Madhya Pradesh me Maratha Kal मराठा काल- मध्य प्रदेश के इतिहास में
मराठा काल- मध्य प्रदेश के इतिहास में
- 1722 ई. में बाजीराव-स ने मालवा पर पहली बार आक्रमण किया।
- दूसरी बार 1724 ई. में इस क्षेत्र में चौथ के लिए युद्ध किया।
- तीसरी बार 1728 ई. में आक्रमण किया। तब भोपाल के निजाम की हार हुई।
- बाजीराव-I और निजाम के बीच 1738 ई. में एक संधि हुई जो दुरई की संधि के नाम से जानी जाती हैं। जिसमें संपूर्ण मालवा और चंबल तथा नर्मदा के बीच की भूमि बाजीराव-I को दी गई।
- पर इसे मुगल बादशाह मुहम्मद शाह ने स्वीकार नहीं किया। तब जयसिंह के सहयोग से 1741 ई. में हुई संधि के अनुसार मालवा पेशवा को दे दिया गया। पहली बार मालवा पर मराठों का अधिकार हुआ।
- 1728 ई. में छत्रसाल (बुंदेलखंड) ने अफगान शासक मुहम्मद शाह बंगल के विरूद्ध बाजीराव-I से सहायता माँगी। फलस्वरूप 1729 ई. में बुंदेलखंड का आधा भाग (कालपी, झाँसी, सागर, हृदयनगर) बाजीराव को मिला।
- पानीपात की तीसरी लड़ाई में अहमदशाह अब्दाली ने मराठों को हराया।
- इसके बाद सिंधिया और होलकरों को उत्तर भारत में स्वतंत्र रूप से अधिकार मिल गया।
- इसी समय छत्रसाल की मुगलों से लड़ाई में बाजीराव ने पुनः छत्रसाल की मदद की फलस्वरूप सागर, दमोह, जबलपुर, धामोनी, शाहगढ़, गुना, ग्वालियर क्षेत्र मिल गये।
- पेशवा बाजीराव ने सागर, दमोह में गोविंद खेर को प्रतिनिधि नियुक्त किया और जबलपुर में बीसाजी गोविंद को।
- सारंगपुर में पेशवा नारायण राव (1772-73) और मालवा सूबेदार गिरिधर बहादुर के बीच युद्ध हुआ और मराठों को जीत हुई।
- मालवा का क्षेत्र उदासी पवार और मल्हारराव होलकर में बंट गया।
- बुरहानपुर से ग्वालियर तक का भाग पेशवा ने सिंधिया को दे दिया।
- उज्जैन और मंदसौर को सिंधिया ने अपने अधीन कर लिया।
- पेशवा ने 1737 ई. में भोपाल निजाम को हराकर सीहोर और होशंगाबाद का क्षेत्र अपने अधीन कर लिया।
- रायसेन में मराठों ने मजबूत किला बनवाया।
- गढ़ा मण्डला के गोंड राजा नरहरि शाह को बाबा साहेब मोरो और बापूजी नारायण ने हराया।
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