Bharat ki Jalvayu | Climate of India in Hindi | भारत की जलवायु
भारत की जलवायु Climate of India
भारत में विविध प्रकार की जलवायु पाई जाती है।
भारत में निम्नलिखित चार ऋतुएं पायी जाती हैं- शरद ऋतु, ग्रीष्म ऋतु, वर्षा ऋतु, शरद ऋतु।
शीत ऋतु (दिसम्बर से फरवरी तक)
इस समय औसत तापमान 21 डिग्री सेल्सियस होता है। शीत ऋतु में सर्वाधिक तापांतर राजस्थान में पाया जाता है। शीत ऋतु में आने वाली व्यापारिक पवनों को उत्तर-पूर्वी मानसून कहते हैं। इन व्यापारिक पवनों से उत्तर भारत में रबी की फसलों को विशेष लाभ होता है। इस समय पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में हिमपात तथा तमिलनाडु में भारी वर्षा होती है।
ग्रीष्म ऋतु (मार्च से जून के मध्य तक)
इस समय औसत तापमान 40 डिग्री सेल्सियस होता है। इसमें पछुआ पवन चलती हैं जो लू कहलाती हैं। कोलकत्ता में काल बैसाखी वर्षा होती है। असम में इसे चाय वर्षा तथा कर्नाटक में इसे आम्रवृष्टि कहते हैं।
वर्षा ऋतु ( जून से सितम्बर के मध्य तक)
इस समय तक भारत में मानसून का आगमन होता है। मानसूनी पवनें भारतीय सागरों में मई माह के अंत में प्रवेश करती हैं। दक्षिण-पश्चिम मानसून की यात्रा मई माह के अंतिम सप्ताह के प्रारंभ होती है तथा यह लगभग 5 जून तक केरल तट पर पहुंच जाता है और वर्षा करता है।
भारत में वर्षा के संबंध में महत्वपूर्ण तथ्य
- भारत में औसतन वर्षा 892 मिमी वर्षा होती है। पूर्वी हिमालय के इलाके में 1 हजार मिमी से 2 हजार मिमी तक वर्षा होती है, जबकि गंगा के तटीय इलाकों में 900 से 1300 मि.मी. तक वर्षा होती है।
- एक दिन में सबसे ज्यादा वर्षा का रिकाॅर्ड मुबंई का है जहां 22 जुलाई, 2005 को 94.4 सेमी (37 इंच) दर्ज की गई थी। इससे पहले का रिकाॅर्ड चेरापूंजी का था जहां 1910 में 83 सेमी (33 इंच) वर्षा हुई थी।
- मौसम विभाग के अनुसार कम वर्षा होने का अर्थ है 20 से 59 प्रतिशत की कमी है, जबकि सामान्य से ज्यादा बारिश होने का अर्थ है 20 प्रतिशत या इससे ज्यादा बारिश का होना।
इसे ‘लौटता दक्षिण-पश्चिम मानसून‘ कहते हैं।
इस ऋतु में बंगाल की खाड़ी में चक्रवात उठते हैं, जो भारत व बांग्लादेश में भयंकर तबाही मचाते हैं। चक्रवातों
के कारण पूर्वी तटों में भारी वर्षा होती है।
भारत में दक्षिण पश्चिम मानसून
भारत में मानसून
उन ग्रीष्मकालीन हवाओं को कहते हैं जो दक्षिण एशिया में जून से सितंबर तक सक्रिय रहती हैं। ये हवाएं हिन्द महासागर, बंगाल की खाडी और अरब सागर से भारतीय उपमहाद्वीप की ओर प्रवाहित होती है। इनकी दिशा दक्षिण-पश्चिम और दक्षिण-उत्तर की ओर होती है। अतः मानसूनी
हवाओं को दक्षिण-पश्चिम मानसूनी हवाओं के नाम से भी जाना जाता है। दक्षिण-पश्चिम मानसून देश में कुल वर्षा का 70% भाग प्रदान करता ।
भारत में दक्षिण पश्चिम मानसून दो शाखाओं में विभक्त हो जाता है अरब सागर शाखा एवं बंगाल की खाड़ी शाखा।
अरब सागर शाखा- यह दक्षिण पश्चिम मानसून की अधिक शक्तिाशाली शाखा है। यह शाखा बंगाल की खाड़ी की शाखा की अपेक्षा तीन गुना अधिक वर्षा करती है। शाखा देश के पश्चिमी तटों महाराष्ट्र, पश्चिमी घाटों, गुजरात व मध्यप्रदेश, पश्चिमी बिहार के कुछ भागों में वर्षा करती है व पंजाब और बंगाल की खाड़ी में आने वाले मानसून की शाखा से मिल जाती है। दक्कन के पश्चिमी घाट, गुजरात व राजस्थान के वृष्टि छाया प्रदेश में होने के कारण इन क्षेत्रों में वर्षा नहीं हो पाती है।
बंगाल की खाड़ी शाखा- बंगाल की खाड़ी शाखा की दिशा निर्धारित करने में हिमालय पर्वतमालाओं की विशेष भूमिका होती है। इस शाखा से संपूर्ण गंगा बेसिन मेघालय में तथा गारो, खासी व जयंतिया पहाड़ियों आदि में वर्षा होती है। गारो, खासी, जयंतिया पहाड़ियां कीपनुमा हैं, जिसके कारण यहां अत्याधिक वर्षा होती है। विश्व में सर्वाधिक वर्षा वाला स्थान मासिनराम इन्हीं पहाड़ियों में है।
भारत के जलवायु प्रदेश Climate states of India
कोपेन के वर्गीकरण के अनुसार भारत के जलवायु प्रदेशों को निम्न भागों में बांटा जा सकता है-
- शुष्क उष्ण मरूस्थलीय जलवायु प्रदेश- इसके अंतर्गत पश्चिमी राजस्थान के क्षेत्र आते हैं।
- अल्प शुष्क ऋतु वाले मानसूनी प्रदेश- इसके अंतर्गत मालाबार व कोंकण तट के क्षेत्र आते हैं।
- समशीतोष्ण आर्द जलवायु प्रदेश- इसके अंतर्गत भारत के मैदानी क्षेत्र आते हैं।
- उष्णकटिबंधीय सवाना प्रदेश- इसके अंतर्गत प्रायद्वीपीय पठार का अधिकांश भाग आता है।
- शीतोष्ण कटिबंधीय आर्द्र जलवायु प्रदेश- इसके अंतर्गत भारत का उत्तर पूर्वी क्षेत्र आता है।
- दीर्घावधि ग्रीष्म ऋतु वाले शुष्क मानसूनी प्रदेश- इसके अंतर्गत कोरोमण्डल तट आता है।
- ध्रुवीय जलवायु वाले प्रदेश- इसके अंतर्गत कश्मीर व निकटवर्ती पर्वतमालाएं आती हैं।
- अर्द्ध शुष्क स्टेपी जलवायु प्रदेश- इसके अंतर्गत राजस्थान व हरियाणा के कुछ भाग आते हैं।
- टुण्ड्रा प्रकार की जलवायु प्रदेश- इसके अंतर्गत उतराखंड के पर्वतीय क्षेत्र आते हैं।
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