Conservation of biodiversity |जैवविविधता का संरक्षण


जैवविविधता का संरक्षण

जैवविविधता का संरक्षण

जैवविविधता बहुमूल्य हैं, फिर भी इसके मूल्य को समझा नहीं गया है। जैव संसाधनों का संवहनीय तरीके से उपयोग करते हुये जैवविविधता का संरक्षण किया जाना आवश्यक है ताकि भविष्य की पीढ़ियों को भी इसका लाभ मिल सके। अन्तः स्थलीय संरक्षण  किसी प्रजाति को उसके प्राकृतिक आवास में संरक्षित करना अन्तः स्थलीय संरक्षण कहलाता हैं। उदाहरण-राष्ट्रीय उद्यान, वन्यप्राणी अभ्यारण, बाघ संरक्षित क्षेत्र, बायोस्फियर रिजर्व।

राष्ट्रीय उद्यान National Park

राष्ट्रीय उद्यान वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के प्रावधानों के तहत राज्य सरकारों द्वारा स्थापित किये जाते हैं। राष्ट्रीय उद्यान उन क्षेत्रों में घोषित किये जाते हैं, जो पर्याप्त रूप से पारिस्थितिकी, सांस्कृतिक तथा राष्ट्रीय महत्ता वाले होते हैं। राष्ट्रीय उद्यान एक विस्तृत क्षेत्रफल पर फैला हुआ होता है, जिसमें कई पारिस्थितिक तंत्र पाये जाते हैं। राष्ट्रीय उद्यान में मानवीय गतिविधियाॅ जैसे-लकड़ी काटने, पशु चराने तथा कृषि पर प्रतिबंध होता हैं।

प्रोजेक्ट टाईगर रिजर्व Project Tiger reserve

 भारत सरकार ने 1973 में बाघ संरक्षण योजना आरंभ की। इसका मुख्य उद्देश्य बाघ को संरक्षण देना एवं इस जीव की जाति की जनसंख्या में वृद्धि करना है। भारत में 2014 की स्थिति में 45 टाईगर रिजर्व थे इनमें मानस टाईगर रिजर्व को युनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया जा चुका है। 2018 के टाईगर सेंसस अनुसार भारत में बाघ की संख्या 2967 है। मध्यप्रदेश में यह संख्या 526 आँकी गई हैं।

कुछ संरक्षित क्षेत्र

  1. काजीरंगा नेशनल पार्क, असम
  2. मानस अभ्यारण, असम
  3. केवलादेव नेशनल पार्क, राजस्थान
  4. सुदंरवन नेशनल पार्क, पश्चिम बंगाल
  5. नंदादेवी नेशनल पार्क, उत्तराखंड

अभयारण्य The sanctuary


अभयारण्य राष्ट्रीय पार्क के लघु रूप होते हैं। प्रायः ये जीव विशेष की प्रजाति के संरक्षण हेतु स्थापित किये जाते हैं। जैसे चीता, मगरमच्छ, जलमुगीर्, शेर आदि। इनमें सीमित पर्यटन की अनुमति होती है। यहाॅं दैनिक उपयोग हेतु स्थानीय समुदाय लकड़ी का उपयोग कर सकते हैं।

बायोस्फियर रिजर्व Biosphere reserve

बायोस्फियर रिजर्व एक विषिष्ट परिस्थितकीय तंत्र होता है जहाॅं सतत् उपयोग के साथ वनस्पति व जीवों को सुरक्षा प्रदान की जाती है। बायोस्फियर रिजर्व शब्द यूनेस्को द्वारा 1971 में प्रयुक्त किया गया। इस कार्यक्रम को मेन एवं बायोस्फियर प्रोग्राम (एम.ए.बी.) कहा जाता है। मानव और उसके प्राकृतिक पर्यावरण के बीच वैज्ञानिक संबंध को औपचारिक रूप देने के लिये यह वैष्विक कार्यक्रम का प्रारंभ किया गया।
मध्यप्रदेश में 03 बायोस्फियर रिजर्व हैः-पचमढ़ी, अचानकमार-अमरकंटक और पन्ना बायोस्फियर रिजर्व घोषित हैं।


जैवविविधता विरासत स्थल Biodiversity Heritage Site

जैवविविधता अधिनियम, 2002 के प्रावधान अंतर्गत ऐसे प्राकृतिक क्षेत्र जो कि जैवविविधता की दृष्टि से सम्पन्न हो या ऐसे क्षेत्र जहाॅं स्थानिक प्रजातियों अथवा दुर्लभ संकटग्रस्त प्रजातियों की उपलब्धता हो, जैवविविधता विरासत स्थल के रूप में संरक्षित किया जाता है। नरोहिल्स,जिला-सतना एवं पातालकोट, जिला-छिंदवाड़ा को जैवविविधता विरासत स्थल के रूप में घोषित किया गया।

पवित्र वृक्ष निकुंज Holy tree nikunj

भारतीय संस्कृति में धार्मिक मान्यताओं के कारण जंगलों के कुछ क्षेत्र विशेष में देवता का निवास होने के कारण पेड़ों को नहीं काटा जाता है। ऐसे क्षेत्र पवित्र वृक्ष निकुंज या सेक्रेड ग्रोव्स कहलाते हैं, जो स्थानीय समुदाय द्वारा संरक्षित किये जा रहे हैं।

बाह्य स्थलीय संरक्षण External terrestrial protection

बाह्य स्थलीय संरक्षण में जीव जंतुओं एवं पेड़ पौधों को प्राकृतिक रहवास स्थल से बाहर संरक्षित किया जाता है।
जैसे-चिड़िया घर, वानस्पतिक उद्यान,नर्सरी। वानिकी अनुसंधान संस्थानों एवं कृषि अनुसंधान संस्थानों के माध्यम से भी पेड़ पौधों के जर्म प्लाज़मा(बीज,) का संरक्षण किया जा रहा है। 

राष्ट्रीय स्तर पर जर्म प्लाज़मा संरक्षण के लिये चिन्हित रिपोजिटरी

  • बॉटनीकल सर्वे आफ इडिया, कोलकाता
  • नेशनल ब्यूरो आफ प्लांट जेनेटिक रिसोर्स, नई दिल्ली 
  • नेशनल बोटाॅनिकल रिसर्च संस्थान, लखनउ 
  • जूलाॅजिकल सर्वे आफ इंडिया, कोलकाता
  • नेशनल ब्यूरो आफ एनिमल जेनेटिक रिसोर्स, करनाल,हरियाणा 
  • नेशनल ब्यूरो आफ फिश जेनेटिक रिसोर्स, लखनउ
  • नेशनल इन्स्टीट्यूट आफ ओशीनोग्राफी, गोवा 
  • इन्स्टीट्यूट आफ इंडिया, देहरादून
  • इन्स्टीट्यूट आफ माइक्रोबियल टेक्नाॅलाजी चंडीगढ 

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