सैय्यद वंश का प्रथम शासक
खिज्र खां (1414-1421 ई.) था। उसने ‘रैयत-ए-आला‘ की उपाधि धारण की।
20 मई, 1421 ई. को इसकी मृत्यु
के बाद मुबारक शाह शसन बना।
मुबारक शाह (1421-1434 ई.) ने खलीफा का
स्वामित्व स्वीकार नहीं किया। सैय्यद सुल्तानों में मुबारक शाह सबसे योग्य शासक था।
मुबारक ने यमुना नदी के तट पर एक नवीन नगर ‘मुबारकाबाद‘ बसाया तथा उसमें एक अच्छी मस्जिद् का निर्माण करवाया। उसने तत्कालीन
विद्वान ‘याहिया-सरहिन्दी‘ को संरक्षण दिया, जिसने उसके समय के
इतिहास तारीख-ए-मुबारकशाही को लिखा। मुबारकशाह के पश्चात् उसके भाई का पुत्र मुहम्मद-ए-बिन-फरीद
खां ‘मुहम्मद शाह‘ के नाम से गद्दी पर
बैठा।
मुहम्मद शाह (1434-1445 ई.) की 1445 ई. में मृत्यु हो
गई। इसके बाद अलाउद्दीन आलमशाह‘ शासक बना।
अलाउद्दीन आलमशाह (1445-1450 ई.) सैय्यद वंश का
अंतिम शासक था।
इसके समय बहलोल लोदी ने शासन
की पूरी शक्ति अपने हाथों में ले ली तथा दिल्ली सल्तनत में एक नये राजवंश की स्थापना
की।
दिल्ली सल्तनत - लोदी वंश (1451 -1526 ई.). Delhi Sultanate Lodi Vansh
लोदी वंश, सल्तनत युग में दिल्ली
के सिंहासन पर राज्य करने वाले राजवंशों में अंतिम था। इस वंश की स्थापना बहलोल लोदी
(1451-1489 ई.) ने की थी।
बहलोल ने जौनपुर को दिल्ली
में मिलाया तथा बहलोली सिक्के चलाये। इसके बाद सिकंदर लोदी शासक बना।
सिकदर लोदी (1489-1517 ई.) को मूल नाम निजाम
खां था। सिकंदर, लोदी वंश का सर्वश्रेष्ठ
सुल्तान था। सिकंदर ने भूमि की नाप के लिये 30 इंच का एक नया पैमाना ‘गज-ए-सिकंदरी‘ चलाया।
उसने मुहर्रम पर ‘ताजिया‘ निकालना बंद करवा
दिया तथा मुसलमान स्त्रियों को ‘पीरों‘ तथा ‘संतों‘ की मजार पर जाने से रोक दिया। सिकंदर ने 1506 ई. में आगरा नामक
नगर बसाया सिकंदर ने अनेक संस्कृत ग्रंथों का फारसी में अनुवाद करवाया इसी प्रकार का
एक आयुर्वेदिक ग्रंथ, जिसका फारसी में अनुवाद
हुआ है, का नाम फरहंग-ए-सिकंदरी
रखा गया।
उसके समय गान विद्या के एक
श्रेष्ठ ग्रंथ लज्जत-ए-सिकंदरशाही की रचना हुई। सिकंदर के बाद इबा्रहीम लोदी शासक बना।
इब्राहीम लोदी (1517-1526 ई.) न केवल लोदी
वंश अपितुपूरे दिल्ली सल्तनत का अंतिम शासक
था।
उसके समय में 12 अप्रैल, 1526 को पानीपत का प्रथम
युद्ध हुआ। इसमें बाबर ने इब्राहीम लोदी को हरा दिया तथा मार डाला। इसकी मृत्यु के
साथ ही दिल्ली सल्तनत समाप्त हो गया तथा बाबर ने भारत में मुगल वंश की नींव डाली।
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