इतिहास का विभाजन प्राग इतिहास, आद्य इतिहास, एवं इतिहास तीन भागों में विभाजित किया
गया है।
प्रागैतिहास का अर्थ उस काल से है, जिसका कोई लिखित साक्ष्य नहीं मिलता है, जैसे पाषाण काल। आद्य इतिहास वह काल है, जिसमें लिपि के साक्ष्य तो मिले हैं
लेकिन उन्हें पढ़ा नहीं जा सका है, जैसे सिंधु सभ्यता एवं वैदिक काल। जहां लिखितसाक्ष्य मिलना प्रांरभ हो जाते हैं उसे हम
इतिहास कहते हैं। जैसे- छठी शताब्दी ईसा पूर्व से प्रारंभ होने वाला काल।
इतिहास का समय निर्धारित करने के लिए
दो प्रकार की तिथियों का प्रयोग किया जाता है। ईसा पूर्व (बी.सी) एवं ईस्वी
(ए.डी.) । ईसा पूर्व का अर्थ है- ईसा मसीह की मृत्यु से पहले की घटनायें जबकि
ईस्वी का अर्थ है- ईसा मसीह की मृत्यु के बाद की घटनाएं।
भारत के इतिहास का प्रारंभ सामान्यतया
सिंधु घाटी की सभ्यता लगभग 3000
ईसा पूर्व से माना जाता है। इसका अंत भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति 1947 ईस्वी से माना जाता है। मोटे तौर पर
भारत के इतिहास को तीन भागों में विभाजित किया गया है।
प्राचीन भारत का इतिहास- सिंधु घाटी
सभ्यता से दिल्ली सल्तनत की स्थापना के पहले तक3000 ईसा पूर्व से 1206 ईस्वी तक।
मध्यकालीन भारत का इतिहास- दिल्ली
सल्तनत की स्थापना से उत्तकालीन मुगल शासकों के पहले तक- 1206 ईस्वी से 1707 ईस्वी तक।
आधुनिक भारत का इतिहास ( उत्तरकालीन
मुगल शासकों की स्थापना से भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति तक) 1707 ईस्वी से 1947 इस्वी तक)
खेती किये जाने का सबसे पहला प्रमाण
मेहरगढ नामक स्थान से मिलता है। चावल की खेती का सबसे पहला प्रमाण इलाहबाद के
कोल्डीहवा नामक स्थान से पाया गया है।
सोने का सबसे पुराना अवशेष 1800 ई. में कर्नाटक के पास एक
पुरापाषणकालीन स्थान से मिला था।
मिट्टी के बर्तन बनाने की शुरूआत
नवभाषाण काल में हुई थी।
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