Ratona Sataygrah 1920 | रतौना का सत्याग्रह-1920


रतौना का सत्याग्रह-1920 Ratona Sataygrah 1920 

सागर के निकट रतौना नामक स्थान में कसाईखाने के विरूद्ध आंदोलन असहयोग के सिद्धांतों पर आधारित इस क्षेत्र का प्रथम आंदोलन कहा जाता सकता है। यह महत्वपूर्ण आंदेालन 1920 में हुआ। उन दिनों अंग्रेज कंपनी ने रतौना में कसाईखाना खोल रखा था। इसमें प्रतिदिन अत्याधिक संख्या में गाय बैल काटे जाते थे। इसके विरोध में प्रांत के सभी समाचार पत्रों में लेखादि प्रकाशित हुए लेकिन कोई ठोस परिणाम नहीं निकला। अंत में कसाईखाने को बंद करने के लिए एक आंदोलन समिति गठित की गई। इस समिति ने इतना सुसंगठित आंदोलन किया कि सरकार को झुकना पड़ा और कसाईखाना बंद कर दिया गया। यह असहयोग आंदोलन पूर्व ब्रिटिश भारत सरकार के विरूद्ध प्रांत की जनता की प्रथम विजय थी।
     इसी समय कौंसिल बहिष्कार के रूप में इस क्षेत्र की जनता द्वारा असहयोग के सिद्धांत का पालन किया गया। गांधीजी के नेतृत्व में सन् 1920 में होने वाले कौंसिल-निर्वाचनों का बहिष्कार करने का कार्यक्रम कलकत्ता के विशेष अधिवेशन में स्वीकार किया गया था। इसके परिणामस्वरूप महाकौशल, विदर्भ और नागपुर के अनेक कांग्रेसी उम्मीदवारों ने अपना आवेदन पत्र वापस ले लिया। सारे देश में लगभग 20 प्रतिशत मतदान हो सका और प्रांत के अनके निर्वाचन क्षेत्रों में तो मतदान पेटिया खाली रह गईं।
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