Bharat Nirvachan Ayog GK | भारत निर्वाचन आयोग | Election Commission of India
- भारत निर्वाचन आयोग एक स्थायी संवैधानिक निकाय है। संविधान के अनुसार निर्वाचन आयोग की स्थापना 25 जनवरी, 1950 को की गई थी। आयोग ने अपना स्वर्ण जयंती वर्ष 2001 में मनाया था।
- प्रारम्भ में, आयोग में केवल एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त थे। वर्तमान में इसमें एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दो निर्वाचन आयुक्त हैं।
16 जनवरी 2020 की स्थिति में |
- 1989 में मतदाताओं की आयु को 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष किए जाने के फलस्वरूप मतदाताओं की संख्या में भारी वृद्धि हुई। इस बने हुए कार्य से निपटने के लिए सरकार ने 2 अतिरिक्त निर्वाचन आयुक्त किए।कुछ समय पश्चात राष्ट्रीय मोर्चा सरकार ने इन दोनों पदों को समाप्त कर दिया और फिर से पहले स्थिति स्थापित कर दी।
- अक्टूबर 1989 में नरसिम्हा राव के नेतृत्व में गठित कांग्रेस सरकार ने एक अध्यादेश जारी कर दो निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति कर दी और यह प्रावधान कर दिया कि निर्वाचन आयोग सभी निर्णय या तो सर्वसम्मति से लेगा अथवा बहुमत से लेगा। इस अध्यादेश को मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दे दी थी। सर्वोच्च न्यायालय ने एक अंतिम आदेश जारी करते हुए मुख्य निर्वाचन आयुक्त को दोनों आयुक्तों से उच्च माना।
- जून 1994 में संसद का एक विशेष अधिवेशन बुलाकर निर्णय लिया गया 83वे संवैधानिक संशोधन को पास किया जा सके तथा दोनों आयुक्तों को मुख्य निर्वाचन आयुक्त के समान अधिकार प्रदान की जा सके। परंतु विधेयक में अस्पष्टता के कारण सरकार ने विधेयक को वापस लेने का निर्णय लिया।
- जुलाई 1995 में सर्वोच्च न्यायालय में पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ में मुख्य निर्वाचन आयुक्त की केंद्र की विरोध याचिका को रद्द करते हुए एक मत से यह निर्णय दिया कि केंद्र द्वारा दो निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति अवैध है तथा इन आयुक्तों को मुख्य निर्वाचन आयुक्त के सामान अधिकार प्राप्त है।
- संविधान के भाग 15 के अनुच्छेद 324 से329 में निर्वाचन से संबंधित उपबंध दिया गया है।
निर्वाचन आयोग की स्वतंत्रता के लिए संवैधानिक प्रावधान Constitutional provision for independence of Election Commission
- निर्वाचन आयोग एक संवैधानिक संस्था है अर्थात इसका निर्माण संविधान ने किया है।
- नियुक्ति के पश्चात मुख्य चुनाव आयुक्त अन्य चुनाव आयुक्तों की सेवा शर्तों में अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।
- मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्तों का वेतन भारत की संचित निधि में से दिया जाता है।
- मुख्य चुनाव आयुक्त महाभियोग जैसी प्रक्रिया से ही हटाया जा सकता है।
- मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं।
- निर्वाचन आयोग का गठन मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं एक अन्य निर्वाचन आयुक्त से किया जाता है जिनकी की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है ।
- मुख्य चुनाव आयुक्त तथा अन्य चुनाव आयुक्तों को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की वेतन के बराबर वेतन एवं भत्ते प्राप्त होते हैं।
- मुख्य चुनाव आयुक्त का दर्जा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के समान ही है।
- पहले चुनाव आयोग एक सदस्यीय आयोग था परंतु अक्टूबर 1993 में 3 सदस्य योग बना दिया गया।
निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति एवं कार्यकाल Appointment and tenure of Election Commissioners
- मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। उनका कार्यकाल 6 वर्ष, या 65 वर्ष की आयु, जो भी पहले हो, तक होता है। उनका दर्जा भारत के उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों का होता है तथा उन्हें उनके समतुल्य ही वेतन और अनुलाभ मिलते हैं।
- मुख्य निर्वाचन आयुक्त को पद से केवल संसद द्वारा महाभियोग के माध्यम से ही हटाया जा सकता है।
- संविधान में एक स्वतंत्र निकाय निर्वाचन आयोग की व्यवस्था की गई है जो संसद राज्य विधानसभाओं राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति के पदों के लिए स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनाव पर आता है। निर्वाचन आयोग में एक प्रमुख निर्वाचन आयुक्त तथा अन्य आयुक्त होते हैं जिनकी संख्या राष्ट्रपति द्वारा समय-समय पर निर्धारित की जाती है।
निर्वाचन आयोग के मुख्य कार्य The main functions of the Election Commission
- प्रत्येक आम चुनाव से पूर्व मतदाता सूचियां तैयार करना.
- सभी योग्य मतदाताओं का पंजीकरण करना।
- चुनाव क्षेत्रों का पुनर्गठन करना और विभिन्न राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करना तथा उन्हें चुनाव में चुनाव चिन्ह प्रदान करना।
- राजनीतिक दलों के लिए आचार संहिता निर्धारित करना।
- संसद व विधान मंडल के सदस्यों की अयोग्यता के संबंध में राष्ट्रपति को परामर्श देना ।
- विधान मंडलों राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति के लिए चुनाव करवाना।
- चुनावों की जांच करने के लिए निर्वाचन अधिकारियों की नियुक्ति करना विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव के लिए प्रचार के लिए प्रसारण का समय निश्चित करना ।
- हर समय मतदाता सूची को अपडेट करते रहना।
- मतदाताओं को पहचान पत्र जारी करना कुछ विशिष्ट स्थितियों में चुनाव को स्थगित करना अथवा रद्द करना।
संविधान का भाग 15 निर्वाचन Part 15 of the Constitution-Election
अनुच्छेद 324 निर्वाचन के अधीक्षण निर्देशन और
नियंत्रण का निर्वाचन आयोग में निहित होना।
अनुच्छेद 325 धर्म मूल वंश जाति या लिंग के आधार पर
किसी व्यक्ति का निर्वाचक नामावली में सम्मिलित किए जाने के लिए अपात्र ना होना और
उसके द्वारा किसी विशेष निर्वाचक नामावली में सम्मिलित किए जाने का दावा किया
जाना।
अनुच्छेद 326 लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के
लिए निर्वाचनों का वयस्क मताधिकार के आधार पर होना।
अनुच्छेद 327 विधानमंडल के लिए निर्वाचन के संबंध
में उपबंध करने की संसद की शक्ति।
अनुच्छेद 328 किसी राज्य के विधान मंडल के लिए
निर्वाचन ओं के संबंध में उपबंध करने की उस विधानमंडल की शक्ति।
अनुच्छेद 329 निर्वाचन संबंधी मामलों में न्यायालय
के हस्तक्षेप का वर्जन।
राष्ट्रीय दल का दर्जा हासिल करने के
लिए आवश्यक शर्तें
- लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29क के अधीन राजनैतिक दलों का पंजीकरण किया जाता है।
- लोकसभा आम चुनाव अथवा राज्य विधानसभा के चुनाव में किन्ही चार अथवा अधिक राज्यों में कुल डाले हुए वैध मतों का 6% प्राप्त होने जरूरी होगा।
- इसके अलावा किसी भी एक राज्य अथवा राज्यों में विधानसभा की कम से कम 4 सीटें जीतनी होगी।
- लोकसभा में सीटें हैं या कम से कम विभिन्न राज्यों में हासिल की गई हो ।
वर्तमान में मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय राजनीतिक
दल
- भारतीय जनता पार्टी चुनाव चिन्ह कमल
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस चुनाव चिन्ह पंजा
- भारतीय साम्यवादी दल चुनाव चिन्ह हंसी आ और बाली
- राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी चुनाव चिन्ह घड़ी
- बहुजन स पार्टी हाथी असम को छोड़कर
- मार्क्सवादी साम्यवादी दल चुनाव चिन्ह हसिया हथोड़ा एवं तारा
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन ईवीएम EVM
- ईवीएम(इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) को दो यूनिटों से तैयार किया गया कंट्रोल यूनिट और बैलट यूनिट।
- ईवीएम की कंट्रोल यूनिट पीठासीन अधिकारी या मतदान अधिकारी के पास रखी जाती है।
- बैलेटिंग यूनिट को मतदाताओं द्वारा मत डालने के लिए वोटिंग कंपार्टमेंट के भीतर रखा जाता है।
- इवीएम को दो सार्वजनिक क्षेत्र के दो उपक्रमों, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, बैंगलोर और इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, हैदराबाद के सहयोग से निर्वाचन आयोग की तकनीकी विशेषज्ञ समिति (टीईसी) द्वारा तैयार और डिजाइन किया गया है। ईवीएम का विनिर्माण उपरोक्त दो उपक्रमों द्वारा किया जाता है।
- वीवीपीएटी युक्त ईवीएम का पहली बार उपयोग नागालैंड के 51-नोकसेन (अ.ज.जा.) विधानसभा क्षेत्र के उप निर्वाचन में किया गया था।
भारत में निर्वाचन से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य Important facts related to elections in India
- ईवीएम का पहली बार 1982 में केरल के 70-पारुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में इस्तेमाल किया गया था।
- इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का प्रयोग करने वाला प्रथम राज्य केरल( विधानसभा उपचुनाव अप्रैल 1982 )तथा इस मशीन का प्रयोग का पूरा चुनाव कराने वाला प्रथम राज्य गोआ था।
- निर्वाचन आयोग ने वर्ष 2009 में निर्वाचन प्रबन्धन के अभिन्न अंग के रूप में मतदाता शिक्षा और निर्वाचन सहभागिता को औपचारिक रूप से अपनाया है।
- भारत, लोकतंत्र और निर्वाचन सहायता हेतु अंतर्राष्ट्रीय संस्थान (आईडीईए) स्टॉकहोम, स्वीडन का एक संस्थापक सदस्य है।
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