MP Ke Bhautik Pradesh |Physical division of Madhya Pradesh in Hindi |मध्यप्रदेश के भौतिक प्रदेश
मध्यप्रदेश के भौतिक प्रदेश Physical regions of Madhya Pradesh
एस पी चटर्जी ने मध्यप्रदेश को धरातल विविधता
के आधार पर निम्न दो वृहत भौतिक प्रदेशों में विभाजित किया है।
- मध्य उच्च प्रदेश
- प्रायद्वीपीय पठारी प्रदेश
मध्य उच्च प्रदेश Madhya Uchh Pradesh
मध्य उच्च प्रदेश एक त्रिभुजाकार पठारी प्रदेश
है, जो कि दक्षिण में नर्मदा-सोन घाटी, पूर्व में कैमूर के कगार एवं पश्चिम
में अरावली श्रेणियों से घिरा है। इस क्षेत्र में श्रेणियों, पहाडि़यों ओर पठारों के बीच-बीच में
नदी घाटियाँ एवं बेसिन पाई जाती हैं।
इन धरातलीय विशेषताओं के आधार पर मध्य उच्च प्रदेश को निम्न 6 भागों में बॉटा गया है-
1. मालवा
पठार
2. मध्य
भारत का पठार
3. बुन्देलखण्ड
का पठार
4. रीवा
पन्ना का पठार
5. विंध्याचल
श्रेणी
6. नर्मदा
सोन घाटी
मालवा पठार MP Malwa Ka pathar
- मध्य प्रदेश के मध्य पश्चिमी भाग को मालवा का पठार के नाम से जाना जाता है। इस पठार का विस्तार गुना, राजगढ़, भोपाल, रायसेन, सागर, विदिशा, शाजापुर, देवास, सीहोर, उज्जैन, रतलाम, मंदसौर, झाबुआ एवं धार जिलों में है।
- इसकी भौगोलिक स्थिति 20° 17‘ उत्तरी अक्षांश तथा 25° 8‘ उत्तरी अक्षांश तथा 74° 20‘ पूर्वी देशान्तर से 79° 20‘ पूर्वी देशान्तर के मध्य है।
- कर्क रेखा मालवा के पठार को दो बराबर भागों में विभाजित करती है।
- इस पठार पर क्रिटेशियस काल के दरारी ज्वालामुखी उद्भेदन तथा लावा के साक्ष्य मिलते हैं। समुद्र तल से मालवा पठार की औसत ऊंचाई 500 मीटर है।
- परन्तु इस पठार की सबसे ऊॅची चोटी सिगार है जिसकी ऊंचाई 881 मीटर है।
- मालवा पठार प्रदेश की जलवायु उष्णकटिबंधीय मानसूनी है तथा इस क्षेत्र की प्रमुख नदियां क्षिप्रा, बेतवा, सोनार व चंबल हैं।
- मालवा पठार में काली मिट्टी की प्रमुखता के कारण इस क्षेत्र की मुख्य फसलें गेहूँ एवं कपास हैं। इस क्षेत्र के अधिकतर लोग कृषि एवं पशुपालन करते हैं। यह प्रदेश राज्य का प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र है।
- मालवा पठार के प्रमुख नगर इंदौर, भोपाल, उज्जैन, सागर, रतलाम, देवास, विदशि व धार हैं।
मध्य भारत का पठार Madhya Bharat ka Pathar
- मध्य भारत का पठार मालवा के पूर्वोत्तर में स्थित है। इसकी भौगोलिक स्थिति 24° उत्तरी अक्षांश से 26°48‘ उत्तरी अक्षांश तथा 75°50‘ पूर्वी देशान्तर से 79°10‘ पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित है।
- इस क्षेत्र में दोमट मिट्टी से ढकी हुई जलज चट्टाने पाई जाती हैं।
- मध्यप्रदेश के भिण्ड, मुरैना, ग्वालियर, शिवपुरी, गुना व मंदसौर जिले इसी प्रदेश के अंतर्गत आते हैं।
- मध्य भारत का पठार की प्रमुख नदियाँ चंबल, काली सिन्ध, पार्वती आदि हैं।
- मध्य भारत का पठार की जलवायु महाद्वीपीय प्रकार की है।
- मध्य भारत का पठार में जलोढ़ एवं काली मिट्टी पाई जाने के कारण यहाँ गेहूँ, ज्वार, बाजरा की फसल उगाई जाती है। शीशम, सागौन, नीम, पीपल, खैर आदि यहाँ के वनों में पाये जाने वाले प्रमुख वृक्ष हैं।
- मध्य भारत का पठार में जनसंख्या का घनत्व 110 से 272 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है।
विंध्यन कगारी प्रदेश (रीवा-पन्ना का पठार) Vindhyan Kagari Pradesh Rewa Panna Ka Pathar
- विंध्यन कगारी प्रदेश मालवा के पठार के उत्तर-पूर्व में फैला है। इसे रीवा-पन्न का पठार भी कहते हैं।
- विंध्यन कगारी प्रदेश भौगोलिक स्थिति 23°10‘ उत्तरी अक्षांश से 25°12‘ उत्तरी अक्षांश और 78°4‘ पूर्वी देशांतर से 82°18‘ पूर्वी देशांतर के मध्य विस्तृत है।
- विंध्यन कगारी पठार की ऊंचाई 300 से 450 मीटर तक है।
- यहाँ बुलई, लाल, एवं पीली मिट्टी पाई जाती है। यहाँ औसत वर्षा 125 सेमी के लगभग है। गेहूँ इस क्षेत्र की प्रमुख फसल है। इस क्षेत्र में पूर्व की ओर चावल की खेती होती है।
- चूना-पत्थर एवं हीरा यहाँ पाए जाने वाले प्रमुख खनिज हैं।
- कृषि यहाँ का प्रमुख व्यवसाय है। इस क्षेत्र के प्रमुख नगर सतना, रीवा, पन्ना, दमोह आदि हैं।
विंध्याचल श्रेणी Vindhyachal Pathar
- विंध्याचल श्रेणी पश्चिमी मध्यप्रदेश से लेकर पूर्व में बिहार तक फैली है। इसे पश्चिम से पूर्व की ओर क्रमशः विंध्याचल, भाण्डेर, तथा कैमूर की श्रेणी के नाम से जाना जाताहै । होशंगाबाद के पश्चिम में यह विंध्यन युग की चट्टानों से बनी है तथा गनरूगढ़ के पश्चिम में यह लावा चट्टानों से बनी है। इस श्रेणी की औसत ऊंचाई 500 मीटर के आसपास है। पश्चिम से पूर्व की ओर इसकी ऊंचाई कम होती जाती है। भाण्डेर-कैमूर की श्रेणियां गंगा और नर्मदा बेसिन की जल विभाजक हैं।
- यहाँ से निकलने वाली नदियाँ चंबल, बेतवा तथा केन उत्तर की ओर सम्पूर्ण मध्य उच्च प्रदेश से बहती हुई यमुना में मिल जाती हैं।
बुन्देलखण्ड का पठार BundelKhand Ka Pathar
- बुन्देलखण्ड का पठार, मध्य उच्च भूमि के उत्तरी भाग को कहते हैं। इसमें मध्यप्रदेश के छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, दतिया, शिवपुरी एवं गुना जिलों के कुछ भाग आते हैं।
- यह पठार बुंदेलखण्ड नीस नामक प्राचीन चट्टानों के अपरदन से बना है।
- इसकी भौगोलिक स्थिति 24°6‘ उत्तरी अक्षांश से 26°22‘ उत्तरी अक्षांश तथा 77°51‘ पूर्वी देशांतर से 80°20‘ पूर्वी देशांतर के मध्य स्थित है।
- इस प्रदेश की जलवायु महाद्वीपीय प्रकार की है। इस क्षेत्र में काली मिट्टी तथा लाल मिट्टी के मिश्रण से बनी हुई बुलई दोमद मिट्टी पाई जाती है। यहाँ के उष्णकटिबंधीय शुष्क पतझड़ वनों में सागौन, सेजा, साज, तेंदू, खैर, नीम, महुआ, बीजा आदि के वृक्ष पाए जाते हैं।
- यहाँ जनसंख्या घनत्व 123 से 186 व्यक्ति प्रतिवर्ग किमी पाया जाता है।
- कृषि एवं पशुपालन इस क्षेत्र के प्रमुख व्यवसाय हैं। इस प्रदेश के प्रमुख नगर दतिया, छतरपुर, टीकमगढ़, नौगॉव, चंदेरी आदि हैं।
नर्मदा सोन घाटी Narmada Sone Ghati
- मध्यप्रदेश के पूर्वी पश्चिमी भाग में नर्मदा तथा सोन नदी की संकरी घाटियों के मध्य का भाग नर्मदा सोन नदी की घाटी कहलाता है।
- नर्मदा घाटी 22°30‘ उत्तरी अक्षांश से 23°45‘ उत्तरी अक्षांश तथा 74° पूर्वी देशांतर से 81°30‘ पूर्वी देशांतर के मध्य स्थित है।
- यह घाटी मध्य प्रदेश का सबसे नीचा भाग है। यहाँ गहरी काली मिट्टी पाई जाती है। महादेव एवं सतपुड़ा श्रेणी पर सदाबहार वन पाए जाते हैं। इस क्षेत्र में गेहूँ, कपास, ज्वार, चावल, बाजरा आदि फसलें उगाई जाती हैं।
- नर्मदा घाटी में चूने का पत्थर तथा कोयला पाया जाता हैं इस घाटी के प्रमुख नगर जबलपुर, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, रायसने, खण्डवा तथा खरगौन हैं।
प्रायद्वीपीय पठारी प्रदेश MP Peninsular Pathari Pradesh
प्रायद्वीपीय पठार के उत्तरी भाग को दक्कन पठार
कहते हैं। इस पठार पर स्थित सतपुड़ा श्रेणी का विस्तार मध्यप्रदेश के दक्षिणी भाग
पर है। इसके पूर्व में स्थित पहाड़ी क्षेत्र को बघेलखण्ड पठार कहते हैं।
दक्क्न
पठार के इस पहाड़ी पठारी भाग को निम्न दो प्रमुख हिस्सों में बाँटा जा सकता है
- सतपुड़ा-मैकाल श्रेणियाँ
- बघेलखण्ड पठार (पूर्वी पठार)
सतपुड़ा-मैकाल श्रेणियाँ MP Ke Satpuda Maikal Shreni
- सतपुड़ा-मैकाल श्रेणियाँ दक्षिणी मध्य प्रदेश में पश्चिमी सीमा के पूर्व में स्थित हैं। इनका भौगोलिक विस्तार 21° उत्तरी अक्षांश तथा 23° उत्तरी अक्षांश तथा 74°30‘ पूर्वी देशांतर से 81° पूर्वी देशांतर के मध्य स्थित है।
- सतपुड़ा-मैकाल का विस्तार लगभग 34,000 वर्ग किमी है।
- सतपुड़ा क्षेत्र की अधिकतम ऊंचाई 1350 मीटर (धूपगढ़) है।
- इस क्षेत्र में खण्डवा एवं खरगौन जिलों में जनसंख्या अधिक है, अन्य जिलों में जनसंख्या का घनत्व कम पाया जाता है। वनों से उपज एकत्रित करना तथा खनन उद्योग में कार्य करना यहाँ का मुख्य व्यवसाय है। समतल भूमि वाले क्षेत्रों में कृषि होती है। यातायात की दृष्टि से यह प्रदेश सुगम्य नहीं है। अधिकतर भागों में पथरीली कच्ची सड़कें हैं।
- छिंदवाड़ा, बुरहानपुर, खण्डवा, सिवनी, बैतूल, मण्डला, बालाघाट, खरगौन, बड़वानी, झाबुआ इस क्षेत्र के प्रमुख नगर हैं।
बघेलखण्ड पठार (पूर्वी पठार) Baghel Khand Ka Pathar (Purvi Pathar)
- मध्य प्रदेश के पूर्वी भाग में सोन नदी से पूर्व तथा सोन घाटी के दक्षिण का क्षेत्र बघेलखण्ड का पठार कहलाता है।
- बघेलखण्ड के पठार का विस्तार 23°40‘ उत्तरी अक्षांश से 24°35‘ उत्तरी अक्षांश तथा 80°05‘ पूर्वी देशांतर से 82°35‘ पूर्वी देशांतर के मध्य में स्थित है।
- बघेलखण्ड के पठार में आद्य महाकल्प तथा जूरैसिक काल के शैल समूह मिलते हैं। गोंडवाना शैल समूह इस प्रदेश की भौगोलिक विशेषता है। मध्यप्रदेश के प्रमुख कोयला क्षेत्र इसी प्रदेश में स्थित हैं। इस क्षेत्र की प्रमुख नदी सोन है।
- बघेलखण्ड के पठार की जलवायु मानसूनी है। यहाँ काली, लाल एवं पीली और पथरीली मिट्टियाँ पाई जाती हैं। पतझड़ वाले वनों से वनोपज एकत्रिक करने का कार्य यहाँ प्रमुखता से किया जाता है। चावल यहाँ की प्रमुख फसल है, अलसी, ज्वार एवं तिल भी उगाए जाते हैं।
- बघेलखण्ड के पठार क्षेत्र में कोयला, बॉक्साइट, चूने का पत्थर, फायर क्ले आदि खनिज मुख्य रूप से पाए जाते हैं। इस क्षेत्र में वन्य जीव तथा पहाड़ी दुर्गम स्थान होने के कारण आवागमन के साधनों में कमी है।
- यहाँ के उद्योग-धन्धों में अमलाई की कागज मिल तथा रायगढ़ का जूट उद्योग प्रमुख हैं
- पूर्वी पठार में रीवा, सतना, उमिरिया, सीधी, सिंगरौली तथा अनूपपुर आदि प्रमुख नगर स्थित हैं।
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