Samvidhan Kya Hai | संविधान क्या है | भारतीय संविधान का निर्माण | भारतीय संविधान के संबंध मे महत्वपूर्ण तथ्य
संविधान क्या है Samvidhan Kya Hai
- संविधान किसी भी देश का वह मौलिक कानून होता है जो उस देश की सरकार के आधारभूत सिद्धांतो को प्रतिबिम्बित करता है। यह सरकार के विभिन्न अंगो के मुख्य कार्यों तथा सरकार व नागरिकों के मध्य आपसी आदान-प्रदान की रूप रेखा निश्चित करता है।
- न्यूजीलैंड एवं ब्रिटेन को छोड़कर संसार के सभी लोकतांत्रिक देशों में एक लिखित संविधान है।
- भारत में एक विस्तृत लिखित संविधान को अपनाया गया हैं इसका निर्माण एक संविधान समिति द्वारा किया गया था, जिसकी स्थापना इसी उददेश्य से की गई थी। इसके अतिरिक्त देश की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि ने भी देश के संविधान को प्रभावित किया है। भारत के संविधान को समझने के लिए ब्रिटिश शासनकाल में हुए संवैधानिक विकास के बारे में सक्षिप्त जानकारी प्राप्त करना उचित होगा।
भारतीय संविधान का निर्माण Bhartiya Samvidhan Ka Nirman
- जो संविधान सभा अविभााजित भारत के लिए निर्वाचित की गयी थी, भारत के प्रभुत्व सम्पन्न संविधान सभा के रूप में पुनः समवेत की गई। पाकिस्तान में पड़ने वाले क्षेत्र के सदस्यों के निकल जाने से संवधिान सभा में सदस्यों की संख्या 299 रह गई।
- 2 वर्ष 11 महीने और 18 दिन के अथक परिश्रम के फलस्वरूप 26 नंवबर 1949 को भारतीय संवधिान का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया।
- संविधान के कुछ प्रावधान 26 नवंबर 1949 को लागु कर दिए गए। और शेष 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। 26 जनवरी 1950 को संविधान के प्रवर्तन की तारीख कहा जाता है।
- 13 दिसम्बर 1946 ई. को पं. जवाहरलाल नेहरू ने संविधन सभा में ऐतिहासिक उददेश्य प्रस्ताव प्रस्तुत किया जिस 22 जनवरी 1947 को संविधान सीाा ने स्वीकार कर लिया ।
- उददेश्य प्रस्ताव में भारत के भावी संप्रभुता संपन्न लोकतांत्रिक गणराज्य की रूपरेखा दी गई थी इसमें एक संघीय व्यवस्था की परिकल्पना थी, जिसमें अवशिष्ट शक्तियाँ प्रांतों के पास होंगी। सभी नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, कानून और अवसर की समानता विचार, पूजा, व्यवसाय और कार्य की स्वतंत्रता की गारंटी दी गई और इसके साथ ही अल्पसंख्यकों, पिछड़े तथा जनजाति क्षेत्रों तथा दलितों एवं अन्य पिछड़े वर्गों के लिए पर्याप्त आरक्षण रखा गया।
प्रारूप समिति के सदस्य Paroop Samiti Ke Sadshya
- डॉ. भीमराव अम्बेड़कर
- एन. गोपाल स्वामी अयंगर
- अल्लादी कृष्णस्वामी अययर
- सैयद मोहम्मद सादुल्लाह
- बी.एल मित्र
- डी.पी. खेतान
- बाद में बी.एल. मित्र के स्थान पर एन. माधराव को तथा डी.पी. खेतान की मृत्य के पश्चात टी.टी. कृष्णामचारी को प्रारूप समिति का सदस्य बनाया गया।
संविधान सभा की अन्य समिति
- संविधान सभा ने संविधान रचना की विभिन्न समस्याओं से निपटने के लिए अनेक समितियों का गठन किया जैसे- संघीय संविधान समिति, संघीय शक्ति समिति, प्रांतीय संविधान समिति, मूलाधिकार समिति, अल्पसंख्यक समिति, अनुसूचित जाति और जनजाति समिति, परामर्श समिति, हिन्दी अनुवादक समिति, सभा समिति आदि।
संविधान के संबंध मे स्मरणीय तथ्य
- संविधान का प्रारूप तैयार करने के लिए 29 अगस्त 1947 को डॉ. भीमराव अम्बेडकर की अध्यक्षता में 7 सदस्यों की एक प्रारूप समिति का गठन किया गया।
- संविधान सभा की अंतिम बैठक 24 जनवरी 1950 ई. को हुई तथा इसी दिन सदस्यों द्वारा संविधान के अंतिम रूप पर हस्ताक्षर किए गए।
- भारत के मूल संविधान में 395 अनुच्छेद, 22 भाग और 8 अनुसूचियाँ थीं। इसके निर्माण पर कुल 6.4 करोड़ रूपए खर्च हुए।
- वर्तमान भारतीय संविधान में 446 अनुच्छेद तथा 12 अनुसूचियाँ हैं।
भारतीय संविधान की अनुसूचियाँ संविधान की अनुसूचियाँ
Bhartiya Samvidhan Ki Anusuchiya
- पहली अनुसूची- राज्य, संघ राज्य क्षेत्र का वर्णन
- दूसरी अनुसूची- राष्ट्रपति और राज्यपालों के विषय उपबंध, लोकसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, राज्य सभा सभापति, उपसभापति, राज्य की विधानसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष तथा विधान परिषद के सभापति व उपसभापति के बारे में उपबंध है।
- तीसरी अनुसूची- शपथ और प्रतिज्ञान का प्रारूप
- चौथी अनुसूची- राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश में राज्यसभा की सीटों, स्थानों का आवंटन
- पॉचवी अनुसूची- अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन व नियत्रंण।
- छठी अनुसूची- असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के जनजाति क्षेत्रों का प्रशासनं
- सातवी अनुसूची- संघ सूची, राज्य सूची, समवर्ती सूची।
- आठवीं अनुसूची- 22 भाषाएँ
- नौवीं अनुसूची- कुछ अधिनियम और विनियमों का विधि मान्यीकरण प्रथम संशोधन द्वारा स्थापित
- दसवी अनुसूची- दल परिवर्तन के बारे में उपबंध।
- ग्यारहवीं अनुसूची- 52 वें संविधान संशोधन द्वारा स्थापित- पंचायतों की शक्तियाँ तथा प्राधिकार।
- बारहवीं अनुसूची- 73 वें संविधान संशोधन द्वारा स्थापित- नगरपालिका की शक्तियाँ
आठवीं अनुसूची की भाषाएँ- Aathvi ansuchi ki Bhasha
- असमिया, बंगाली, गुजराती, हिंदी, कन्नड, कश्मीरी, मलयाम, मराठी, उडि़या, पंजाबी, संस्कृत, सिंधी, तमिल, तेलगू, उर्दू, कोंकणी, मणिपुरी, नेपाली, बोड़ो, मैथिली, संथाली, डोंगरी।
- कोंकणी, मणिपुरी, और नेपाली को 71 वें संविधान संशोधन 1992 द्वारा संविधान की आठवी अनुसूची में जोड़ा गया।
भारतीय संविधान में विभिन्न संविधानों से ग्रहण किए गए लक्षण-
Bhartiya Samvidhan me anya desho ke samvidhan se liye gay lakshan
ब्रिटेन से भारतीय संविधान में लिए गए लक्षण
- संससदीय व्यवस्था
- कानून का शासन
- विधि निर्माण की प्रक्रिया
- एकल नागरिकता
- द्वि-सदनीय व्यवस्था
अमरीका के संविधान से लिए गए लक्षण
- प्रस्तावना
- न्यायपालिका की स्वतंत्रता
- न्यायिक पनुर्विलोकन
- मौलिक अधिकार
- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधिशों को पद से हटाने की व्यवस्थां
- राष्ट्रपति एक प्रमुख कार्यकारी अध्यक्ष।
- उप राष्ट्रपति उच्च सदन का पदेन सभापति।
कनाड़ा के संविधान से भारतीय संविधान में लिए गए लक्षण
- एक सशक्त केन्द्र वाली संघीय व्यवस्था।
- शक्तियों का विभाजन तथा शेष शक्तियों को केन्द्र को सौंपना।
- केन्द्र द्वारा राज्यपाल की नियुक्ति।
- सर्वोच्च न्यायालय की परामर्श संबंधी शक्तियां।
आयरलैंड के संविधान से लिए गए लक्षण
- राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत
- राष्ट्रपति का निर्वाचन।
- उच्च सदन के सदस्यों को मनोनीत करने सम्बन्धी प्रावधान।
जर्मनी- आपातकालीन उपबंध।
आस्ट्रेलिया- समवर्ती सूची, व्यापार और
वाणिज्य से संबंधित प्रावधान
दक्षिण अफ्रीका- संविधान संशोधन, राज्य
सभा के सदस्यों का निर्वाचन।
फ्रांस- गणराज्य व्यवस्था, स्वतंत्रता
समानता तथा बंधुत्व संबंधी आदर्श
रूस ( पूर्व सोवियत संघ)- मौलिक कर्तव्य, न्याय संबंधी आदर्शों को प्रस्तावना में सम्मिलित करना।
भारत सरकार अधिनियम 1935
- संघीय व्यवस्था, राज्यपाल का पद
- संघीय न्यायपालिका की शक्तियाँ
क्या संविधान सभा एक प्रभुसत्ता संपन्न संस्था थी
- भाारत की संविधान सभा एक प्रभुसत्ता सम्पन्न संस्था नहीं थी। क्योंकि इसकी स्थापना ब्रिटिश सरकार द्वारा कैबिनेट मिशन योजना के अंतर्गत की गई थी। कुछ समय पश्चात ही सभा ने एक प्रस्ताव पारित कर प्रभुता सम्पन्न होने का दावा किया कि इसे भंग करने का अधिकार केवल उसी को प्राप्त है। इस संबंध में संविधान सभा को अपने कुल सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से एक प्रस्ताव को पारित करना होगा, परन्तु 15 अगस्त 1947 को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम पारित किये जाने के पश्चात संविधान सभा ने पूर्ण प्रभुसत्ता सम्पन्न संस्था का रूप धारण कर लिया।
संविधान सभा की कमियां Samvidhan Sabha Ki kamiya
संविधान सभा में अनेक कमियां थीं उनमें से प्रमुख इस प्रकार
हैं-
- इसके सदस्यों का निर्वाचन वयस्क मताधिकार के सिद्धांत के आधार पर नहीं किया गया। अतः इसे सही मायने मेें प्रतिनिधि संस्था नहीं माना जा सकता।
- इसका गठन ब्रिटिश संसद द्वारा पारित अधिनियम के अंतर्गत किया गया। अतः प्रभुसत्ता सम्पन्न संस्था नहीं थी।
- संविधान सभा ने संविधान का निर्माण करने में अत्याधिक समय लगाया।
- संविधान सभा में कांग्रेस का प्रभुत्व था।
- संविधान सभा में वकीलों की बहुतायत थी। अतः उनके द्वारा संविधान में कानूनी भाषा का अत्याधिक प्रयोग किया गया।
- संविधान सभा मुख्यतः हिंदू सदस्यों के बाहूल्य वाली संस्था थी।
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