MP Khel Niti 2005 | मध्यप्रदेश खेल नीति 2005 | Madhya Pradesh Sports Policy - 2005
मध्यप्रदेश खेल नीति – 2005 Madhya Pradesh Khel Niti 2005
- प्रदेश
में प्रथम खेल नीति वर्ष 1989 में बनाई गई थी तथा 5 वर्ष पश्चात् उसका मूल्यांकन कर
वर्ष 1994 में पुन: नई खेल नीति बनाई गई।
इस खेल नीति में प्रदेश के खेलों के विकास के विभिन्न पहलू शामिल थे परन्तु
उक्त नीति का कार्यान्वयन सीमित वित्तीय संसाधन होने के कारण पूरी तरह नहीं
हुआ है। अत: नीति में निर्धारित उद्धेश्यों और लक्ष्यों की पूर्ति के लिए
आवश्यक था कि इस नीति पर पुन: विचार कर एक ठोस नीति बनाई जाए, जो खेल एवं शारीरिक शिक्षा को
शैक्षणिक पाठ्यक्रम के साथ ग्रामीण एवं आदिवासी क्षेत्रों में छिपी प्रतिभाओं
की पहचान करने में अधिक सार्थक हो।
नीति निर्धारक बिन्दु
(1) अधोसंरचना का विकास
- 1.1 प्रत्येक ग्राम में, पंचायत को कम से कम खो-खो, कबड्डी, कुश्ती एवं व्हॉलीवाल आदि
ग्रामीण खेलों के लिए एक खेल मैदान चरणबद्ध तरीके से आगामी 5 वर्षों में तैयार करना होगा।
- 1.2 आगामी 5 वर्षों में ऐसे जिला मुख्यालय
जिनमें परिपूर्ण खेल परिसर नहीं है, उनमें परिपूर्ण खेल परिसर का निर्माण किया जाएगा।
- 1.3 जहां पर प्राकृतिक संपदा उपलब्ध
है वहां पर संसाधनों को विकसित किया जायेगा।
- 1.4 राज्य के प्रत्येक विश्वविद्यालय
द्वारा कम से कम 3 प्रचलित खेल विधाओं को चिन्हित
कर आवश्यक अधोसंरचना विकसित की जाएगी। विश्वविद्यालयों के लिए खेलों का
चिन्हांकन जिले के लिए खेलों का चिन्हांकन उपलब्ध अधोसंरचना तथा संभावित
खिलाड़ियों की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए किया जाए।
- 1.5 प्रत्येक 5000 से अधिक आबादी वाले गांवों में
आगामी पाँच वर्षों में चरणबद्ध तरीके से खेल मैदानों का निर्माण एवं उन खेल
मैदानों पर खेल प्रशिक्षकों की व्यवस्था की जायेगी। प्रदेश के प्रत्येक जिले
में 3 खेल मैदान तैयार करने हेतु रू. 30,000/- प्रति मैदान तथा उन मैदानों पर 01 अथवा 02 क्रीड़ा निदेशकों को रू. 600/- प्रतिमाह मानदेय की व्यवस्था
राज्य शासन द्वारा अतिरिक्त रूप से उपलब्ध कराई जावेगी।
- अ. 5000 से अधिक आबादी वाले 381 गांवों में जहॉ स्कूल उपलब्ध है, स्कूल शिक्षा विभाग व्यायाम
शिक्षक / संविदा शिक्षक की नियुक्ति सुनिश्चित करेगा।
- ब. जिन स्कूलों में व्यायाम
शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं उनमें मानदेय पर व्यायाम शिक्षक की नियुक्ति शिक्षक
पालक संघ/अन्य व्यवस्था के माध्यम से की जाएगी तथा यह मंत्री, स्कूल शिक्षा विभाग के समन्वय से
सुनिश्चित किया जाएगा।
- 1.6 नई कालोनियों के निर्माण के समय
भी खेल मैदान के लिए आवश्यक भूमि अवश्य छोड़ी जाएगी।
- 1.7 स्कूल शिक्षा विभाग नये स्कूलों
को मान्यता तभी दे जबकि उनके पास निर्धारित मापदण्ड का खेल मैदान उपलब्ध हो।
(2) खिलाड़ियों की पहचान एवं
प्रशिक्षण Identification and training of players
- 2.1 शालाओं में प्रशिक्षित पी.टी.आई.
अथवा योगा शिक्षक की व्यवस्था कार्यरत शिक्षकों को खेल सम्बन्धी प्रशिक्षण
देकर स्कूल शिक्षा/आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा समग्र कार्ययोजना बनाकर
सुनिश्चित की जावेगी। संबंधित विभाग अपने कार्य के अतिरिक्त खेल गतिविधियां
संचालित करने के लिए इस प्रकार के प्रशिक्षित शिक्षक को प्रतिमाह राशि रू. 100/- मानदेय के रूप में अपने विभाग के
बजट से देने की व्यवस्था करेंगे।
- 2.3 प्रदेश की युवा प्रतिभाओं के चयन
हेतु राज्य स्पोर्ट्स टेलेन्ट सर्च आयोजित करवाई जाएगी, जिसमें चिन्हित खेलों के लिए
शारीरिक योग्यता, क्षमता तथा आयु आदि का आंकलन
करते हुए संभावित प्रतिभावान खिलाड़ियों का कम उम्र से ही चिन्हांकन किया
जायेगा, इस हेतु समस्त विभागों एवं सभी
राज्य स्तरीय खेल संघो के सहयोग से चयनित खेलों में "राज्य एकीकृत
खेल" आयोजित किये जायेंगे।
(3) मध्य प्रदेश राज्य स्तरीय खेल संघ एवं संस्थाएं Madhya Pradesh State Level Sports Federations and Institutions
- 3.1 उन्हीं खेल संघों को मान्यता एवं
अनुदान प्रदेय होगा, जो निम्न अर्हताएं रखती है :-
- उनकी
जिले स्तर पर इकाईयाँ होनी चाहिए और नियमित प्रतियोगिताएं आयोजित करती हो।
- वे
भारत सरकार द्वारा मान्य राष्ट्रीय फेडरेशन से अधिकृत/सम्बद्ध हो।
- र्फम्स
एवं सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत रजिस्टर्ड हो।
- 3.2 खेल संघों में जिला स्तर पर
जिलाध्यक्ष/पुलिस अधीक्षक या उनके द्वारा नामांकित प्रतिनिधि एवं प्रदेश स्तर
के खेल संघों में संचालक या उनके द्वारा अधिकृत कोई प्रथम श्रेणी स्तर के
अधिकारी सम्मिलित किए जाना चाहिए।
- 3.3 टीमों के चयन में पारदर्शिता
लाने के उद्देश्य से चयन समिति में एक उत्कृष्ट ख्याति प्राप्त खिलाड़ी को
शासकीय पर्यवेक्षक के रूप में संचालक खेल द्वारा नामांकित किया जाएगा (जिसे
मताधिकार नहीं होगा)। कोई भी राज्य स्तरीय खेल संघ जो इस मापदण्ड से सहमत
नहीं होगा उसे शासकीय अनुदान/सहायता की पात्रता नहीं होगी।
(4) चिन्हित खेलों को बढ़ावा
- 4.1 राष्ट्रीय खेलों में किए गए
प्रदर्शन, प्राप्त पदकों तथा खेल सुविधाओं
की वर्तमान में उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए जीतनेज खेलों पर ध्यान
केन्द्रित किया जाएगा, जिसमें एथेलेटिक्स (विशिष्ट
स्पर्धाओं में), कुश्ती, खो-खो, कबड्डी, व्हालीबॉल, तैराकी, केनोईंग-क्याकिंग, ताईक्वांडो, जूडो, हॉकी, बास्केटबाल, निशानेबाजी तथा घुड़सवारी शामिल
है, इसकी खेल एवं युवक कल्याण विभाग
द्वारा दो वर्ष में समीक्षा की जावेगी। उक्त खेलों में क्षेत्रीय विशिष्टता
को दृष्टिगत रखते हुए प्रोत्साहित किए जाने का प्रयास किया जावेगा।
- 4.2 चिन्हित खेलों का चयन ओलम्पिक, एशियन गेम्स तथा राष्ट्रीय खेलों
के पदकों की संख्या के आधिक्य के आधार पर किया जायेगा। इसके साथ चयन करते समय
क्षेत्रीय प्राकृतिक तथा मानव संसाधनों एवं अधोसंरचना को मद्देनजर रखा
जायेगा। उदाहरणार्थ, नर्मदा, क्षिप्रा नदियों के किनारे
तैराकी (इसमें राष्ट्रीय खेलों में कुल मिलाकर 200 से अधिक पदक होते है, केनाईंग-क्याकिंग जिसके 125 पदक होते हैं) इत्यादि।
- 4.3 आदिवासी क्षेत्रों में कबड्डी, रस्साकसी, तेज दौड़ तथा उँचीकूद, कुश्ती, व्हॉलीवाल तथा धनुविर्द्या जैसे
खेलों में अन्तरग्राम पंचायत प्रतियोगिताएं आयोजित की जावेगी। उक्त आयोजन के
लिए खेल एवं युवक कल्याण विभाग द्वारा आदिवासी उपयोजना के अन्तर्गत विभागीय
बजट में प्रावधान किया जावेगा।
- 4.4 प्रदेश के समस्त जिलों में वहां प्रचलित खेलों को चयनित कर कम से कम एक प्रशिक्षक की व्यवस्था संविदा आधार पर की जावे।
(5) शिक्षा एवं खेलों में
सामन्जस्य
- 5.1 ऐसे खिलाड़ी जो महत्वपूर्ण
राष्ट्रीय/अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में प्रतिनिधित्व करने के कारण उन
तिथियों में वाषिर्क परीक्षा में बैठने से चूक गए हो, उनके लिए विशेष परीक्षा आयोजित
की जाएगी।
- 5.2 माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक
विद्यालयों एवं आदिवासी विकास विभाग के स्कूल में एक शारीरिक शिक्षक की
व्यवस्था सुनिश्चित करते हुए 40 मिनिट का एक खेल पीरियड अनिवार्य किया जाएगा।
- 5.3 स्कूल शिक्षा एवं आदिम जाति
कल्याण विभाग के स्कूलों में संविदा शिक्षकों की भर्तीमें खेलों में
प्रावीण्यता रखते वाले खिलाड़ियों को 5 से 10% तक का प्राप्तांकों में अधिभार
देने हेतु विभागीय भतीर् नियमों में आवश्यक संशोधन किए जावेंगे।
(6) खिलाड़ियों को प्रोत्साहन
और पुरस्कार
- 6.1 ओलम्पिक एवं एशियन खेलों में
प्रदेश के खिलाड़ियों द्वारा पदक अर्जित करने पर विभाग द्वारा व्यक्तिगत विधा
एवं दलीय विधा के खिलाड़ियों को उपयुक्ततानुसार पुरस्कार एवं सम्मान के लिए
राशि का निर्धारण कर मंत्रिपरिषद का अनुमोदन प्राप्त किया जावेगा।
- 6.2 व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में
प्रवेश : व्यवसायिक महाविद्यालय जैसे चिकित्सा, इन्जीनियरिंग आदि में ऐसे खिलाड़ियों के लिए जिन्होंने
अधिकृत राष्ट्रीय जूनियर/सीनियर स्तर पर राज्य का प्रतिनिधित्व करते हुए विगत
तीन वर्षों में स्वर्ण, रजत अथवा कांस्य पदक प्राप्त
किया हो, उनकों प्राप्तांकों पर क्रमश: 10, 6 एवं 4 प्रतिशत का अधिभार दिया जावेगा।
यह लाभ खिलाड़ी को सिर्फ एक ही बार प्रदान दिया जावेगा। इस उपलब्धि का
प्रमाण-पत्र संचालक, खेल एवं युवक कल्याण द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित होना अनिवार्य होगा।
- 6.3 अन्तर्राष्ट्रीय खेलों जैसे - ओलम्पिक, र्वल्डकप, अधिकृत वर्ल्ड चैम्पियनशिप, एशियन चैम्पियनशिप एवं राष्ट्रीय
खेलों के स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी को शासकीय सेवा में उनकी शैक्षणिक
योग्यता के आधार पर सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित कर
नियुक्ति दी जावेगी। भविष्य में विक्रम पुरस्कार प्राप्त खिलाड़ी को आगामी
वर्ष से सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित कर शासकीय सेवा
में नियुक्ति दी जावेगी।
- 6.4 उत्कृष्ट खिलाड़ी/उनके अभिभावकों
की पदस्थापना उन्हीं स्थानों पर यथासम्भव की जावेगी, जहां संबंधित खेल की राष्ट्रीय
स्तर की सुविधाएं हो।
- 6.5 सम्मान निधि प्राप्त खिलाड़ी व
अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में देश का प्रतिनिधित्व करते हुए खिलाड़ी व
विक्रम, विश्वामित्र एवं अर्जुन
पुरस्कारों से अलंकृत खिलाड़ियों/प्रशिक्षकों को स्थानीय कार्यक्रमों में
विशिष्ट अतिथियों की तरह राष्ट्रीय पर्व एवं मुख्य खेल कार्यक्रमों में
आमंत्रित किया जाएगा।
- 6.6 अन्तराष्ट्रीय/राष्ट्रीय खेलों
में राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ियों को शासकीय अधिकारियों के
समान उपचार प्रदान किया जावेगा।
- 6.7 मान्यता प्राप्त अन्तर्राष्ट्रीय
प्रतियोगिताओं में देश का प्रतिनिधित्व करते हुए पदक प्राप्त करने वाले 55 वर्ष से अधिक आयु के खिलाड़ी को
रू. 5,000/- प्रतिमाह सम्मान निधि प्रदान की
जावेगी।
(7) खिलाड़ी, प्रशिक्षक, निर्णायक एवं तकनीकी
अधिकारियों का प्रशिक्षण एवं विकास
- 7.1 खेल विभाग द्वारा ऐसे
प्रशिक्षकों एवं खिलाड़ियों को जिनकी भर्ती खिलाड़ी के आधार पर हुई है अथवा
ऐसे अधिकारी/कर्मचारी जो खेलों के विकास हेतु बेहतर सेवा दे सकते हैं, उन्हें खेल विभाग में
प्रतियोगिता के आयोजन/प्रशिक्षण/सहयोग हेतु एक वर्ष में अधिकतम 3 माह के समय तक संबंद्ध किया जा
सकेगा। तथापि उनका
- वेतन
उनके मूल विभाग से ही निकलेगा। इसमें विभाग इस बात के लिए बाध्य रहेगा कि ऐसे
अधिकारी की सेवायें खेल विभाग को मांग आने पर तत्काल प्रदान करेगा।
- 7.2 जिला खेल एवं युवक कल्याण
अधिकारियों को पर्याप्त बुनियादी सुविधाएं यथा कार्यालय एवं उपकरण मुहैया
कराते हुये स्वतंत्र कार्यालय स्थापित किये जायेंगे।
(8) खेलों के लिए संसाधनों का
सृजन
- 8.1 क्रीड़ा परिषद को परिवर्तित कर मध्यप्रदेश खेल प्राधिकरण गठित किया जाएगा। ऐसी ही व्यवस्था जिला स्तर पर भी की जावेगी। विभागीय स्टेडियम एवं खेल परिसरों के समुचित स्वायत्ता/स्वामित्व के अन्तर्गत इन संस्थाओं को परिक्षेत्र में व्यवसायिक गतिविधियों का नियोजन करना, जैसे- विज्ञापन के होर्डिंग्स, दुकानों का निर्माण, कार्यालयों की व्यवस्था आदि के लिए स्थान उपलब्ध कराने एवं खेल प्रशालों/परिसरों की आय बढ़ाने के लिए विभिन्न स्वरूप के लिए समाज के लिए हितकारी आयोजनों की अनुमति देकर आवश्यक कोष/निधि की व्यवस्था की जा सकेगी।
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