संविधान के
अनुच्छेद 338 (1) मेँ व्यवस्था है
कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजातियों के लिए एक आयोग बनाया जाएगा, जो अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के
राष्ट्रीय आयोग के नाम से जाना जाएगा। आयोग की नियुक्ति राष्ट्रपति करेगा।
आयोग अनुसूचित
जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के लिए संविधान या अन्य विधियों के अधीन उपबंधित
रक्षापायों के क्रियान्वयन के संबंध मेँ राष्ट्रपति को प्रतिवर्ष या ऐसे अन्य
समयों पर जो आयोग उचित समझे, प्रतिवेदन देगा।
राष्ट्रपति ऐसे प्रतिवेदन को संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवाएगा।
अनुच्छेद 339 (1) के अनुसार राष्ट्रपति आयोग की नियुक्ति आदेश
द्वारा किसी भी समय कर सकेगा और इस संविधान के प्रारंभ से 10 साल की समाप्ति पर करेगा। आदेश आयोग मेँ आयोग की
संरचना, शक्तियां और प्रक्रिया परिनिश्चित की जा सकेगी और
उसमेँ एसे आनुषंगिक या सहायक उपबंध शामिल हो सकेंगे जिन्हें राष्ट्रपति आवश्यक या
वांछनीय समझे।
केंद्र सरकार ने
प्रशासकीय निर्णय के तहत गृह विभाग के 21 जुलाई, 1978 के एक प्रस्ताव द्वारा बहुसदस्यीय राष्ट्रीय
अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग का गठन, अगस्त 1984 मेँ किया।
1990 मेँ 65वें संविधान
संशोधन के द्वारा अनुच्छेद 338 मेँ संशोधन करके
अधिकारी की जगह एक आयोग के गठन का प्रावधान किया गया।
राष्ट्रीय
अनुसूचित जाति तथा जनजाति के एक आयोग के एक अध्यक्ष तथा एक उपाध्यक्ष तथा 5 सदस्य होते हैं।
अनुसूचितजातिवजनजातिआयोग आयोग के मुख्य कार्य
अनुसूचित जाति और
जनजाति की शिकायतोँ की जांच करना तथा इस वर्ग के लिए जितने भी संवैधानिक प्रावधान
है, उनका परीक्षण करना।
इन जातियों के
लोगोँ के सामाजिक और आर्थिक विकास की प्रगति का मूल्यांकन करना तथा इसके लिए
इन्हें जागरुक करना और विकास की प्रक्रिया मेँ शामिल करना।
इन जाति के
सदस्यों के संरक्षण के कार्यों पर प्रतिवर्ष राष्ट्रपति को रिपोर्ट देना।
उपर्युक्त के
अलावा 5वीं और 6वीं अनुसूची के
प्रावधानों के क्रियान्वयन की दिशा में कार्य करना।
फ़रवरी 2014 को अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति आयोग को दो
आयोगों मेँ विभाजित कर दिया गया।
अनुसूचितजनजातिआयोग Anusuchit Janjati Ayog
राष्ट्रीय
अनुसूचित जनजाति आयोग के नियम को जनजातीय कार्य मंत्रालय ने जारी किया और 19फरवरी 2004 को इसके का गठन की
अधिसूचना जारी की।
आयोग का कार्यकाल 3 साल निर्धारित किया गया।
आयोग के अध्यक्ष
का दर्जा केंद्र के मंत्रिमंडलीय मंत्री, उपाध्यक्ष का
दर्जा केंद्र के
राज्य मंत्री तथा सदस्य का दर्जा केंद्र सरकार के सचिव के समकक्ष रखा गया है।
अनुसूचितजातिआयोग Anusuchit Janjati Ayog
विभाजन
के पश्चात सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 19 फरवरी, 2014को अनुसूचित जाति आयोग के गठन के नियमों को जारी
किया।
प्रथम अनुसूचित
जाति आयोग का गठन सूरजभान की अध्यक्षता मेँ किया गया। फकीर भाई बघेला को आयोग का
उपाध्यक्ष तथा फूलचंद वर्मा, वीं देवेंद्र और
सुरेखा लांबतूरे को सदस्य नियुक्त किया गया।
आयोग के अध्यक्ष
का दर्जा केंद्र के मंत्रिमंडलीय मंत्री, उपाध्यक्ष का
दर्जा केंद्र के राज्य मंत्री तथा सदस्य का दर्जा केंद्र सरकार के सचिव के समकक्ष
रखा गया है।
Aayog ka gathan 19 feb 2004 ko kiya gya tha
ReplyDeleteNational Commission for Scheduled Tribes (NCST) w.e.f. 19 February, 2004
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