Ratlam Praja Parishad 1938 | रतलाम प्रजा परिषद
रतलाम प्रजा परिषद 1938 Ratlam Praja Parishad 1938
रतलाम में प्रजा परिषद की स्थापना मार्च 1938 में हुई। इसके पहले सन् 1935-1936 से यहां कांग्रेस कमेटी थी। उस समय
रतलाम में शासक के कृपापात्र एक मेजर के अत्यचारों का बोलबाला था और चारों ओर भय
और आंतक का वातावरण व्याप्त था। इसी अवधि में श्री रघुनाथ वर्मा तथा इनके भ्राता
रामचन्द्र वर्मा को भयानक यातनायें दी गईं। इसी समय मोहम्मद उमर खां, उदयलाल जी पंचाल, धीरजलाल शाह, फकीर चन्द, नारायणदास तथा लहरसिंह भाटी आदि के
प्रयासों से कांग्रेस कमेटी बनी थी।
प्रजा परिषद के अस्तित्व में आने के बाद अपनी
आठ मांगे शासन के समक्ष रखीं जिनमें उत्तदायी शासन की मांग भी थी। प्रजा मण्डल ने
अपना कार्यक्षेत्र किसानों तथा मजदुरों को बनाया था तथा इन दोनो ही वर्गों को
जाग्रत करने मे उल्लेखनीय कार्य किया। इसके बाद से ही प्रजा-मण्डल को दमन का शिकार
होना पड़ा। 13 जून 1949 को प्रजा-मण्डल की ओर से एक विशाल किसान जुलूस निकालने का आयोजन किया
तथा सौभाग्यमल पोरवाल तथा डॉ. देवीसिंह ने इसके लिए काफी तैयारी की थी। किंतु
अंतिम समय में जुलूस रोक दिया गया। सौभग्यमल पोरवाल को गिरफ्तार कर लिया गया , पोरवाल ने जेल में भूख हड़ताल की। इधर
प्रजामण्डल और अन्य कार्यकर्ताओं पर लाठियों आदि से हमले किये गये तथा आतंकित करने
का प्रयत्न किया गया। प्रजामण्डल के एक कार्यकर्ता जुम्मन खां को ही गिरफ्तार किया
गया, जहां उन्होंने कैदियों को संगठित कर
भूख हड़ताल की। परिणामस्वरूप कैदियों को कुछ सुविधायें भी प्राप्त हो गयीं।
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