मध्य प्रदेश में वनों का वर्गीकरण | Classification of forests in Madhya Pradesh
मध्य प्रदेश में वनों का वर्गीकरण
वनों से अभिप्राय
वनों से अभिप्राय ऐसे व्यापक क्षेत्र से है, जो वृक्षों से पूर्णतः आच्छादित होता है और वह पर्यावरण के साथ-साथ उस क्षेत्र की संपूर्ण जैविक क्षमता में सुधार एवं उसका विकास करता है। मध्यप्रदेश वन संपदा की दृष्टि से समृद्ध राज्य है, जहां विभिन्न प्रकार के वन, वन्यजीव एवं प्राकृतिक संसाधन पाए जाते हैं। मध्य प्रदेश, भारत का सर्वाधिक वनाच्छादित राज्य है।
भारत में वन क्षेत्र का प्रतिशत 24.39 प्रतिशत है। जबकि मध्यप्रदेश में 30. प्रतिशत है।
मध्य प्रदेश में वन क्षेत्र का वर्गीकरण
- गैर वन क्षेत्र- 72.84 प्रतिशत
- खुले वन- 11.77 प्रतिशत
- मध्यम सघन वन- 11.22 प्रतिशत
- अति सघन वन- 2.13 प्रतिशत
- झाडि़याँ- 11.77 प्रतिशत
मध्य प्रदेश में वनों का वर्गीकरण
मध्य प्रदेश में प्रमुख रूप से उष्ण कटिबंधीय वन पाये जाते हैं, जिन्हें चार आधारों पर वर्गीकृत किया गया है।
वर्गीकरण का आधार | वनों का प्रकार |
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जलवायु के आधार पर वनों का वर्गीकरण |
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प्रादेशिक आधार पर वनों का वर्गीकरण |
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प्रजाति के आधार पर वनों का वर्गीकरण |
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प्रशासनिक आधार पर वनों का वर्गीकरण |
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- उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन 86.65 प्रतिशत
- उष्णकटिबंधीय आर्द्रपर्णपाती वन 8.97 प्रतिशत
- उष्ण कटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन 2.38 प्रतिशत
उष्ण कटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन
- उष्ण कटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन, राज्य के उन क्षेत्रों में पाये जाते हैं, जहाँ औसत वार्षिक वर्षा 50 से 100 सेमी. के मध्य होती है। ये वन मध्य प्रदेश के कुल वन क्षेत्र के 88.65 प्रतिशत भाग में विस्तृत हैं।
- इन वनों का विस्तार सागर, जबलपुर, उज्जैन, खण्डवा तथा खरगोन में पाया जाता है, जिनमें मुख्यतः सागौन, शीशम, नीम, पीपल, आदि के वृक्ष पाये जाते हैं।
उष्ण कटिबंधीय आर्द्र पर्णपाती वन
- उष्ण कटिबंधीय आर्द्र पर्णपाती वन राज्य के उन क्षेत्रों में पाये जाते हैं , जहाँ औसत वर्षा 100 से 150 सेमी. के मध्य होती है। ये वन मध्य प्रदेश के कुल वन क्षेत्र के 8.97 प्रतिशत भाग में विस्तृत हैं।
- इन वनों का विस्तार मंडला, बालाघाट, सीधी, शहडोल, डिंडोरी, उमरिया तथा अनूपपुर में पाया जाता हैं, जिसमें मुख्यतः साल, बांस, महुआ, बीजा, हर्रा आदि वृक्ष पाये जाते हैं।
उष्ण कटिबंधीय कँटीले वन
- उष्ण कटिबंधीय कँटीले वन राज्य के उन क्षेत्रों में पाये जाते हैं, जहाँ औसत वर्षा 25 से 75 सेमी. के मध्य होती है। ये वन मध्य प्रदेश के कुल वन क्षेत्र के 2.38 प्रतिशत भाग में विस्तृत हैं।
- इन वनों का विसतार श्योपुर, शिवपुरी, भिंड, मुरैना, रतलाम, मंदसौर, टीकमगढ़ व दतिया में पाया जाता है, जिसमें मुख्यतः बबूल, शीशम, हर्रा,पलाश आदि के वृक्ष पाये जाते हैं।
प्रादेशिक आधार पर वनों का वर्गीकरण
विंध्य कैमूर श्रेणी
- ये वन विंध्य-कैमूर श्रेणी श्रेणी में विरल वन के रूप में विस्तृत हैं , जो दमोह तथा सागर जिलों में पाये जाते हैं।
सतपुड़ा मैकाल श्रेणी
- इस वन क्षेत्र में सर्वाधिक वन पाये जाते हैं। इन वनों का विस्तार सतपुड़ा-मैकाल श्रेणी के अंतर्गत सिवनी, छिंदवाड़ा एवं बालाघाट जिलों में है।
मुरैना-शिवपुरी पठार श्रेणी
- इस वन क्षेत्र में सर्वाधिक कटीले व झाड़ी युक्त वन पाये जाते हैं। इन वनों का विस्तार शिवपुरी, भिंड व मुरैना जिलों में है।
प्रजाति के आधार पर वनों का वर्गीकरण
साल वन
- ये उष्ण कटिबंधीय आर्द्र पर्णपाती वन के वृक्ष है, जो मध्य प्रदेश के पूर्वी भाग मंडला, बालाघाट, उमरिया,सीधी, डिंडोरी तथा शहडोल जिलों में पाये जाते हैं। राज्य के कुल वन क्षेत्र के 4.15 प्रतिशत भाग में साल के वनों का विस्तार है।
सागौन वन
- ये उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन के वृक्ष हैं, जो मध्य प्रदेश के दक्षिणी भागों के होशंगाबाद, बैतूल, छिंदवाड़ा, दमोह, छतरपुर, तथा पन्ना जिलों में पाये जाते हैं। राज्य के कुल वन क्षेत्र के 19.36 प्रतिशत भाग में सागौन के वनों का विस्तार है।
मिश्रित वन
- ये उष्णकटिबंधीय मिश्रित पर्णपाती वन हैं जो मध्य प्रदेश के मुख्यतः बालाघाट, बैतूल, जबलपुर, सिवनी, मंडला सागर तथा भोपाल जिलों में पाये जाते हैं। राज्य के कुल वन क्षेत्र के 58.49 प्रतिशत भाग में मिश्रित वनों का विस्तार है।
प्रशासनिक आधार पर वनों का वर्गीकरण
आरक्षित वन
- ये वन राज्य सरकार के प्रत्यक्ष पर्यवेक्षण में रहते हैं। इन वनों में लकडि़यों के एकत्रण तथा मवेशियों को चराने के लिए लोगों का प्रवेश वर्जित है। राज्य में 6188649 वर्ग किमी क्षेत्र आरक्षित वन पाये जाते हैं, जो राज्य के कुल वन क्षेत्र का 65.36 प्रतिशत है।
- मध्य प्रदेश में सर्वाधिक आरक्षित वन क्षेत्र खंडवा वन वृत तथा न्यूनतम छतरपुर वन वृत में पाये जाते हैं।
संरक्षित वन
- ये वन राज्य सरकार के पूर्णतः नियंत्रण में रहते हैं परन्तु स्थानीय लोगों को ईंधन के लिए लकड़ी एकत्र करने व मवेशियों को चराने की अनुमति होती है। राज्य में 31098 वर्ग किमी क्षेत्र पर संरक्षित वन पाये जाते हैं। जो राज्य के कुल वन क्षेत्र का 32.84 प्रतिशत है।
अवर्गीकृत वन
- अवर्गीकृत वन क्षेत्र में वृक्षों को काटने तथा मवेशियों को चराने पर कोई प्रतिबंध नहीं होता है। राज्य में 1705 वर्ग किमी क्षेत्र पर अवर्गीकृत वन पाये जाते हैं, जो राज्य के कुल वन क्षेत्र का 1.8 प्रतिशत हैं।
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