Sindhiya Vansh ke bare me jankari |सिंधिया वंश
सिंधिया वंश Sindhiya Vansh ka itihas
- सिंधिया वंश के संस्थापक राणोजी सिंधिया थे जिन्हें पेशवा ने मालवा का एक भाग 1731 ई. में दिया।
- 1745 ई. में राणोजी सिंधिया की मृत्यु हो गई।
- 1761 में पानीपत की तीसरी लड़ाई में मराठों की हार हुई।
- महादजी सिंधिया युद्ध भूमि से भाग गये। जाट सरदार लोकेंद्रसिंह ने इस युद्ध के बाद ग्वालियर का किला जीत लिया।
- 1765 ई. में महादजी सिंधिया ग्वालियर का किला वापस लेने में सफल हुए और मध्य तथा उत्तरी भारत में मराठों की सत्ता पुनः स्थापित की। उज्जैन को राजधानी बनाया।
- महादजी ने मुगल शासक शाहआलम को मुक्त करवाया (गुलाम कादिर से)।
- 1794 में पूना में महादजी का निधन हुआ।
- इसके बाद दौलतराव सिंधिया (1794-1827 ई.) उत्तराधिकारी बने और राजधानी ग्वालियर को बनाया।
- 1827 में दौलतराव का निधन हुआ। इनका कोई पुत्र नहीं था।
- इसके बाद जकोजी सिंधिया में शासन किया।
- जकोजी की विधवा ताराबाई का दत्तंक पुत्र जयाजीराव अगला शासक बना।
- 1857 में विद्रोह के सयम ग्वालियर का शासक जयाजीराव सिंधिया था जिसने ब्रिटिश सरकार की मदद की।
- 1886 ई. में जयाजीराव की मृत्यु के बाद माधवराव प्रथम शासक बने जिनकी मृत्यु 1925 ई. में हुईं। तब 9 वर्षीय जीवाजीराव सिंधिया शासक बने।
- 1948 में दिल्ली में मध्यभारत के राजाओं के सम्मेलन में 25 रियासतों और मालवा, इन्दौर, ग्वालियर का संयुक्त संघ बना जिसे मध्यभारत नाम दिया गया। (उद्घाटन जवाहरलाल नेहरू द्वारा)
- मध्यभारत के पहले राजप्रमुख के रूप में जीवाजी राव सिंधिया ने शपथ ली।
- जीवाजीराव के पुत्र माधवराव सिंधिया जो ग्वालियर से सांसद भी रहे, हवाई दुर्घटना में मृत्यु हो गई।
- माधव राव के पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया केन्द्र सरकार में राज्यमंत्री रहे और म.प्र. क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं।
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