MP Van Niti | मध्य प्रदेश वन नीति
मध्य प्रदेश वन नीति Madhya Pradesh Forest Policy
मध्य प्रदेश में वन विभाग की स्थापना वर्ष 1860 में हुई थी। संभवतः मध्य प्रदेश भारत का ऐसा प्रथम राज्य है जहाँ ब्रिटिशकालीन वन नीति 1894 का क्रियान्वयन प्रारंभ किया गया था।
मध्य प्रदेश की प्रथम वन नीति वर्ष 1952 में लागू की गई थी। तत्तपश्चात् 4 अप्रैल 2005 को नई वन नीति घोषित की गई , जिसके प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं-
- वनाश्रित परिवारों हेतु वन आधारित वैकल्पिक रोजगार की सतत उपलब्धता के अवसर सृजित करना।
- सीमाओं के समस्त लंबित विवादों का निराकरण करते हुए वन क्षेत्रों का व्यवस्थापन करना तथा वन खंडो का सीमांकन पूर्ण करना।
- वर्तमान में व्यवस्थापित अतिक्रमित क्षेत्रों को शीघ्र अतिशीघ्र सीमंाकित करना तथा भविष्य में अतिक्रमण को रोकने के प्रभावी उपाय करना।
- वन ग्रामों को राजस्व ग्रामों में परिवर्तित करने की कार्यवाही पूर्ण करना।
- वन सुरक्षा समिति को सुदृढ़ बनाने के लिए संचार सुविधाओं का विस्तार करना।
- संवेदनशील क्षेत्रों में विशेष सुरक्षा बलों की व्यवस्था करना।
मध्य प्रदेश में वन प्रबंधन Forest Management in Madhya Pradesh
राष्ट्रीय वन नीति के अनुसरण में जन भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए वन विभाग ने संयुक्त वन प्रबंधन की अवधारणा को स्वीकार किया है। प्रदेश में वन सुरक्षा एवं वन विकास के समस्त कार्यों में जन भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिलए मध्य प्रदेश में 22 अक्टूबर 2001 को संशोधित संकल्प पारित किया गया , जिसमें तीन प्रकार की संयुक्त वन प्रबंधन समितियों का गठन का प्रावधान है
- ग्राम वन समिति
- वन सुरक्षा समिति
- ईको विकास समिति
वन सुरक्षा समिति
- सघन वन क्षेत्रों में वनखण्ड सीमा से पॉच किलोमीटर दूर तक विस्तृत ग्रामों में आने वाली समितियों को वन सुरक्षा समिति कहा जाता है। ये ऐसे वन क्षेत्र हैं जिनसे नियमित वानिकी कार्यों के अंतर्गत वन उत्पाद प्राप्त किये जाते हैं।
ग्राम वन समिति
- बिरले वन क्षेत्रों में वनखण्ड सीमा से पॉच किलोमीटर दूर तक विस्तृत ग्रामों में आने वाली समितियों को ग्राम वन समिति कहा जाता है। ये ऐसे वन क्षेत्र हैं जो जैविक दबाव के कारण विरल हो गये हैं तथा जिनका पुनर्वनीकरण किया जाना आवश्यक है।
ईको विकास समिति
- राष्ट्रीय उद्यान तथा अभ्यारण क्षेत्रों में स्थित सभी ग्राम, उनकी बाहरी सीमा से पाूंच किलोमीटर की परिधि में स्थित ऐसे ग्राम जिनका प्रभाी संरक्षित क्षेत्र के प्रबंधन पर पड़ता है तथा बफर क्षेत्र के समस्त ग्रामों में वनों के प्रबंधन तथा जन सहयोग प्राप्त करने हेतु बनाई गई समिति को ईको विकास समिति कहा जाता है.
तीनों प्रकार की वन समितियों की कुल संख्या 15228 है, जिनके द्वारा 668.74 वर्ग किमी वन क्षेत्र का प्रबंधन किया जा रहा है।
राज्य वन विकास अभिकरण State forest development agency
मध्य प्रदेश में राज्य वन विकास अभिकरण का गठन 19 अप्रैल 2019 को किया गया जिसका उद्देश्य , संयुक्त वन प्रबंधन समितियों के माध्यम से बिगड़े वन क्षेत्र तथा रिक्त वन क्षेत्रों में वृक्षारोपड़ को अधिक सुदृढ़ एवं विकसित करना है।
अधीनस्थ क्षेत्रीय कर्यालय क्षेत्रीय वन इकाईयाँ
इकाईयों का प्रकार | संख्या |
---|---|
वृत्त | 16 |
वनमंडल | 63 |
उपवनमंडल | 135 |
परिक्षेत्र | 473 |
उप वन परिक्षेत्र | 1871 |
परिसर | 8286 |
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