मध्यप्रदेश के प्राकृतिक पर्यटन स्थल | Natural tourist places of Madhya Pradesh
मध्यप्रदेश के प्राकृतिक पर्यटन स्थल
पचमढ़ी
- पचमढ़ी मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले में है। इसे वर्तमान मध्यप्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजाधानी व मध्यप्रदेश की छत कहा जाता है।
- पचमढ़ी की खोज वर्ष 1862 में कैप्टन फोरसिथ ने की थी।
- सतपुड़ा श्रेणी के मध्य में स्थित होने और अनुपम प्राकृतिक सौंदर्य के कारण इसे सतपुड़ा की राजधानी भी कहा जाता है। मध्य प्रदेश की सबसे ऊंची चोटी धूपगढ़ पचमढ़ी में ही स्थित है। पचमढ़ी को वर्ष 1999 में जैव आरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है। पचमढ़ी में तवा और देनवा नदी के संगम पर मढ़ई वन क्षेत्र प्रमुख जल पर्यटन स्थल है।
- धूपगढ़ चोटी सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला की महादेव श्रेणी में स्थित है। इसका प्राचीन नाम श्री हरवत्स कोट था । इसकी समुद्र तल से ऊँचाई 1350 मीटर है।
पचमढ़ी के प्रमुख दर्शनीय स्थल
- हांडी खो घाटी,चौरागढ़ चोटी,जम्बू द्वीप,मधुमक्खी झरना,डचेस जल प्रपात,रीछ गृह गुफा,जटाशंकर की गुफाए,अप्सरा गुफा,राजेन्द्र गिरी उद्यान,महादेव रॉक पेंटिग, रीछगढ़, बेगम पैलेस, संगमटूर, प्रियदर्शनी पाईटरु राजेन्द्रगिरी चोटी, अप्सरा जल प्रपात, रजत जल प्रपात, पाण्डव गुफा, हार्पर गुफाएँ, भरतमीर गुफा, सरदार गुफा, द्रोपदी कुटी, रविशंकर भवन, रोमन कैथोलिक चर्च इको पाइंट, सुषमासा, सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान।
अमरंकटक
- अमरकंटक अनूपपूर जिले में मैकाल श्रेणी में स्थित है, जिसे वर्ष 2005 में पवित्र नगर घोषित किया गया। अमरकंटक की समुद्र तल से ऊँचाई 1065 मीटर है। यह मध्य प्रदेश का दूसरा हिल स्टेशन है। वर्ष 2005 में घोषित अचानकमार जैव आरक्षित क्षेत्र अमरकंटक में स्थित है।
अमरकंटक के दर्शनीय स्थल
- नर्मदा नदी का उद्गम स्थल नर्मदा कुंड, सोनमुड़ा, माई की बगिया, चरणोदक कुंड, दुगध धारा व कपिलधारा जल प्रपात, धुनीपानी, जलेश्वर महादेव मंदिर, सबरी माता मंदिर, कर्ण मंदिर, सूर्यनारायण मंदिर, वंगेश्वर मंदिर, कार्तिकेय मंदिर, गुरू गोरख नाथ मंदिर, ग्यारह रूद्र मंदिर, सर्वाेदय जैन मंदिर, कबीर चबूतरा आदि।
भेड़ाघाट
- यह जबलपुर जिले में नर्मदा नदी के तट पर स्थित हैं भृगु ऋषि की कर्मस्थली होने के कारण इसे भेड़ाघाट कहा जाता है।
भेड़ाघाट के प्रमुख पर्यटन स्थल
- धुआँधार जलप्रपात, चौसठ योगिनी मंदिर, बंदर कुदनी, ग्वारीघाट, लम्हेटाघाट, तिलवाराघट, पंचवटी घाट, गांधी स्मारक, मदन महल।
- तिलवाराघाट में महात्मा गाँधी की अस्थियों का विर्सजन किया गया था।
भीमबेटका की गुफाएँ
- भीमबेटका की गुफाएँ रायसेन जिले में स्थित हैं जो आदिमानव द्वारा बनाये गये शैलचित्रों के लिए प्रसिद्ध हैं। इनकी खोज डॉ. विष्णुधर वाकणकर ने वर्ष 1957-58 में की थी। इन्हें वर्ष 2003 मेें युनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है।
- ये गुफाएँ मध्य प्रदेश की प्राचीनतम संसकृति का प्रतिनिधित्व करती हैं। यहां से पूर्व पाषाण कालीन संस्कृति की गुफाओं का शैलाश्रय प्राप्त हुआ है। जिनकी संख्या 600 हैं इन गुफाओं की दीवारों में आदिमानव ने अपनी सृजनात्मक कलाओं की अभिव्यक्ति की है।
भर्तृहरि की गुफाएँ
- उज्जैन जिले से लगभग 12 किमी दूर कालियादेह महल के समीप स्थित भर्तृहरि गुफाओं का निर्माण राजा भर्तृहरि की स्मृति में परमार वंश के राजाओं ने 11वीं शताब्दी में करवाया था। इन गुफाओं की कुल संख्या 9 है, जिनमें से वर्तमान में 5 गुफाएं अस्तित्व में हैं। ये गुफाएं रंगीन चित्रों के लिए प्रसिद्ध हैं।
उदयगिरी की गुफाएँ
- ये गुफाएं विदिशा जिले में स्थित हैं जिनका प्राचीन नाम नीचौगिरी था। इनकी स्थापना चौथी से पॉचवी सदी में राजा भोज के पौत्र उदयादित्य ने की थी। उदयगिरी में कुल 20 गुफाएँ हैं, जो हिंदू व जैन धर्म से संबंधित हैं ।
- गुुफा संख्या 1 तथा 20 को जैन गुफा माना जाता हैं उदयगिरि की गुफाएं वर्ष 1951 से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, भोपाल मंडल के अधीन सुरक्षित हैं।
- यहाँ पर गुप्त संवत 425-426 ई. में उत्कीर्ण कुमार गुप्त प्रथम के शासन काल का एक अभिलेख भी स्थित है, जिसमें शंकर नाम व्यक्ति द्वारा गुफा के प्रवेश द्वारा में जैन तीर्थंकर पार्श्वनाथ की मुर्ति प्रतिस्थापित किए जाने का उल्लेख है।
प्रथम गुफा तीन दिशाओं में शैलकृत और एक दिशा में प्रस्तर खंडो से बनी हैं इस गुुफा का नाम सूरज गुफा है इसमें 7 फीट लंबे और 6 फीट चौड़े कक्ष हैं।
चौथी गुफा में शिवलिंग की प्रतिमा है। इसके प्रवेश द्वार पर मनुष्य वीणा वादन करते हुए दिखाया गया है, जिसके कारण इस गुफा को बीन की गुफा कहते हैं। यह गुफा 13 फीट 11 इंच लंबी और 11 फीट 8 इंच चौड़ी है।
पॉचवी गुफा मेें वराहवतार की प्रतिमा है, जिसे वराह गुफा के नाम से जाना जाता हैं यह गुफा 22 फीट लंबी और 12 फीट 8 इंच उंची है।
तेरहवीं गुफा में शंख लिपि उत्कीर्ण है, जो विश्व की प्राचीनतम लिपियों में से एक मानी जाती है। यह शेषशायी विष्णु की मुर्ति के लिए प्रसिद्ध है, जो 12 फीट लंबी है।
बाघ की गुफाएँ
- बाघ की गुफाएँ धार जिले के कुक्षी तहसील में नर्मदा की सहायक बाघ नदी के तट पर स्थित हैं। ये गुफाएं बौद्ध धर्म से संबंधित पॉचवी से सातवीं शताब्दी की गुफाएं हैं। बाघ की गुफाएं अजंता की गुफाओं के समकक्ष मानी जाती हैं। इनकी खोज वर्ष 1818 में डेगर फील्ड ने की थी। इन गुफाओं की कुल संख्या 9 है। वर्तमान में केवल 5 गुफाएँ अस्तित्व में हैं। बाघ की गुफाएं अपने रंगीन भित्ति चित्र के लिए प्रसिद्ध हैं। इन गुफाओं पर की गई चित्रकारी को फ्रेस्को-मुगल पेटिंग कहा जाता है।
- बाघ की गुफाओं के भित्ती सित्रों की वर्ष 1920 में चित्रकार मुकुल डे तथा वर्ष 1921 में हाल्दर, नंदलाल, एल,एनभावसार एवं मिर्जा स्माइल बेग जैसे प्रसिद्ध चित्रकारों ने प्रतिलिपि तैयार की थी। इन गुफाओं को वर्ष 1951 में राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया गया था।
बाघ की गुफाओं के नाम
गुफा | नाम |
---|---|
पहली गुफा | गृह गुफा |
दूसरी गुफा | पंचपांडु |
तीसरी गुफा | हाथी खाना |
चौथी गुफा | रंग महल |
पॉचवी गुफा | पॉचवी गुफा |
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