क्षेत्रफल की दृष्टि से
अंटार्कटिका विश्व का पॉचवा सबसे बड़ा महाद्वीप है।
इसका क्षेत्रफल यूरोप के
क्षेत्रफल से 1.3
गुना ज्यादा है।
अंटार्कटिका पृथ्वी का सबसे ठंडा एवं शुष्क महाद्वीप है। जहां
तेज बर्फीली हवायें प्रवाहित होती रहती हैं।
यहां मानव आवास की संभावना नहीं है। यहां अति शीत वातावरण पाये
जाने के कारण शीत वातावरण में पाये जाने वाले पेड़ पौधे एवं जीव जंतु ही पए जाते
हैं।
यहां पर पाये जाने वाले जंतुओं में पेंगुईन,फर सील, मोजेज, लाइकेंस, तथा विभिन्न प्रकार के
शैवाल हैं।
इस महाद्वीप में विश्व के कुल हिम का 90 प्रतिशत उपस्थित है। तथा
विश्व के कुल ताजे पानी का लगभग 70 प्रतिशत यहां पाया जाता है। इसे श्वेत महाद्वीप के नाम से भी जाता हैं.
यह महाद्वीप पृथ्वी के सबसे दक्षिणी छोर में स्थित है। यह
दक्षिणी गोलार्द्ध में अंटार्कटिक वृत्त के दक्षिण में है तथा दक्षिणी महासागर से
घिरा हुआ है।
यह महाद्वीप अंटार्कटिका पर्वतमाला द्वारा दो मुख्य भागों-
पूर्वी अंटार्कटिका एवं पश्चिमी अंटार्कटिका में विभक्त है। पश्चिमी अंटार्कटिका
हिम चादर से ढका हुआ है।
रोज आइलैंड में स्थित माउंट इरेबस यहां का सक्रिय ज्वालामुखी
है।
एल्सवर्थ पर्वत का विन्सन मेसिफ यहां का सबसे उंचा स्थल है। जिसकी उंचाई 4892 मीटर है।
यह पृथ्वी का सबसे ठंडा स्थल है। वोस्टोक अन्वेषण स्टेशन के
वैज्ञानिकों ने यहां विश्व का सबसे कम तापमान -89 डिग्री सेंटीग्रेउ दर्ज किया था।
शीतकाल में यहां तापमान -90 डिग्री सेंटीग्रेड से -80 डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुंच जाता है, जबकि ग्रीष्म ऋतु में
तापमान 5 से 15 डिग्री सेंटीग्रेड (तटीय
क्षेत्रों) तक होता है।
अंटार्कटिका में अनेक प्रकार के ऐसे जीव-जंतु पाये जाते हैं, जो अति उच्च शीतयुक्त
वातावरण में जीवित रह सकते हैं।
यहां लाइकेंस की 200, ब्रायोफाइटा की 50 तथा कवकोंकी लगभग 700 प्रजातियों का पता लगाया
जा चुका है।
यहां पर पाई जाने वाले सील मछलियों में वेडल सील सबसे प्रमुख
है। इस मछली का नामकरण ब्रिटेन के अन्वेषी दल के कमांडर सर जेम्स वेडल के नाम पर
रखा गया है।
अंटार्कटिका में न तो कोई सरकार है और न ही यह किसी देश के अधीन
है। हालांकि इसके विभिन्न क्षेत्रों पर विभिन्न देशो ने अपने-अपने दावे प्रस्तुत
किये हैं।
17 जनवरी 1773 को सबसे पहले कैप्टन जेम्स
कुक ने पहली बार अंटार्कटिका वृत्त को पार किया। इसके बाद 1774 में पुनः कुक ने अपनी
यात्रा दोहरायी।
अंटार्कटिका की धरती पर पहली बार कदम रखने का प्रमाणिक श्रेय एक
अमेरिकी अन्वेषक जान डेविस को दिया जाता है। जिन्होंने 7 फरवरी 1821 को अंटार्कटिकापर कदम रखा।
1841 में कैप्टन जेम्स क्लार्क
रोज ने यहां आकर रोज सागर एवं रोज द्वीपसमूह की खोज की।
1989 में बोर्चरिविंक के
नेतृत्व में यह अभियान दल ने यहां सर्दी का मौसम बिताया।
भारत की ओर से यहां सबसे पहले पहूँचने वाले जी.एस. सिरोही थे, जिनके सम्मान में इस स्थान
का नाम ‘सिरोही स्थल‘ रखा गया है।
1984 में यहां पर जन्म लेने
वाली जॉन पाब्लो कोमाको पहली चिली की नागरिक बनीं, जिनका अंटार्कटिका में जन्म हुआ।
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