MP me 1857 ki kranti |1857 की क्रांति
1857 की क्रांति 1857 Ki Kranti
- 1824 में चंद्रपुर (सागर) के जवाहरसिंह बुंदेला ने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत कर दी।
- सागर, दमोह, नरसिंहपुर, जबलपुर, मण्डला, होशंगाबाद के क्षेत्रों में भी विद्रोह होने लगे।
- तात्या टोपे और नानासाहब पेशवा के संदेशवाहकों ने ग्वालियर, महू, नीमच, मंदसौर, जबलपुर, सागर, दमोह, भोपाल और विन्ध्य क्षेत्र में घूम-घूम कर राष्ट्रीय भावना का प्रसार किया।
- सैनिकों, किसानों और ग्रामीणों के मध्य संदेश ‘रोटी और कमल‘ के फूल के माध्यम से पहुँचाया जाने लगा।
- 3 जून 1857 को नीमच छावनी में विद्रोह भड़का । मंदसौर में भी विद्रोह हुआ।
- 14 जून 1857 को ग्वालियर छावनी में सैनिकों ने विद्रोह कर दिया। शिवपुरी, गुना में भी विद्रोह भड़का।
- शेख रमजान के नेतृत्व में सागर छावनी में विद्रोह हुआ।
- महाराजा सयाजीराव सिंधिया ने भागकर आगरा में अंग्रेजों के यहाँ शरण ली।
- 1 जुलाई 1857 को सदाअत खाँ के नेतृत्व में होलकर नरेश की सेना ने महू छावनी में विद्रोह कर दिया। इस समय इन्दौर में मौजूद अंग्रेज अधिकारी कर्नल डयूरेंट, स्टुअर्ट आदि सीहोर भाग गये। भोपाल की बेगम ने अंग्रेजों को संरक्षण दिया।
- अमझेरा के राव बख्तावसिंह ने विद्रोह किया। धार, भोपाल आदि क्षेत्र विद्रोहियों के कब्जे में आ गये।
- मण्डलेश्वर, सेंधवा, बड़वानी में भीमा नायक ने नेतृत्व संभाला।
- मण्डला में रामगढ़ रियासत की रानी अवंतीबाई ने नेतृत्व किया।
- गढ़मण्डला के शंकरशाह, रघुनाथ शाह और राधवगढ़ के राजा सूरजप्रसाद ने महाकौशल क्षेत्र में विद्रोह किया।
- 1857 की क्रांति के फलस्वरूप ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन समाप्त हुआ और भारत ब्रिटिश साम्राज्य के अंतर्गत आ गया।
- मध्यभारत की रियासतों, भोपाल नवाब और विन्ध्यन की रियासतों के साथ अंग्रेजों ने सहायक संधि कर संरक्षण दिया।
- 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना बम्बई में हुई।
- 1891 में कांग्रेस का 7वाँ अधिवेशन नागपुर में हुआ। तिलक द्वारा प्रांरभ गणेश उत्सव, शिवाजी उत्सव तथा अखाड़ों के माध्यम से मालवा में भी राष्ट्रीय भावना का प्रसार होने लगा।
- 1906 में गंगाधन चिटनीस ने जबलपुर में प्रांतीय अधिवेशन बुलाया। जिसमें मध्यभारत से बाबूराव किनछेड़े, अब्दुल्ला अजीज, भोपाल हरीभिड़े ने भाग लिया। 1907 में हरिसिंह गौर ने इसका आयोजन रायपुर में किया।
- 1916 में सिवनी में सत्याग्रह हुआ। गाँधीजी ने असहयोग एवं खिलाफत आंदोलन की घोषणा की।
- म.प्र. में डुण्डीराज जाटव और अब्दुल गफ्फार खान ने खिलाफत आंदोलन (1920) को संगठित किया।
- असहयोग आंदोलन (अगस्त 1920) में म.प्र. से सेठ गोविंददास, पं. द्वरिका प्रसाद, ठाकुर लक्ष्मण सिंह और पं. रविशंकर शुक्ल ने नेतृत्व किया।
- 1923 में श्यामसुंदर भार्गव, सुभद्राकुमारी चौहान, अब्दुल कादिर सिद्धिकी ने धरना सत्याग्रह एवं प्रदर्शन किया।
- 1923 में जबलपुर में झण्डा सत्याग्रह हुआ।
- पं. माखनलाल चतुर्वेदी ने कर्मवीर पत्र के प्रकाशन के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना का प्रसार किया।
- 12 मार्च 1930 को प्रांरभ दाण्डी यात्रा 6 अप्रैल 1930 को समाप्त हुई।
- 7 अप्रैल 1930 से म.प्र. में स्थान-स्थान पर आंदोलन शुरू हो गये।
- म.प्र. में जबलपुर में रानी दुर्गावती की समाधि से सेठ गोविंदददास एवं पं. द्वारिकाप्रसाद मिश्र के नेतृत्व में चल समारोह निकाला गया और खण्डवा, सीहोर, जबलपुर आदि स्थानों पर नमक कानून तोड़ा गया।
- सिवनी में दुर्गाशंकर मेहता ने गाँधी चौक पर नमक बनाकर सत्याग्रह शुरू किया।
- 8 अप्रैल 1931 को सीहोर, कटनी, मण्डला, दमोह में सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ।
- सिवनी (दुरिया) के आदिवासियों ने वन सत्याग्रह (1930) किया।
- घोड़ा डोंगरी में वन सत्याग्रह का नेतृत्व राजन सिंह कोरकू ने किया।
- 1931 में छतरपुर में चरण पादुका ग्राम में कर्नल फिशर ने स्वतंत्रता सेनानियों की शांतिपूर्वक बैठक पर अंधाधुंध गोलियाँ बरसाई। जिसमें 6 लोग शहीद हुए। इस घटना की तुलना जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड (19 अप्रैल 1919, अमृतसर, जनरल डायर) से की गई।
- 1954 में न.पी. केलकर के नेतृत्व में कांग्रेस ने एक अखिल भारतीय प्रजा परिषद का गठन किया।
- कालांतर में मध्य भारत, विन्ध्यप्रदेश, भोपाल प्रजामण्डल की स्थापना हुई।
- झाबुआ एवं धार जिले में ब्रिटिश ध्वज यूनियन जैक जला दिया गया।
- 1939 में जबलपुर से पहले व्यक्तिगत सत्याग्रही विनोबा भावे बने।
- 1942 में मण्डलेश्वर में बंदी क्रांतिकारियों ने जेल का मुख्य द्वार तोड़ दिया। भारत छोड़ो आंदोलन के समय कई भूमिगत नेता रतलाम में रहे।
- मालवा क्षेत्र में इन्द्रनारायण पुराणिक, मालिनी सरवटे, इन्दु पाटकर, जौहरीलाल झांझरिया को 1942 में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
- सतना के लालसिंह पद्यमधर पुलिस की गोली से शहीद हुए।
- 1942 के आंदोलन के पूर्व भोपाल राज्य प्रजामण्डल के पदाधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया।
- रीवा जिले के पं. शंभूनाथ शुक्ल तथा चंद्रकांत शुक्ल ने कॉलेज में पढ़ रहे छात्रों में राष्ट्रीय भावना का प्रसार किया। शहडोल से श्री छोटेलाल पटेल ने लोगों में जागृति फैलाई।
- 1942 में साबूलाल जैन (सागर), उदयचंद्र जैन (मण्डला), गुलाबसिंह (जबलपुर) की पुलिस गोलीबारी में मृत्यु हो गई।
- नरसिंहपुर के चिचली ग्राम में मंशाराम ताम्रकार और गौरीबाई का निधन हो गया।
- बैतूल जिले के आदिवासियों ने भी (वर्षा गोड़, महादेव तेली) भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया।
- भाबरा (अलीराजपुर) से चंद्रशेखर आजाद सशस्त्र संघर्ष के नेता बने।
- 15 अगस्त 1947 को मध्यभारत की रियासतों को मिलाकर मध्यभारत राज्य बना।
- रीवा, पन्ना, छतरपुर का एकीकरण कर विन्ध्य प्रदेश बना।
- भोपाल को स्वतंत्र राज्य बनाया गया।
- 1 नवम्बर 1956 को म.प्र. का गठन हुआ।
- 1 नवम्बर 2000 को म.प्र. से छत्तीसगढ़ पृथक राज्य बना।
1857 क्रांति के प्रमुख नेता 1857 Ki kranti ke MP ke pramukh neta
- शेख रमजान-सागर
- टंट्या भील-निमाड़
- शंकरशाह-गढ़ामण्डला
- राजा ठाकुर प्रसाद-राघवगढ़
- नारायणसिंह-रायपुर
- शहादत खाँ-महू
- रानी लक्ष्मीबाई-झाँसी-कालपी
- सुरेंद्रराय-संबलपुर (छ.ग.)
- तात्या टोपे-कानपुर-झाँसी-ग्वालियर
- भीमा नायक-मण्डलेश्वर
- रानी अवंतीबाई-रामगढ़
- झलकारी बाई-झाँसी (लक्ष्मीबाई)
- गिरधरी बाई-रामगढ (अवंतीबाई)
- श्री बहादुर एवं देवीसिंह-मण्डला
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