जैवविविधता का वर्गीकरण | Classification of biodiversity


Classification of biodiversity

जैवविविधता का वर्गीकरण

01- स्थलीय जैव विधिता
02- जलीय जैव विविधता
03. समुद्री जैवविविधता
04. सूक्ष्म जीवों की विविधता
05.शहरी जैवविविधता-ग्रीन स्पेस, पार्क, नमभूमि

स्थलीय जैव विविधता Terrestrial biodiversity

01- वन-
  • दुनियॉं में 80 प्रतिशत जैवविविधता वनों में पायी जाती हैं। वनों में विशाल वृक्ष, छोटे वृक्ष, झाडि़यों से लेकर हल्की घास, खरपतवार, फंगस, ब्रायोफाईट्स, टेरीडोफाईटस आदि वनस्पतियां होती हैं, वहीं जीवों में छोटे कीड़े-मकोडे,पतंगे, मकड़ी आदि से लेकर सरीसृप तथा स्तनधारी अनेक जीव सम्मिलित होते हैं। 
  • भारत में 67.83 मिलियन हैक्टेयर पर वन पाये जाते हैं, जो कि देश की कुल भौगोलिक क्षेत्र का 20.64 प्रतिशत हैं।
  • भारत दुनिया के 17 विशाल विविधताओं वाले देशॉ (Megadiverse countries)  में से एक है।  जिसके कारण यहॉं स्थानिक Endemic प्रजातियो  की संख्या ज्यादा हैं। हमारे वनों में 45,000 वनस्पति तथा 81,000 प्राणियों की प्रजातियॉं पाई जाती हैं। इनमें से 5150 वनस्पतियॉं तथा 1837 प्राणियों की प्रजातियॉं स्थानिक हैं। देश में 597 संरक्षित क्षेत्र हैं जिनमें 95 नेशनल पार्क, 500 अभ्यारण्य, 02 कन्जर्वेशन रिजर्व हैं जो कि 1.56 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में फेले हैं (कुल क्षेत्रफल का 4.75 प्रतिशत)।

गिद्ध
  • गिद्ध शिकारी पक्षी हैं जो कि प्रकृति में सफाई का काम करते हैं।
  • विश्व में गिद्ध की 23 प्रजाति है जिसमें 09 भारत में पाई जाती हैं।
  • इनमे से 07 प्रजातियॉं मध्यप्रदेश में पायी जाती हैं।
  • इंडियन वल्चर (जिप्स इंडिकस), स्लंडेर बिल्ड वल्चर, व्हाईट रम्प्ड वल्चर की संख्या में 1992 से 2007 की अवधि में भारी गिरावट हुई (लगभग 97 प्रतिशत)
  • शोध में यह पाया गया कि मवेशियों उपचार हेतु प्रयोग की जाने वाली दवाई ‘‘डायक्लोफिनके ‘‘ के कारण इन पक्षियों में  किडनी काम करना बंद कर देती है, जिससे इनकी मृत्यु हो जाती है। भारत सरकार द्वारा मवेशियों मेंइस दवाई को प्रतिबंधित किया गया  है । 
  • आई.यू.सी.एन. रेड डाटा बुक में जिप्स बैंगालेंसिस को अति संक्रटग्रस्त श्रेणी में रखा गया है।


02. कृषि
  • भारत में उगाई जाने वाली विभिन्न फसलों में भी अत्यधिक विविधता देखने को मिलती है। हमारे देश में उगाई जाने वाली फसलों में से 66 प्रजातियॉं एवं उनके जंगली संबंधियों (वाइल्ड रिलेटिव्स) की लगभग 320 प्रजातियॉं को जन्म स्थान भारत ही है। लगभग 50 साल पहले तक भारत में चावल की 50,000 से 60,000 किस्में उगाई जाती थी। भारत को चावल, अरहर, आमहल्दी, अदरक, गन्ना आदि की किस्मों का खोज केन्द्र माना जाता है। इसके अलावा गेहूॅ, दालोनींबू, गन्ने, अदरक, हल्दी आदि की फसलों में भी हमें काफी विविधता देखने को मिलती है। कृषि की यह विविधता जीन पूल के रूप में उन्नत किस्में विकसित करने का आधार है। 
  • उदाहरण  के लिये-धान में ग्रासी स्टंट नामक बीमारी की रोकथाम के लिये मध्य भारत में पायी जाने वाली जंगल धान की किस्म ओराइजवा निवारा का उपयोग किया था। विष्व प्रसिद्ध धान की किस्म आई.आर.36 का विकास भी ओराइजा निवारा से ही किया गया।


पद्मश्री बाबूलाल दाहिया

  • ग्राम पिथौराबाद जिला-सतना के निवासी श्री बाबूलाल दाहिया मूलतः एक बघेली साहित्यकार हैं।
  • वर्ष 2005 से उनके द्वारा धान की पांरपरिक किस्मों को प्रतिवर्ष उगाकर संरक्षित किया जा रहा हैं। उनके द्वारा जैवविविधता प्रबंधन समिति, पिथौराबाद के तत्वाधान में सामुदायिक बीज बैंक भी संचालित किया जा रहा है।
  • कृषि जैवविविधता संरक्षण में अमूल्य योगदान के लिये उन्हें वर्ष 2019 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
03.उद्यानिकी-
  • उद्यानिकी जैवविविधता के अंतर्गत फल, सब्जियॉं, मसाले, सजावटी पौधे, फूल एवं औषधीय पौधे शामिल हैं। भारत दुनियॉ में चीन के बाद फलों एवं सब्जियों का सर्वाधिक उत्पादन करता है। भारत सरकार के 2016-17 के आंकड़ों के अनुसार 24 लाख हैक्टेयर में उद्यानिकी फसलों की खेती की जा रही है जिसमें कुल कृषि क्षेत्रफल का 7 प्रतिशत है।

04.पशुधन जैव विविधता-
  • भारत में मवेशियों , मुर्गीयों और दूसरे घरेलू प्राणियों की कई नस्लें हैं। पशुओं की 140 नस्लों की पहचान की गई है। भारत में भैंस की आठ नस्लें है जो कि विश्व की सारी आनुवांशिक विविधता का प्रतिनिधित्व करती हैं। भारत की मुर्रा, नीली-रावी और सूरती भैंसों का उपयोग कई देशॉ में नस्ल सुधारने के लिये किया जाता है।

 जलीय जैव विविधता Aquatic Biodiversity

 पृथ्वी के दो तिहाई हिस्से में पानी है, जिसमें अत्यधिक जलीय जैवविविधता पाई जाती है।

01 अन्तर्देशीय (जलीय जीव एवं वनस्पतियां)

  • नदी, झरने, झील, तालाब रूके हुए संचयित जल स़्त्रोतों में स्वच्छ पानी की जलीय जैवविविधता पाई जाती है। इनमें मछली, रेप्टाइल (सरीसृप), मगरमच्छ, मेंढ़क जैसे जीव पाये जाते हैं। साथ ही जलकुम्भी, वाटरलिली, शैवाल, काई एवं अन्य जलीय पौधे एवं सूक्ष्मजीव से लेकर टेडपोल लार्वा जैसे जीव होते हैं। मछली की कई प्रजातियॉ जल स़्त्रोतों के प्रदूशण तथा बाह्य आक्रामक प्रजातियों के कारण विलुप्त हो रही हैं। नर्मदा नदी में बहुतायत में पायी जाने वाली महाशीरर मछली की संख्या आज 3 प्रतिशत से भी कम हो गई है।


महाशीर-मध्यप्रदेश की राज्य मछली

  • नर्मदा महाशीर ‘‘टोर-टोर‘‘ मछली की संकटग्रस्त प्रजाति है जिसकी संख्या आज 3 प्रतिशत से भी कम है। इस मछली के कम होने का प्रमुख कारण है नदियों पर बांध बनने के कारण इनके प्रजनन क्षेत्र खत्म हो गये हैं।
  • महाशीर को पानी का टाईगर भी कहा जाता है क्योंकि नदी में महाशीर का मौजूद होना स्वस्थ्य पारिस्थितकीय तंत्र का परिचायक है।
  • मध्यप्रदेश शासन द्वारा महाशीर को 2011 में राजकीय मछली घोषित किया गया है।
  • मध्यप्रदेश वन विभाग एवं मध्यप्रदेश राज्य जैवविविधता बोर्ड के संयुक्त प्रयासों से खडंवा जिले के बड़वाह वन मंडल में महाशीर के कृत्रिम प्रजनन में सफलता प्राप्त हुई है।

3. समुद्री जैवविविधता Marine Biodiversity

  • प्रायः समुद्री जल खारा होता है। इसमें स्थलीय नदियों के द्वारा बहाकर लाये गये लवण, मृदा एवं विषाल समुद्र के जीव मरने के उपरांत वही मरकर घुल मिल जाते है, जो समुद्र के खारेपन को बढ़ा देते है। इसमें फ्लोरा के रूप में विशालकाय शैवाल, समुद्री एंजियास्पर्म, वनस्पतियों से लेकर मछली, सरीसृप, स्तनधारी, इकाइनोडरमेट्स, मोलस्का एवं आर्थाेपोंडा आदि जीव पाये जाते है। समुद्र की जैवविविधता भौगोलिक जलवायवीय आपदाओं आदि से प्रभावित होती है, जिनमें चक्रवात, सुनामी आदि शामिल है।

4.शहरी जैवविविधता- ग्रीन स्पेस, पार्क, नमभूमि

  • शहरी जैवविविधता प्राकृतिक एवं कृत्रिम दोनों होती है। प्राकृतिक विविधता में लघु घास मैदानअल्पविकसित जंगल, चरागाह सम्मिलित हैं। कृत्रिम जैव-विविधता में हरित परिसर, ग्रीन स्पेसपार्क, नम भूमि, जल स्थलीय मिश्रित परिक्षेत्र आदि होते है। प्रदूशण कम करने एवं पारिस्थितकीय तंत्र की सेवायें बनाये रखने के लिये शहर की जैवविविधता का स्तर बनाये रखना जरूरी है।

 5. सूक्ष्म जीवों की विविधता Diversity of microbes
  • जब हम जैव -विविधता के बारे में सोचते हैं, तो हम पृथ्वी पर सबसे ज्यादा में पाये जाने वाले जीवों सूक्ष्मजीवों के बारे में शायद ही सोचते हैं। सिर्फ एक चम्मच मिट्टी में करोडों ऐसे सूक्ष्मजीव रहते हैं। सूक्ष्मजीवों में बैक्टीरिया, वायरस, प्रोटोजोआ, यीस्ट, फफूंद इत्यादि शामिल हैं।
  • ये पृथ्वी पर जीवन के महत्वपूर्ण हिस्से हैं। बैक्टीरिया पृथ्वी के सबसे पुराने जीव हैं। वे 3.8 बिलियन साल पहले पृथ्वी के वातावरण के हिस्से थे। सूक्ष्मजीव विभिन्न जैवभूगर्भीय रासायनिक चक्रों में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।

No comments:

Post a Comment

Powered by Blogger.