वियोगात्मक या विष्लिष्ट भाषा है।
भाषा परिवार के आधार पर हिन्दी भारोपीय परिवार की भाषा है।
भारत में चार भाषा परिवार - भारोपीय, द्रविड़, आस्ट्रिक, एवं चीनी तिब्बती हैं।
भारतीय आर्य भाषा को तीन कालों - प्राचीन भारतीय आर्यभाषा, मध्यकालीन आर्यभाषा एवं आधुनिक
भारतीय आर्यभाषा में विभक्त किया जाता है।
आधुनिक भारतीय आर्यभाषा को पुनः तीन भागों में विभक्त किया गया है- 1 प्राचीन हिन्दी 1100 ई से 1400 ई, मध्यकालीन हिन्दी 1400 ई से 1850 ई एवं आधुनिक हिन्दी 1850 से अब तक
हिन्दी की आदि जननी संस्कृत है।
हिन्दी का विकास क्रम पालि-प्राकृत- अपभ्रंष- अवहट्ट--प्राचीन हिन्दी है।
अपभ्रंष भाषा का विकास 500
ई. से लेकर 1000
ई के मध्य हुआ।
अपभ्रंष भाषा के प्रुख रचनाकार स्वंयभू जिनकी रचना पउम चरिउ अर्था राम
काव्य है। स्वयंभू को अपभ्रंष का बाल्मीकि कहा जाता है।
अपभ्रंष के अन्य कवि धनपाल, पुष्पदंत, सरहपा, कण्हपा आदि है।
न्दी शब्द मूलतः फारसी भाषा का है।
हिन्दी शब्द के दो अर्थ हैं हिन्द देष के निवासी और हिन्द की भाषा।
ब्रजभाषा साहित्य का प्राचीनतम उपलब्ध गं्रथ सुधीर अग्रवाला का प्रधुम्न
चरित 1354 ई. है।
अवधी भाषा की पहली कृति मुल्ला दाउद की रचना चंदायन या लोरकहा 1370 ई मानी जाती है।
भारतेन्दु यगु 1850
ई से 1900 ई. तक का
काल।
द्विवेदी युग 1900
ई से 1920 ई तक का काल।
छायावाद 1918
ई से 1936 ई तक का काल।
14 सितम्बर 1949 को हिन्दी को
संवैधानिक दर्जा प्रदान करते हुएसंविधान के भाग 17 अनुच्छेद 343 के अंतर्गत भारतीय संघ की राजभाषा हिदी तथा लिपि
देवनागरी होगी यह घोषणा की गई।
8 वी अनुसची
में संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त 22 प्रादेषिक भाषाओं को उल्लेख है।
प्रताप नारायण मिश्र नेहिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान का नारा दिया।
हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने का विचार सर्वप्रथम बंगा में उदित हुआ था।
संविधान में हिन्दी को राजभाषा बनाने का प्रस्ताव गोपाल स्वामी आयंगर ने
रखा है।
हिन्दी भाषी क्षेत्र के अंतर्गत 9 राज्य - उत्तरप्रदेष, उतराखंड, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेष,छत्तीसगढ़, राजस्थान, हरियाणा, व हिमाचाल प्रदेष तथा एक केन्द्र शासित प्रदेष दिल्ली
आता है।
भारत के हिन्दी भाषा क्षेत्र में भारत की कुल जनसंख्या का 43 प्रतिषत भाग निवास करता है।
बोली छोटे क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा कहलाती है।
अगर किसी बोली में साहित्य रचना होने लगती है तो वह बोली न रहकर उपभाषा
हो जाती है।
साहित्यकार जब उपभाषा को अपने सात्यिक रचनाओं द्वारा उसके क्षेत्र का
विस्तार कर देते हैं तो वह भाषा का रूप धारण कर लेती है।
हिन्दी क्षेत्र की समस्त बोलियों को 5 वर्गों अर्थात उपभाषा में बॉटा गया है। इन उपभाषाओं के
अंतर्गत 17 बोलियां हैं।
राजस्थानी उपभाषा के अंतर्गत मारवाडी, जयपुरी या ढुंढारी, मेवाती, मालवी बोलियां आती हैं।
पष्चिमी हिन्दी उपभाषा के अंतर्गत कौरवी या खड़ी बोली, ब्रजभाषा, बुंदेली, कन्नौजी बोलियां आती हैं।
पूर्वी हिन्दी उपभाषा के अंतगर्त अवधी, बघेली, छत्तीसगढ़ी आती हैं।
बिहारी उपभाषा के अंतर्गत भोजपुरी, मगही,
मैथिली बोलियां आती हैं।
पहाड़ी उपभाषा के अंतर्गत कुमाउंनी, गढ़वाली बोलियां आती हैं।
विभाषा का क्षेत्र बोली की अपेक्षा अधिक विस्तृत होता है।
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