औद्योगिक विकास में म.प्र. का देश में 7वां
स्थान है।
मध्यप्रदेश में प्रथम औद्योगिक नीति 1972 में बनी थी।
दिसंबर 1961
में मध्यप्रदेश लघु उद्योग निगम की स्थापना हुई।
मध्यप्रदेश औद्योगिक केन्द्र विकास निगम की
स्थापना 1965 में भोपाल में की गई।
मध्यप्रदेश औद्योगिक राज्य विकास निगम की
स्थापना 1987 में भोपाल में की गई। निगम को उसके
क्षेत्राधिकार में औद्योगिक विकास केन्द्र की स्थापना का उत्तरदायित्व दिया गया।
वर्तमान में म.प्र. शासन के 31 औद्योगिक विकास केन्द्र हैं।
मध्यप्रदेश में औद्योगिकीकरण को प्रोत्साहित
करने के लिए वर्ष 2004-2005 में प्रथम उद्योग संवर्द्धन नीति 2004 अंगीकृत की गई।
प्रथम उद्योग संवर्द्धन नीति 2004में2007
में संशोधन किया गया था। पुनः नयी प्रथम उद्योग संवर्द्धन नीति 2010 बनायी गयी। जो अक्टूबर 2010 (2010-2015) में लागू की गई।
उद्योग संवर्द्धन नीति 2010 में संशोधन कर उद्योग संवर्द्धन
नीति 2014 बनाई गयी जो वर्तमान में लागू की गई है।
मध्यप्रदेश वस्त्र उद्योग मंडल भोपाल में है
जिसकी स्थापना 1972 में की गई थी।
मध्यप्रदेश खादी ग्रामोद्योग बोर्ड भोपाल में
है जिसकी स्थापना 1960-1961 में की गई थी।
म.प्र. एग्रो इंडस्ट्रीज कार्पोरेशन का
मुख्यालय भोपाल में है।
मध्यप्रदेश के रायसेन में जापाना के सहयोग से
आप्टिकल फाईबर का कारखाना स्थापित किया गया है।
मध्यप्रदेश में प्रथम औद्योगिक स्वास्थ्य
प्रयोगशाला की स्थापना इंदौर में की गई है।
इंदौर, भोपाल
और जबलपुर औद्योगिक दृष्टि से मध्यप्रदेश के विकसित जिलों की श्रेणी में आते हैं।
होशंगाबाद, सीहोर
और बैतूल औद्योगिक दृष्टि अविकसित जिलों की श्रेणी बी में आते हैं।
म.प्र. उद्योग निगम द्वारा राज्य के भोपाल, उज्जैन, ग्वालियर, रीवा, जबलपुर, आदि जिलों में मृगनयनी एम्पोरियम चलाया
जाता है।
म.प्र. में बॉक्साइट का खनन सर्वप्रथम कटनी में 1908 में हुआ।
एचवीजे गैस लाईन पर आधारित पेट्रोकेमिकल्स
कॉम्पलेक्स तथा नाइट्रोजन उर्वरक संयत्र गुना जिले के विजयपुर में अमेरिका तथा
इटली के सहयोग से स्थापित किया गया है।
म.प्र. में एकमात्र घड़ी (एमएमटी) कर कारखाना
बैतूल जिले में है।
राज्य में दियासलाई के डिब्बे का कारखाना
ग्वालियर में है।
वर्तमान समय में राज्य में चीनी मिलें बनलाई, डबरा, सीहोर, दालौदा, जावरा, कैलारस, महीदपुर, व उज्जैन में स्थित हैं।
प्रदेश में कृत्रिम रेशे बनाने का सबसे बड़ा
केन्द्र नागदा (उज्जैन) में है।
वाहन कलपुर्जा उद्योग के कारण धार जिले के
पीथमपुर को भारत का डेट्राइट कहा जाता है।
उमरिया में लाख बनाने का सरकारी कारखाना है।
सागर जिले के बीना में ओमान के सहयोग से
तेलशोधन संयत्र स्थापित किया गया है।
राज्य में बीड़ी उद्योग का प्रमुख केन्द्र
जबलपुर है।
निजी क्षेत्र का कागज कारखाना ओरिएण्ट पेपर मिल
अमलाई शहड़ोल में है।
कास्टिक सोड़ा का कारखाना अमलाई, नेपानगर, व नागदा में है।
पीतल के बर्तनों का उद्योग ग्वालियर, इंदौर, छतरपुर, छिंदवाड़ा, व बालाघाट में है।
टाटा समुह का चमड़ा काम्पलेक्स देवास में है।
इंडस फूड पार्क इंदौर में है। इंदौर
को मिनी
मुंबई के नाम से भी जाना जाता है ।
मध्यप्रदेश का अधिकतम विकसित उद्योग क्षेत्र
पश्चिमी मालवा इंदौर, देवास, उज्जैन, रतलाम, भोपाल है।
मध्यप्रदेश का पहला ड्रायपोर्ट मांगलिया इंदौर
है।
एल्केलाइड फैक्ट्री नीमच में है यह वित्त
मंत्रालय के अधीन है।
दतिया जिले के भांडेर में गैस आधारित पहला
विद्युत गृह स्थापित किया गया है।
भारत सरकार द्वारा पीथमपुर (धार) में निर्यात
संवर्धन औद्योगिक पार्क की स्थापना की गई है।
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