विधान
सभा राज्य विधानमंडल का लोकप्रिय सदन है, जिसके सदस्य जनता द्वारा प्रत्यक्ष रुप से चुने
जाते हैं।
इस
लोकप्रिय सदन की संख्या न60से कम होनी चाहिए और न500से अधिक (अपवाद अरुणाचल प्रदेश-40, गोवा-40, मिजोरम-40, सिक्किम-32)
विधानसभा
मेँ राज्यपाल एक सदस्य एंग्लो-इंडियन समुदाय से मनोनीत कर सकता है।
विधानसभा
के सत्रावसान के आदेश राज्यपाल द्वारा दिए जाते हैं।
विधानसभा
का कार्यकाल5वर्ष का है। इसका विघटन राज्यपाल5वर्ष से पहले भी कर सकता है।
विधानसभा
की अध्यक्षता करने के लिए एक अध्यक्ष का चुनाव करने का अधिकार सदन को प्राप्त है, जो इसकी
बैठकों का संचालन करता है।
साधारणतया
विधानसभा अध्यक्ष सदन मे मतदान नहीँ करता किंतु यदि सदन मेँ मत बराबरी मेँ बंट जाए
तो वह निर्णायक मत देता है।
विधानमंडल
के किसी सदस्य की योग्यता एवं और अयोग्यता संबंधी विवाद का अंतिम विनिश्चय
राज्यपाल चुनाव आयोग के परामर्श से करता है।
किसी
विधेयक को धन विधेयक माना जाए अथवा नहीँ इसका निर्णय है विधानसभा अध्यक्ष ही करता
है।
किसी
विधेयक पर यदि विधान सभा तथा विधान परिषद् मेँ गतिरोध उत्पन्नहो
जाए तो दोनोँ सदनोँ के संयुक्त अधिवेशन का प्रावधान नहीँ है, ऐसी स्थिति मेँ विधान परिषद की इच्छा मान्य नहीँ है।
विधानसभा
को राज्य सूची से संबंधित विषयों पर विधि निर्माण का अनन्य अधिकार प्राप्त है।
मंत्रिपरिषद
सामूहिक रुप से विधानसभा के प्रति उत्तरदायी है। जब कभी मंत्रिपरिषद के विरुद्ध
अविश्वास प्रस्ताव पारित होता है, तो आधे से अधिक विधानमंडल के सदस्योँ
द्वारा उसकी पुष्टि आवश्यक है।
मुख्यमंत्री Chief Minister
मुख्यमंत्री राज्य की कार्यपालिका का वास्तविक अधिकारी होता है।
मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा होती है। साधारणतयः ऐसे व्यक्ति को
मुख्यमंत्री नियुक्त किया जाता है जो विधानसभा मेँ बहुमत दल का नेता हो।
मुख्यमंत्री मंत्रिपरिषद की बैठकोँ की अध्यक्षता करता है।
मंत्रिपरिषद के निर्णयों को मुख्यमंत्री राज्यपाल तक पहुंचाता है।
मुख्यमंत्री की सलाह से राज्यपाल अन्य मंत्रियोँ की नियुक्ति करता है तथा
उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाता है।
मंत्रिपरिषद राज्य की विधानसभा के प्रति सामूहिक रुप से उत्तरदायी होगी।
यदि कोई मंत्री6 मास तक विधानमंडल का सदस्य नहीँ
है तो उसका अवधि की समाप्ति पर वह मंत्री नहीँ रहैगा।
मंत्रियोँ के वेतन भत्ते आदि का राज्य विधानमंडल विधि द्वारा निर्धारित करेगा।
मुख्यमंत्री का यह कर्तव्य होगा कि वह राज्य के प्रशासनिक कार्य तथा
व्यवस्थापनों के संबंध मेँ मंत्रिपरिषद के निर्णयों से राज्यपाल को अवगत कराए।
यदि किसी विषय पर एक मंत्री ने निर्णय दे दिया है, तो राज्यपाल द्वारा अपेक्षा किए जाने पर इसे मंत्रिपरिषद के विचार के लिए
रखना चाहिए, अनुच्छेद-167।
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