अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च International Women's Day 8 March
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस कब मनाया जाता है
प्रतिवर्ष 8 मार्च को
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस प्रथम बार कब मनाया गया था
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस प्रथम बार कब मनाया गया था
- सर्वप्रथम वर्ष 1909 में यू.एस. द्वारा राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया।
- वर्ष 1911 में कुछ यूरोपियन देशों द्वारा प्रथम बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया।
- 1977 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा प्रथम बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया।
राष्ट्रीय महिला दिवस
- भारत में 13 फरवरी को राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। यह दिन सरोजिनी नायडू की जयंती का दिन है। यह दिन पहली बार 13 फरवरी 2014 को दिवंगत सरोजिनी नायडू की 135 वीं जयंती के दिन मनाया गया था।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की पृष्ठभूमि
- 1908 न्यूयॉर्क शहर में काम के कम घंटों, बेहतर वेतन और वोटिंग के अधिकार की मांग के लिए 15 हजार महिलाएं सड़कों पर प्रदर्शन किया।
- इस प्रदर्शन के एक साल बाद 1909 यूनाईटेड स्टेट ऑफ अमेरिका की सोशलिस्ट पार्टी ने प्रथम बार राष्ट्रीय महिला दिवस को मनाने की घोषणा की.
- क्लारा जेटकिन सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा महिला दिवस को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाने का विचार प्रस्तुत किया गया था।
- अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को पहली बार 1996 में ‘‘ अतीत का जश्न, भविष्य की योजना‘‘ थीम के तहत मनाया गया था.
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2021 की थीम
- साल 2021 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की थीम “Women in leadership: an equal future in a COVID-19 world” रखी गई है.
- यह थीम कोरोना महामारी के दौरान श्रमिकों, इनोवेटर आदि के रूप में दुनिया भर में लड़कियों और महिलाओं के योगदान को रेखांकित करती है.
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2020 का विषय
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2020 का विषय है, “मैं पीढ़ीगत समानतार महिलाओं के अधिकारों को महसूस कर रही हूँ।” (I am Generation Equality: Realizing Women’s Rights)
- पीढ़ीगत समानता अभियान के तहत हर लिंग, आयु, नस्ल, धर्म और देश के लोगों को एक साथ लाया जा सके तथा ऐसे अभियान चलाए जाए ताकि लैंगिक-समानता युक्त दुनिया का निर्माण हो सके।
- लिंग आधारित हिंसा को समाप्त करना, आर्थिक न्याय और अधिकारों की प्राप्ति, शारीरिक स्वायत्तता, यौन तथा प्रजनन स्वास्थ्य के अधिकार, जलवायु न्याय के लिये नारीवादी कार्यवाही तथा लैंगिक समानता के लिये प्रौद्योगिकी और नवाचारों का उपयोग जैसे लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में छोटे-छोटे कार्यों द्वारा व्यापक परिवर्तन लाया जा सकता है।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस उत्सव की अब तक की थीम
वर्ष | उत्सव की थीम |
---|---|
1996 | भूतकाल का जश्न, भविष्य की योजना |
1997 | महिला और शांति की मेज |
1998 | महिला और मानव अधिकार |
1999 | महिलाओं के खिलाफ हिंसा मुक्त विश्व |
2000 | शांति के लिये महिला संसक्ति |
2001 | महिला और शांति विरोध का प्रबंधन करती महिला |
2002 | आज की अफगानी महिला वास्तविकता और मौके |
2003 | लैंगिक समानता और शताब्दी विकास लक्ष्य |
2004 | महिला और HIV AIDS |
2005 | 2005 के बाद लैंगिक समानताय एक ज्यादा सुरक्षित भविष्य का निर्माण कर रहा है |
2006 | निर्णय निर्माण में महिला |
2007 | लड़कियों और महिलाओं के खिलाफ हिंसा के लिये दंडाभाव का अंत |
2008 | महिलाओं और लड़कियों में निवेश |
2009 | महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को खत्म करने के लिये महिला और पुरुष का एकजुट होना |
2010 | बराबर का अधिकार, बराबर के मौके सभी के लिये प्रगति |
2011 | शिक्षा, प्रशिक्षण और विज्ञान और तकनीक तक बराबरी की पहुँचरू महिलाओं के लिये अच्छे काम के लिये रास्ता |
2012 | ग्रामीण महिलाओं का सशक्तिकरण, गरीबी और भूखमरी का अंत |
2013 |
वादा, वादा होता है महिलाओं के खिलाफ हिंसा
खत्म करने का अंत आ गया है
|
2014 | वादा, वादा होता हैर महिलाओं के समानता सभी के लिये प्रगति है |
2015 | महिला सशक्तिकरण- सशक्तिकरण इंसानियत इसकी तस्वीर बनाओ |
2016 | इसे करना ही होगा |
2017 | परिवर्तन के लिए साहसिक |
2018 | समय अब है ग्रामीण और शहरी कार्यकर्ता महिलाओं के जीवन में परिवर्तन |
2019 | बैलेंस फार बैटर (अच्छाई के लिए संतुलन) |
2020 | मैं पीढ़ीगत समानतार महिलाओं के अधिकारों को महसूस कर रही हूँ |
भारतीय इतिहास की प्रमुख महिलाएं
सावित्रीबाई फुले
- सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारिका एवं मराठी कवयित्री थीं. उन्होंने अपने पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ मिलकर स्त्री अधिकारों एवं शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए. वह प्रथम महिला शिक्षिका थीं. उन्हें आधुनिक मराठी काव्य का अग्रदूत माना जाता है. 1852 में उन्होंने बालिकाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की थी. सावित्रीबाई पूरे देश की महानायिका हैं. उनको महिलाओं और दलित जातियों को शिक्षित करने के प्रयासों के लिए जाना जाता है. सावित्रीबाई ने अपने जीवन को एक मिशन की तरह से जीया जिसका उद्देश्य था विधवा विवाह करवाना, छुआछूत मिटाना, महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना
डॉक्टर आनंदी गोपाल जोशी
- आनंदी पहली भारतीय महिला थीं, जिन्होंने डॉक्टरी की डिग्री हासिल की।
- डॉक्टर आनंदी गोपाल जोशी का जन्म एक मराठी परिवार में 31 मार्च, 1865 को कल्याण, थाणे, महाराष्ट्र में हुआ था। माता-पिता ने उनका नाम यमुना रखा। उनका परिवार एक रूढ़िवादी मराठी परिवार था, जो केवल संस्कृत पढ़ना जानता था। उनके पिता जमींदार थे। सिर्फ 9 साल की उम्र में उनकी शादी गोपालराव जोशी से हुई थी।
- 883 में आनंदी गोपाल ने अमेरिका (पेनसिल्वेनिया) की जमीन पर कदम रखा। उस दौर में वे किसी भी विदेशी जमीन पर कदम रखने वाली पहली भारतीय हिंदू महिला थीं।
- उन्नीस साल की उम्र में साल 1886 में आनंदीबाई ने एम.डी कर लिया। डिग्री लेने के बाद वह भारत लौट आई।
- डॉक्टर आनंदी 1886 के अंत में भारत लौट आईं और अल्बर्ट एडवर्ड अस्पताल, प्रिंसलि स्टेट ऑफ कोल्हापुर में एक महिला डॉक्टर के रूप में प्रभार संभाला।
- 26 फरवरी, 1987 को मात्र 21 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।
जस्टिस एम. फातिमा बीवी पहली महिला न्यायाधीश
- जस्टिस एम. फातिमा बीवी ना सिर्फ भारत बल्कि पूरे एशिया की पहली ऐसी महिला रहीं जिन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश पद को शोभित किया था। इसके साथ ही मुस्लिम समाज की भी पहली ऐसी महिला थीं जिन्होंने इस बड़े ओहदे को प्राप्त किया था।
- इन्दिरा गांधी को भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री होने का गौरव प्राप्त है। वर्ष 1966 से 1977 तक वे इस बद पर बनी रहीं। इसके अलावा भारत रत्न प्राप्त करने वाली भी यह पहली भारतीय महिला थीं।
प्रथम महिला राष्ट्रपति
- सत्ता और संचालन के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को उचित ना समझने वाले भारत के सर्वोच्च पद पर भी एक महिला आसीन रही हैं। प्रतिभा देवी सिंह पाटिल उसी महिला का नाम है जिन्होंने देश की प्रथम नागरिक यानि भारत की पहली महिला राष्ट्रपति होने का सम्मान हासिल किया है।
Post a Comment