Bhopal Rajya ka Swantrata Sangarsh | भोपाल राज्य का स्वतंत्रता संघर्ष
भोपाल राज्य का स्वतंत्रता संघर्ष Bhopal Rajya ka Swantrata Sangarsh
वर्तमान मध्य प्रदेश राज्य की राजधानी भोपाल भारत की स्वतंत्रता (15 अगस्त 1947) के समय स्वतंत्र नहीं हुई थी। भोपाल के नवाब हमीदुल्लाह खाँ ने भोपाल राज्य को स्वतंत्र रखने का निर्णय लिया। परंतु वर्ष 1948 में भोपाल राज्य की भारत में विलय की मांग उठने लगी , जिसके नेतृत्व में भाई रतन कुमार, प्रो. अक्षय कुमार , पत्रकार प्रेम श्रीवास्तव , सूरजमल जैन ,मथुरा प्रसाद , बालकृष्ण गुप्त, मोहनी देवी, शांति देवी और बसंती देवी आदि लोग सम्मिलित सम्मिलित होते।
इस आंदोलन को गति देने के लिए भाई रतन कुमार और उनके सहयोगियों ने नई राह नामक अखबार निकाला। इस आंदोलन का केंद्र जुमेराती स्थित रतन कुटी था , जहां नई रहा रहा अखबार का कार्यालय भी था। परंतु नवाब के आदेश पर इस कार्यालय को बंद कर दिया गया। तब होशंगाबाद से एडवोकेट बाबूलाल वर्मा के घर से भूमिगत होकर आंदोलन चलाया गया।
अंततः जनता का दबाव देखकर सरदार पटेल ने हस्तक्षेप किया, जिसके कारण भोपाल के नवाब हमीदुल्लाह खां को विवश होकर विलय समझौते पर हस्ताक्षर करने पड़े। इस प्रकार भोपाल 1 जून 1949 को भारत में सम्मिलित हो गया।
Post a Comment