राज्य
पुनर्गठन आयोग की सिफारिश के आधार पर 1956 में
गठित किये गए मध्य प्रदेश राज्य में पुराने मध्य प्रदेश का अधिकांश भाग भी
शामिल किया गया था।
देश
में भाषा के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की माँग स्वतंत्रता से पहले ही शुरू
हो चुकी थी। भारत के प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस द्वारा भाषा के आधार पर
राज्यों के पुनर्गठन का विरोध किया एवं प्रशासनिक सुविधा के आधार पर राज्यों
के पुनर्गठन की संस्तुति की थी।
आयोग की सिफारिशों का तीव्र विरोध हुआ, लेकिन कांग्रेस के जयपुर अधिवेशन
में जवाहरलाल नेहरू, वलल्लभ भाई पटेल
एवं पट्टाभिसीतारमैया की समिति ने दर आयोग के पक्ष में निर्णय दिया.
समिति की रिपोर्ट के प्रकाशन के
बाद भाषायी आधार पर राज्यों के पुनर्गठन के समर्थकों ने आंदोलन तेज कर दिया।
माँग के समर्थन में आमरण अनशन पर बैठे तेलुगू पोट्टी श्री रामुल्लू की 52 दिन बाद 15 दिसंबर, 1852 को मौत हो गई।19 दिसंबर, 1952 को प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने
तेलुगू भाषियों के लिए पृथक् आंध्र प्रदेश राज्य के गठन की घोषणा कर दी और 1 अक्टूबर, 1953 को गठित आंध्र प्रदेश भाषा के आधार
पर गठित होने वाला देश का पहला राज्य बन गया।
केन्द्र सरकार ने 22
दिसंबर, 1953 को तीन सदस्यीय राज्य पुनर्गठन
आयोग को गठन किया। आयोग के अध्यक्ष न्यामूर्ति फजल अली तथा सदस्य के. एस.
पाणिक्कर व हृदयनाथ कुंजरू थे।
आयोग ने 30 दिसंबर, 1955 को अपनी रिपोर्ट केन्द्र सरकार को
सौंप दी। आयोग की सिफारिशों के आधार पर पार्ट ए.,बी.सी, डी.
के वर्गीकरण को समाप्त कर भारतीय संघ को 16 राज्यों
व 3 संघ राज्य क्षेत्रों में बाँटा
गया।
इसमें से एक राज्य मध्य प्रदेश था। इस प्रकार 1 नवंबर, 1956 को नएआकार में मध्य प्रदेश का पुनः सृजन
हुआ।
नए मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल रखी गई। उसकी भौगोलिक स्थिति 18° से 26°30‘ उत्तरी
अक्षांश तथा उत्तरी अक्षांश तथा 74° से
84°30‘ पूर्वी देशांतर थी। इसका क्षेत्रफल
4,43,446 वर्ग किलोमीटर था, जो देश के क्षेत्रफल का सबसे बड़ा
राज्य बना।
1956
में मध्य प्रदेश
में 43 जिले थे। 1972 में भोपाल और राजनांदगाँव को जिला
बनाया गया, इससे जिलों की संख्या 45 हो गई।
सिंहदेव व दुबे आयोग की
अनुशंसा पर 16
नए जिलों का गठन
हुआ, लेकिन 1 नवंबर, 2000 को छत्तीसगढ़ पृथक् राज्य बना और 16 जिले छत्तीसगढ़ का भाग बने।
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