Maurya History in MP | मौर्य काल- मध्य प्रदेश का इतिहास
मौर्य काल- मध्य प्रदेश का इतिहास Maurya History in MP
- चाणक्य ने चंद्रगुप्त को तक्षशिला में सैनिक शिक्षा दिलवाकर पारंगत किया।
- चंद्रगुप्त ने भारत को यूनानी दासता से मुक्त कराकर सिंध, पंजाब और मगध को अपने अधीन कर लिया।
- चंद्रगुप्त का पुत्र बिंदुसार था जिसका पुत्र अशोक अवंति का उपराजा था, जो बाद में मगध का शासक बना और देवानामविय की उपाधि धारण की।
- अशोक के काल में तृतीय बौद्ध संगीति पाटलिपुत्र में हुईं जिसकी अध्यक्षता मोगलिपुत्र नामक बौद्ध भिक्षु ने की।
- अशोक ने साँची स्तूप (स्तंभ लेख) रायसेन के अलावा विदिशा, सतधारा, अंधेर, सुनामी, भोजपुर में भी स्तूपों का निर्माण करवाया।
- अशोक ने 84000 स्तूपों का निर्माण करवाया था।
- अशोक का विवाह विदिशा की राजकुमारी महादेवी से हुआ। जिससें पुत्र महेन्द्र और पुत्री संघमित्रा का जन्म हुआ।
- मौर्य काल में प्रशासनिक ईकाई प्रांत, मण्डल, जिला ग्राम।
- मौर्य युग में 4 व्यापारिक मार्ग थे।जिसमें से तीसरा मार्ग दक्षिण में प्रतिष्ठान से उत्तर में श्रीवस्ती तक था जिसमें म.प्र. के महिष्मति, उज्जैन और विदिशा नगर स्थित थे। चौथा मार्ग भृगुकच्छ से मथुरा तक था जिसके मार्ग में उज्जयिनी था।
- अवंति के महिष्मति(महेश्वर) में सूती वस्त्र तैयार करने का केंद्र था।
- मौर्य युग में सोने के सिक्कें (निष्क), चाँदी (कार्षापण), ताँबा (भाषक), छोटे सिक्कें काकणि का चलन था। आहत सिक्कें भी मिलते हैं।
मध्य प्रदेश में अशोक के शिलालेख
अशोक के 4 शिलालेख म.प्र. से मिले हैं-
(1) रूपनाथ (जबलपुर, सिहोर तहसील)
(2) गुर्जरा(दतिया)
(3) सारो-मारो(शहडोल)
(4) पनमुडरिया(सिहोर)
- गुर्जरा और सिहोर अभिलेख में अशोक के नाम का उल्लेख मिलता है।
- मौर्यकालीन ब्राम्ही लिपि में उत्कीर्ण शिलालेख म.प्र. के करीतलाई, खरकई, कसरावद (खरगोन), आरंग, रामगढ़, स्थानों से मिले हैं।
- बेसनगर विदिशा से मौर्यकालीन यक्ष की प्रतिमा प्राप्त हुई है।
- अशोक ने भरहुत (सतना) में भी एक स्तूप बनवाया था।
मौर्य काल के अभिलेख मध्यप्रदेश :
- अशोक के समय के तीन राजाज्ञा पाषाण लेख जो रूपनाथ, गुजर्रा और पानगुड़ारिया से मिले हैं, और एक धमदिश साँची में है, म.प्र. में उपलब्ध सबसे प्रारम्भिक पुरालेखीय अभिलेख हैं। इसके साथ मौर्य ब्राह्मी लिपि के मिले-जुले शिलालेख जो कारीतलाई, खरबई, तालपुरा, भीयांपुर, सांची, नलपुरा और पानगुड़ारिया से मिले हैं, इस ओर संकेत करते हैं कि मध्यप्रदेश मौर्य साम्राज्य का अभिन्न भाग था।
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