मध्य प्रदेश के प्रमुख वृक्ष एवं वन उपज | Major trees and forest product MP
मध्य प्रदेश के प्रमुख वृक्ष एवं वन उपज
भिलावा वृक्ष सेमेकेपर्स एनाकॉर्डियम
- मध्य प्रदेश के छिंदवाड़़ा जिले में सर्वाधिक भिलावा वृक्ष पाये जाते हैं। ये वृक्ष बहुउपयोगी हैं, जिनका उपयोग स्याही, पेंट और औषधि निर्माण में किया जाता है।
साल (शोरिया रोबस्टा)
- मध्य प्रदेश में देश का सर्वाधिक साल वृक्ष (लगभग 50 प्रतिशत) पाये जाते हैं। ये प्रदेश में अधिकांशतः लाल-पीली मृदा क्षेत्र मंडला, डिंडोरी एवं होशंगाबाद जिलों में पाये जाते हैं। साल के वृक्ष बोरार नामक कीट लगने से नष्ट हो जाते हैं।
सागौन (टेक्टोना ग्रैंडिस)
- प्रदेश में सर्वाधिक सागौन वृक्ष काली मृदा वाले उतरी क्षेत्र होशंगाबाद जिले के बोरी घाटी में 3.20 मीटर परिधि में पाये जाते हैं। इनका उपयोग इमारती लकड़ी के रूप में किया जाता है।
बाँस (बाम्बूसोइड)
- प्रदेश में बॉस दक्षिणी पूर्वी भाग में शहड़ोल, अनूपपुर, बालाघाट, बैतूल, खंडवा, व होशंगाबाद जिलों में पाये जाते हैं। देश में मध्य प्रदेश का बांस उत्पादन में द्वितीय स्थान है। यहां प्रतिवर्ष लगभग 50 लाख टन बॉस का उत्पादन होता है।
- वर्ष 2016-2017 में भोपाल जिले के लहारपुर इकोलॉजिकल पार्क में बॉस की सर्वाधिक 54 प्रजातियों का रोपण करने वाला मध्य प्रदेश देश का प्रथम राज्य बना। वर्ष 2017-2018 में इंदौर जिले में प्रदेश का बॉस उत्पादन बिक्री का प्रथम सरकारी शोरूम खोला गया।
तेंदूपत्ता (डायोसपायरस मेलेनोक्जयालोन)
- देश में तेंदूपत्ता उत्पादन में मध्य प्रदेश का प्रथम स्थान है तथा मध्य प्रदेश तेंदूपत्ता उत्पादन में सागर जिला प्रथम स्थान पर है। प्रदेश में औसत वार्षिक तेेंदूपत्ता उत्पादन लगभग 25 लाख मानक बोरा होता है। जो देश के कुल वार्षिक उत्पादन का लगभग 25 प्रतिशत है। तेंदूपत्ता का राष्ट्रीयकरण वर्ष 1964 में हुआ था।
हर्रा (टर्मिनोलिया चंबुला)
- हर्रा मध्य प्रदेश में मुख्यतः छिंदवाड़ा, बालाघाट, मंडला, शिवपुरी और शहडोल जिलों के वनों से प्राप्त होता है। इसका उपयोग औषधि निर्माण और चर्म शोधन के रूप में किया जाता है।
खैर (अकसिया कटेचू)
- मध्य प्रदेश में खैर वृक्ष शिवपुरी, मुरैना, जबलपुर, उमरिया, सागर, दमोह तथा गुना आदि जिलों में पाये जाते हैं। खैर का उपयोग कत्था बनाने में किया जाता है, जिसके कारखाने शिवपुरी और बानमौर में स्थित हैं।
लाख( टैकार्डिया लैका)
- लाख एक प्रकार का प्राकृतिक राल है जो मादा लाख कीट (लेसीफेर लेक्का) के स्त्राव से निर्मित होता है। प्रदेश में शहडोल, मंडला, डिंडोरी, दमोह, सागर जिलों में पलास, बेरी, कुसमु, अरहर, आदि के वृक्षों पर इसकी खेती की जाती है। लाख के उत्पादन में मध्यप्रदेश का दूसरा स्थान है। लाख का सरकारी कारखाना उमरिया जिले में स्थित है।
महुआ (मधुका लोंगीफोलिया)
- मध्यप्रदेश में झाबुआ, अलीराजपुर, शहडोल, अनूपपुर, डिंडोरी, मंडला आदि जिलों में महुआ का उत्पादन होता है। इसका उपयोग औषधि बनाने, तेल निकालने तथा एल्कोहर बनाने में किया जाता है।
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