म.प्र. के उत्तरी क्षेत्र में वनों की न्यूनता होने के मुख्य कारण |Reasons for very low Forestation in the northern region of MP
- मध्यप्रदेश का उत्तरी भाग माध्य भारत के पठार के नाम से जाना जाता है। जिसके अंतर्गत भिण्ड, मुरैना, ग्वालियर, शिवपुरी, गुना आदि जिले आते हैं। इस क्षेत्र में संपूर्ण मध्यप्रदेश के सापेक्ष सबसे कम वन क्षेत्र पाये जाते हैं। सामान्यतः किसी भी क्षेत्र में वनों की अधिकता एवं न्यूयनता का मुख्य कारण उस क्षेत्र में स्थित जलवायु, मिट्टी एवं भौगोलिक स्थिति होती है।
म.प्र. के उत्तरी क्षेत्र में वनों की न्यूनता होने के मुख्य कारण
जलवायुवीय कारक
- मध्यप्रदेश के उत्तरी भाग में महाद्वीपीय प्रकार की जलवायु पाई जाती है , इस प्रकार की जलवायु में वर्ष भर तापमान में बहुत अधिक उतार चढ़ाव होता है। और ऐसा इन क्षेत्रों के आसपास की जलराशि के बड़े भंडारों का ना अथवा कम होना है। इस क्षेत्र के पश्चिमी भाग में अरावली के पर्वत होने के कारण दक्षिण पश्चिम मानसून पर्वत से टकराकर इसके समांतर आगे उत्तर की ओर बढ़ जता है। जिससे इस क्षेत्र में दक्षिण पश्चिम मानसून से वर्षा बहुत कम होती है। अर्थात् इस क्षेत्र में संपूर्ण मध्यप्रदेश की तुलना में कम वर्षा (औसत 55.75 सेमी) होती है। इस कारण इस क्षेत्र में वनों की अधिकता ना होकर शुष्क एवं कंटीले वन प्रमुखता से मिलते हैं।
मृदा का स्वरूप
- प्रदेश के उत्तरी भाग में जलोढ़ प्रकार की मिट्टी की अधिकता है जिसकी प्रकृति क्षारीय होती हैं एवं जल धारण क्षमता अत्यंत कम होती है। यह केवल नदियों द्वारा बहाकर लाई हुई रेतीली मिट्टी होती है। जिसके कारण वनों हेतु अनुकूल परिस्थिति नहीं मिला पाती है।
भौगोलिक स्थिति
- इस क्षेत्र में चंबल नदी के बहाव के कारण मृदा अपरदन की समस्या बहुत ज्यादा है। जिससे इस क्षेत्र में बड़े-बड़े खड्ड अथवा घाटियों का निर्माण होता रहता है, जो वनों की उपज के लिए प्रतिकूल है।
- उपरोक्त कारणों से स्पष्ट है कि मध्यप्रदेश सर्वाधिक वनाच्छादित राज्य होने के पश्चात भी प्रदेश के उत्तरी भाग वन क्षेत्र कम पाया जाता है।
Answer Written By : Mr. Rahul Paar
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