MP Tourist places in Hindi |मध्य प्रदेश के पर्यटन स्थल|Tourist places of Madhya Pradesh
मध्य प्रदेश के पर्यटन स्थल Tourist places of Madhya Pradesh
पर्यटन की दृष्टि से मध्यप्रदेश समृद्धशाली राज्य है। राज्य में पर्यटन की दृष्टि से निम्नलिखित स्थलों को सम्मिलित किया जाता है।
मध्य प्रदेश के पर्यटन स्थल |
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1-ऐतिहासिक दुर्ग व किले |
2-राजसीमहल |
3-पौराणिक एवं धार्मिक स्थल |
4-प्राकृतिक स्थल |
5.-राष्ट्रीय उद्यान |
6- गुफाएं |
7- समाधि एवं मकबरे |
उक्त पर्यटन स्थलों के अतिरिक्त मध्यप्रदेश्क के प्रमुख दर्शनीय स्थल निम्नानुसार हैं-
खजुराहो Khajuraho Tourism In Hindi
भारत के प्रमुख पर्यटन केंद्रों में खजुराहो का तीसरा स्थान है। ई. सन् 950-1050 के मध्य चंदेल राजाओं ने इसका निर्माण कराया था। यहां के मंदिरों में मैथुन एवं रति क्रीड़ा कि मूर्तिकला पर सहज श्रद्धा उत्पन्न हो जाती है।
मैहर Maihar Tourism In Hindi
सतना जिले में कटनी-इलाहाबाद मार्ग पर स्थित है। मध्यकालीन योद्धाओं ,संगीतकार ,उस्ताद अलाउद्दीन खाँ की जन्मभूमि तथा आराध्य देवी शारदा मां का मंदिर है।
चित्रकूट Chitrakoot Tourism In Hindi
जनश्रुतियों के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु ,और महेश ने यहीं पर बाल -अवतार लिया। वनवास के दौरान भगवान राम यही ठहरे थे और यहीं से भरत राम की चरण पादुका लेकर लौटे थे । अकबर के नवरत्नों में से एक अब्दुल रहीम खानखाना की यह ऐतिहासिक भूमि है। इसके आसपास कामदगिरि, अनुसूईया आश्रम, भरत कूट तथा हनुमान धारा आदि दर्शनीय है।
सांची Sanchi Tourism in Hindi
झांसी-इटारसी रेल मार्ग पर यह एक छोटा-सा स्टेशन है। यह भोपाल से 46 किमी दूर रायसेन जिले में स्थित है। यह विख्यात बौद्ध तीर्थ - स्थल के रूप में जाना जाता है। सांची के तीन स्तूप अत्यंत सुंदर एवं प्राचीन हैं । यहां का बड़ा स्तूप 36.5 मीटर व्यास का है इसकी ऊंचाई 16.4 मीटर है। इस स्तूप के तोरण-द्वार पर बुद्ध के जीवन की झलकियां उत्कीर्ण हैं। इसके अतिरिक्त अन्य दो स्तुपों का निर्माण ,जो अपेक्षाकृत नये है ,सम्राट अशोक ने ईसा से 3 शताब्दी पूर्व करवाया था। एकमात्र सांची ऐसा स्थल है जहां बौद्ध कालीन शिल्पकला के सारे नमूने विद्यमान हैं ।यहां के स्तूप, चैत्य व और विहार सभी बौद्धकला के उत्कृष्ट नमूने है।
उज्जैन Ujjain Tourism in Hindi
प्राचीनकाल से ही ऐतिहासिक नगर रहा है। उज्जैन में अनेक मंदिर है। जिनमें महाकालेश्वर का मंदिर प्रसिद्ध है। यहां हर 12 वर्षों के बाद कुंभ का मेला लगता है। उज्जैन में महाकाल अथवा महाकालेश्वर का प्रसिद्ध शिव मंदिर है जो देश के 12 ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से एक है। दक्षिण में जंतर-मंतर है। इसे जयपुर के महाराजा जयसिंह ने 1733 ई. मे बनवाया था। सन् 1853 ई. मैं गोपाल के मंदिर का निर्माण कराया गया था। यहां पर संदीपनी का आश्रम है । इस आश्रम में 3 किमी. आगे मंगलनाथ का मंदिर है। यहां से 11 किमी दूर भर्तृहरि की गुफा है। उज्जैन प्राकृतिक, ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक एवं पुरातात्विक दृष्टि से मध्य प्रदेश का प्रमुख नगर है।
अमरकंटक Amarkantak Tourism in Hindi
जबलपुर से 445 किमी दूर जिले की पुष्पराजगढ़ तहसील के दक्षिण पूर्व भाग में मैकल की पहाड़ियों में स्थित अमरकंटक भारत के पवित्र स्थलों में से एक है। यहां से नर्मदा और सोन नदी निकलती हैं। 24 नवीन एवं प्राचीन मंदिर है। एवं प्राचीन मंदिर है। प्राचीन मंदिरों को 10वीं व 11वीं 11वीं शताब्दी में कलचुरी वंश के शासकों ने बनाया था। नर्मदा कुंड ,नर्मदा माई का मंदिर ,कपिलधारा प्रपात 6 किमी. तेज प्रवाह बनकर गिरना ,दुग्ध- धारा प्रपात ,यहाँ के दृश्यों को मनोरम बनाते हैं।
माण्डू Mandoo Tourism in Hindi
यह हिंदू एवं मुस्लिम शासकों की कार्यस्थली रहा है। यह प्रदेश का प्रमुख ऐतिहासिक स्थल है। जहां पर अनेक प्राकृतिक दृश्य देखने को मिलते हैं। प्राकृतिक सौन्दर्य से घिरे पुराने ,भग्नावशेष, माण्डू का किला , जिसको होशंगशाह ने बनवाया था यही है। यहां रानी रूपमती की प्रणय गाथाओं से गूंजते खण्डहर, जहाजमहल ,हिंडोला महल ,चंपा बावड़ी ,होशंगशाह का मकबरा, जामा मस्जिद, अशर्फी महल ,रानी रूपमती का झरोखा एवं नीलकंठ मंदिर दर्शनीय है। इससे 15 किमी दूर पर बाघ गुफाएं स्थित है।
विदिशा Vidisha Tourism in Hindi
यह भोपाल से 54 किमी दूर बंबई - दिल्ली रेल मार्ग पर स्थित है। यह भारतीय इतिहास में उल्लेखनीय प्राचीन नगर है। यहां पर प्राचीन बौद्ध और जैन धर्मों का केंद्र ,सम्राट अशोक द्वारा निर्मित अनेक बौद्ध मंदिर एवं बिहार हैं। यहां से 7 किमी. की दूरी पर उदयगिरि , हिंदू - जैन धर्मों की प्रतीक 20 गुफाएं, वराह की विशाल प्रतिमा, बीज मंडल रामघाट ,चरणतीर्थ स्थित है। 33 किमी. की दूरी पर बौद्ध तीर्थ ग्यारसपुर मालादेवी मंदिर स्थित है। 8 किमी. की दूरी पर नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर स्थित है।
भोपाल Bhopal Tourism in Hindi
यह मध्यप्रदेश के ह्रदयस्थली एवं राजधानी है। इसका पुराना नाम भोजपाल था। इस नगर का निर्माण परमार वंश राजा भोज ने 10 वीं सदी में करवाया था। परमार वंश के बाद इस नगर पर सरदार दोस्त मोहम्मद खाँ का शासन रहा। दो प्रख्यात झीलें , भारत हैवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड कारखाना तथा आकर्षक पहाड़ी से घिरा यह सुंदर नगर है। नया भोपाल (तात्या टोपे नगर) श्यामला हिल्स, अथवा लक्ष्मी नारायण गिरी (बिड़ला मंदिर) से रात्रि में शहर का दृश्य मनोरम लगता है।
पुराना भोपाल मस्जिदों का शहर कहलाता है। विशाल ताजुल मस्जिद , लक्ष्मीनारायण मंदिर ,गुफा मंदिर, प्राचीन शिव मंदिर नेवरी, वल्लभ संप्रदाय फिजी मंदिर , बड़वाले महादेव मंदिर एवं जैन मंदिर, लालघाटी मंदिर , नवनिर्मित भारत भवन तथा वन विहार आदि विशेष दर्शनीय स्थल है यहां प्रागैतिहासिक काल के गुफा चित्र भी हैं।
बांधवगढ़ Bandhavgarh Tourism in Hindi
1968 में राष्ट्रीय उद्यान बना यह क्षेत्र जबलपुर से 210 किमी दूर है। सफेद शेरों के लिए यह राष्ट्रीय उद्यान प्रसिद्ध है। पुराणों और महाकाव्यों में वर्णित यह क्षेत्र 500 वनस्पति प्रजातियों और जड़ी-बूटियों से भरा है।
भेड़ाघाट Bhedaghat Tourism in Hindi
जबलपुर से 13 किमी. दूर भेड़ाघाट का प्राकृतिक दृश्य बड़ा ही मनोरम है। संगमरमर की चट्टानों के बीच तीव्र प्रभाव से बहती नर्मदा 60 फुट की ऊंचाई से नीचे गिरती है। धुआंधार और बंदर कूदनी ,पूर्णिमा रात्रि का नौका विहार आदि प्रमुख आकर्षण है। निकट स्थित चैंसठ योगिनी का गोल मंदिर है जिसमें 81 मूर्तियां हैं। गौरी - शंकर के विख्यात मंदिर में शिव - पार्वती की नदी पर सवार मूर्तियां एवं शिलालेख है।
धार Dhar Tourism in Hindi
यहाँ एक छोटी पहाड़ी पर किला है जिसका निर्माण 1344 ई. में सुल्तान मोहम्मद तुगलक ने अपनी दक्षिण विजय के दौरान देवगिरी जाते समय यहां ठहरने के उद्देश्य से कराया था। इस किले में देवी कालकाजी मंदिर अब्दुल्ला शाह मंगल का मकबरा है। दुर्ग के निकट हजरत मकबूल की कब्र है। धार परमार राजाओं की राजधानी भी रहा है। भोजराज की नगरी भोजशाला और लाट मंदिर प्रसिद्ध हैं।
ग्वालियर Gwalior Tourism in Hindi
भारत के सभी दुर्गों में जड़ित मणि के समान के समान पूर्व का जिब्राल्टर कहलाने वाला ग्वालियर दुर्ग ऊंचाई 300 फीट है जिसका निमार्ण राजा सूरजमल द्वारा कराया गया है। यहां के प्रमुख आकर्षण सूर्य मंदिर शिलालेख और सूरजकुंडए, मान मंदिर तथा गुजरी महत्त्व संग्रहालय, सास बहू का मंदिर, तेली का मंदिर है। सूफी संत मोहम्मद गौस का मकबरा संगीत, सम्राट तानसेन तथा रानी लक्ष्मी बाई की समाधि,ा महाराजा सिंधिया का संग्रहालय तथा चिड़ियाघर यहां स्थित है। यह एक प्रमुख औद्योगिक नगर है।
चंदेरी Chanderi Tourism in Hindi
अशोकनगर जिले में स्थित 200 मीटर मीटर ऊंचे और खूनी दरवाजा , चारों ओर बनी बावड़िया तथा सरोवर , बुंदेला राजाओ तथा मालवा के सुल्तानों द्वारा निर्मित अनेक भवन, 3 किमी दूर बूढ़ी - चंदेरी और 15 किमी दूर धोवन मठ तथा अन्य स्मारक यहाँ के दर्शनीय स्थल है।
महेश्वर Mahseswar Tourism in Hindi
इसका प्राचीन नाम महिष्मति (हैहय वंश की राजधानी ) था। होल्कर वंश की महारानी अहिल्याबाई की राजधानी , अहिल्या संग्रहालय, राजेश्वर मंदिर , सेवाघाट , साथ ही होलकर परिवार की छत्रियों तथा साड़ियों के लिए भी यह स्थान प्रसिद्ध है।
मंदसौर Mandsaur Tourism in Hindi
यहाँ पशुपतिनाथ का प्रसिद्ध मंदिर है। इसी के समीप चंबल नदी पर बना चंबल नदी पर बना गांधी सागर बांध है।
ओरछा Orchaa Tourism in Hindi
बुंदेला राजाओं का ऐतिहासिक झांसी से 19 किमी तथा ग्वालियर से 130 किमी दूर बेतवा नदी के तट पर स्थित है। यहाँ पर चतुर्भुज मंदिर और जहांगीरी महल , लक्ष्मी मंदिर , राम मंदिर , शीश महल , रायप्रवीण महल आदि प्रसिद्ध है। क्रांतिवीर चंद्रशेखर आजाद की साधना स्थली भी यही रही थी।
बावनगजा ऋषभदेव की मूर्ति की ऊंचाई के संबंध में स्पष्ट जानकारी
बावनगजा Bawangaja Tourism in Hindi
- सरकारी आंकड़ों के आधार पर बावनगजा में आदिनाथ (ऋषभदेव की 25.6 मीटर) ऊंची (मोनोलिथ) प्रतिमा (1 मीटर में 3.28 फीट , 1 गज में भी लगभग 3 फीट होते हैं ) यदि फीट में बात की जाये तो जैन साहित्यों में बावनगजा में आदिनाथ ऋषभदेव की मूर्ति की ऊंचाई 84 फीट होने की जानकारी मिलती है।
- कुछ स्थानो में आदिनाथ ऋषभदेव की मूर्ति की ऊंचाई 72 फीट होने की जानकारी मिलती है।
- बावनगजा बड़वानी से दक्षिण दिशा में आठ किलोमीटर दूर है, जहां 1,220 मीटर ऊंचे सतपुड़ा पर्वत के मध्य भाग में जैन धर्म के आदि तीर्थंकर भगवान आदिनाथ (ऋषभदेव की 25.6 मीटर) ऊंची (मोनोलिथ) प्रतिमा पहाड़ पर ही उकेरी गई है। यह प्रतिमा बावनगजा के नाम से प्रसिद्ध और विश्व की सर्वोत्तम विशाल, शिल्प- वैभव संपन्न जैन प्रतिमा मानी जाती है। बावनगजा की प्रतिमा में केवल आकार में ही ऊंचाई नहीं, वरन् वीतरागता, सौम्यता एवं कला और भाव प्रवणता की ऊंचाईयां भी विद्यमान हैं।
- प्रतिमा का शिल्प विधान भी अनूठा और समानुपातिक है, उसके अंग प्रत्यंग सुडौल हैं और मुख पर विराग, करूणा और हास्य की छवि मुखरित है। प्रतिमा के दाएं-बाएं भगवान के सेवक के रूप में यक्ष- यक्षिणी की मूर्तियां भी उत्कीर्ण हैं। इस प्रतिमा के निर्माण-काल की पूर्ण प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। लेकिन बारहवीं तेरहवीं शताब्दी के एक विद्वान और अर्जुन वर्मन परमार (1210-18) के दरबार रत्न भट्टारक मदन् कीर्ति द्वारा लिखित शासन चतुस्त्रिंशिका नामक ग्रंथ में इस प्रतिमा का ऐसा उल्लेख अवश्य मिलता है, कि वृहत्पुर (बड़वानी का प्राचीन नाम ) नामक नगर में बावन हाथ ऊंची भगवान आदिनाथ की एक मूर्ति साधनावस्थित है, जिसे वृहद् देव (बावनगजा) कहा जाता है। मूर्ति का निर्माण अर्क कीर्ति नाम के राजा ने करवाया था। इससे यह अनुमान अवश्य लगता है, कि यह प्रतिमा भट्टारक कीर्ति के समय में भी अवस्थित थी। मदन कीर्ति का इतिहास सम्मत समय 12वीं 13वीं शताब्दी है।
- कुछ विद्वानों की यह भी मान्यता है, कि बावनगजा प्रतिमा बीसवें तीर्थंकर मुनि सुव्रतनाथ की समकालीन है और इसे रामायणकालीन शिल्पियों ने तैयार किया था। जनश्रुति है, कि प्राचीन समय में हाथ को गज मानने की परम्परा प्रचलित होने के कारण ही इस प्रतिमा का नाम बावनगजा पड़ा ।
शिवपुरी Shivpuri Tourism in Hindi
1958 में इसे इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था । यह शिवपुरी नगर के निकट तथा झांसी से 57 किमी दूर है। भव्य पिकनिक स्थलों और और और झील में नौका - विहार के साथ-साथ वन्य पशु - पक्षी दर्शन पर्यटकों के आकर्षण के केंद्र है।
गिन्नौरगढ Ginorgarh Tourism in Hindi
भोपाल से 60 किमी दूर है , जहां 390 मीटर ऊंची 50 मीटर चैड़ी पर एक किला बना है। इसका निर्माण 13वीं शताब्दी में महाराजा उदयवर्मन ने कराया था । इस दुर्ग की अंतिम गोंड शासक कमलावती थी। किले के निकट तोतों का क्षेत्र है। किला जिस पहाड़ी पर बना है उसे अशर्फी पहाड़ी कहते हैं। इस दुर्ग के सभी महल के सभी महल विशेष दर्शनीय है और अनेक इमारतें ऐतिहासिक महत्व की है जो पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है।
मुक्तागिरी Muktagiri Tourism in Hindi
जैनियों का पवित्र तीर्थ स्थल स्थल बैतूल जिले में स्थित है। यहां पर 52 मंदिर है। कुछ मंदिर चट्टानों के अंदर बने हैं। निर्जन तथा वनों से आच्छादित गुफाओं तथा पर्वत शिखरों पर निर्मित यह मंदिर बड़े आकर्षक दिखाई देते हैं। एक छोटा-सा जलप्रपात भी है , जो यहां के आकर्षण को और बढ़ा देता है।
बाघ गुफाएं Bagh Cave in Dhar
इंदौर से 58 किमी दूर धार जिले में स्थित बाघ गुफाओ में से कुछ आज सही स्थिति में है। ये शैल चित्र अजंता एलोरा के समकक्ष है।
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ReplyDeleteBawangaza me 52 feet ki murti he 75 feet ki nhi.... 52 feet ke karan hi jagah ka naam bawangaza rakha hain
ReplyDeleteबावनगजा में आदिनाथ ऋषभदेव की मूर्ति की ऊंचाई 84 फीट यह (25.6 मीटर) है ना की 52 गज या 52 फीट । यदि नाम के आधार पर 52 गज माना जाए तो यह लगभग 156 फीट होगा जो की गलत होगा।
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