परिव्राजक वंश ,पाण्डय राज्य,उच्चकल्प राज्य | Madhya Pradesh Ka itihas
परिव्राजक वंश- पन्ना में स्थापित संपूर्ण बुंदेलखंड तक सत्ता। पहला राजा देवादय था (प्रभंजन) दामोदर हस्तिन)
खोह और मझगंवा (सतना) ताम्रपत्र हस्तिन से संबंधित हैं।
उच्चकल्प राज्य- सतना स्थित ऊँचाहार का प्रचीन नाम। ओघदेव, कुमारदेव, जय स्वामिन, व्याघ्र, जयनाथ, सर्वनाथ अन्य राजा हुए।
पाण्डय राज्य- अमरकंटक के आसपास मैकल श्रणियों में स्थित। प्रथम राजा जयबल, अंतिम राजा भारतबल।
शैलवंश - महाकौशल क्षेत्र में स्थित।
प्रथम राजा श्रीवर्धन, अंतिम राजा जयवर्धन।
राधौली ताम्रपात्र (बालाघाट) जयवर्धन ने उत्कीर्ण करवाया था।
परिव्राजक महाराज के मध्यप्रदेश में अभिलेख
- बुंदेलखण्ड पर शासन कर रहे परिव्राजक गुप्तों के सामंत थे। इस वंश का पहला अभिलेख खोह से पाया गया था। इसे गुप्त संवत् 156 का माना गया है और यह महाराज हस्तिन के शासनकाल का है। इन राजाओं के तीन और लेखों को गुप्त संवत् 163, 170 और 191 का माना गया है और ये क्रमश: खोह, जबलपुर ओर मझगंवा से प्राप्त हुये हैं। हस्तिन् का एक अन्य स्तंभ अभिलेख भूमरा से मिला है। इन्हें क्रमश: गुप्त संवत् 199 और 209 का माना गया है। ये अभिलेख इस वंश के शासकों द्वारा जीते गये राज्यों के सीमा निर्धारण में सहायता करते हैं। संक्षोभ के बाद इस वंश के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
- उच्चकल्प महाराज उच्चकल्प महाराज, परिव्राजक के समकालीन तथा पड़ोसी थे और उन्हीं की तरह गुप्तों के सामंत भी थे। इस वंश का पहला अभिलेख महाराज जयनाथ का है जिसे गुप्त संवत् 174 का माना गया है।
- इस शासक का दूसरा अभिलेख खोह से प्राप्त हुआ है और इसे गुप्त संवत् 177 का माना गया है। गुप्त संवत् 182 का उसका तीसरा अभिलेख उचहरा से मिला है। उसका उत्तराधिकारी सर्वनाथ था, जिसका गुप्त संवत् 193 का ताम्र लेख खोह से पाया गया है। उसके शासनकाल के तीन अन्य अभिलेख खोह से मिले हैं जिनमें से दो गुप्त संवत् 197 और 214 के हैं जबकि तीसरे की तिथि नहीं है। ये सभी अभिलेख उच्चकल्प से प्रचलित किये गये थे और इन सभी से एक ही वंशावली मिलती है। सर्वनाथ के बाद इस वंश के विषय में कोई जानकारी नहीं मिली है।
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